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SPECIAL: गरीबों के 'मर्ज़' पर कंपनी ने की 'मनमर्जी' और सरकार ने दिखाई 'बेरुखी'

कोरोना का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ा है. संक्रमण के खतरे को देखते सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया था जिससे आम आदमी को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है जिससे लोग अभी तक नहीं उबर पाया है. इस वैश्विक महामारी का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ा है. पहले राजस्थान में भामाशाह स्वास्थ्य योजना के तहत निजी अस्पतालों में भी गरीबों को निःशुल्क इलाज उपलब्ध था, लेकिन अब इस पर भी ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है. सीकर में भामाशाह योजना के तहत निजी अस्पतालों में 15 अगस्त से इलाज बंद है. इस संबंध में डाक्टरों का कहना है कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अस्पतालों को उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है. पढ़ें विस्तृत खबर...

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
निजी अस्पतालों में बंद है गरीबों का उपचार
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Published : Aug 26, 2020, 5:00 PM IST

सीकर. एक तरफ कोरोना वायरस का खतरा है तो दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था नहीं है. यह सारी समस्याएं इन दिनों आम आदमी को सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं. सरकारी अस्पतालों में लोग या तो कोरोना वायरस के डर से नहीं जा रहे हैं या फिर ज्यादा भीड़ होने की वजह से सुविधा नहीं मिल पा रही है. या फिर निजी अस्पतालों में भामाशाह योजना में इलाज नहीं हो रहा है.

निजी अस्पतालों में 15 अगस्त से इलाज बंद

इसकी वजह से आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, लेकिन न तो भामाशाह योजना में इलाज करने वाले अस्पताल अपनी मनमर्जी छोड़ रहे हैं और ना ही सरकार इस तरफ कोई ध्यान दे रही है. हालात यह है कि शेखावाटी सहित प्रदेश भर में बीते कुछ दिनों से भामाशाह योजना में लोगों का इलाज नहीं हो रहा है.

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
चिकित्सकों ने भी बताई अपनी मजबूरी

पढ़ेंः SPECIAL : अजमेर का किला और किंग एडवर्ड मेमोरियल हेरिटेज इमारतें होंगी स्मार्ट, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

जानकारी के मुताबिक के 15 अगस्त के बाद से सभी निजी अस्पताल भामाशाह योजना में गरीब लोगों का इलाज नहीं कर रहे हैं. जबकि पहले इस योजना में गरीबों को निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल रही थी. सभी तरह की सर्जरी भी की जा रही थी, लेकिन पिछले काफी समय से अस्पतालों का भुगतान नहीं होने और बार-बार उनके केसों को खारिज करने के बाद अब अस्पतालों ने इसे बंद कर दिया है.

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
मरीजों को रही अधिक परेशानी

काफी समय से नहीं हो रहा भुगतान

सीकर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रामदेव चौधरी का कहना है कि पिछले कई महीनों से बीमा कंपनी हमारा भुगतान नहीं कर रही है. उनका कहना है कि जिस बीमा कंपनी के तहत इलाज हो रहा है उसकी पूरी मनमर्जी चल रही है और अस्पताल संचालक परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में भी भामाशाह में इलाज किया जा रहा है जबकि सरकारी अस्पताल तो पहले से ही मुफ्त में सेवा दे रहे हैं. निजी अस्पतालों में जो लोगों को इलाज मिल रहा था वह बंद है और सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है.

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
गरीबों को झेलनी पड़ रही दोहरी मार

बिना एक्सपर्ट के करवाई जा रही ऑडिट

वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि बीमा कंपनी की ओर से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अस्पतालों की ऑडिट ऐसे लोगों से करवाई जा रही है जो खुद ही विशेषज्ञ नहीं हैं. चिकित्सकों का कहना है कि बीडीएस या बीएमएस जैसे डॉक्टर वरिष्ठ चिकित्सकों के अस्पताल की ऑडिट कर रहे हैं जो सरासर गलत है. उनको जब जानकारी ही नहीं है तो फिर ऑडिट कैसे सही हो पाएगी. इसी ऑडिट के आधार पर बीमा कंपनी ने करोड़ों रुपए का भुगतान अटका कर रखा है.

बार-बार आ रही योजनाएं की गाइडलाइन स्पष्ट नहीं

सरकारों की ओर से बार-बार कई तरह की योजनाएं लाई जा रही है, लेकिन किसी में भी इलाज को लेकर गाइडलाइन स्पष्ट नहीं. चिकित्सकों का कहना है कि पहले भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना आई थी और उसके बाद भामाशाह कार्ड की जगह जन आधार कार्ड लांच किए गए. अब आयुष्मान भारत योजना लागू की जा रही है. जबकि किसी भी योजना में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं पूरी हो रही है.

पढ़ेंः Special: कोरोना मरीज को किन हालातों में दी जाती है ऑक्सीजन थेरेपी, जानिए इस रिपोर्ट में...

भामाशाह योजना में भी यह नियम था कि जो इलाज की फाइल विवादास्पद होती है और उसमें अगर अस्पताल की गलती पाई जाती है तो अस्पताल 5 गुना भुगतान कंपनी को करेगा, लेकिन अगर कंपनी की गलती पाई जाती है तो कंपनी ब्याज सहित भुगतान करेगी. इसके बाद भी अभी तक कंपनी ने किसी भी अस्पताल को ब्याज सहित भुगतान नहीं किया है.

सीकर. एक तरफ कोरोना वायरस का खतरा है तो दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था नहीं है. यह सारी समस्याएं इन दिनों आम आदमी को सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं. सरकारी अस्पतालों में लोग या तो कोरोना वायरस के डर से नहीं जा रहे हैं या फिर ज्यादा भीड़ होने की वजह से सुविधा नहीं मिल पा रही है. या फिर निजी अस्पतालों में भामाशाह योजना में इलाज नहीं हो रहा है.

निजी अस्पतालों में 15 अगस्त से इलाज बंद

इसकी वजह से आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, लेकिन न तो भामाशाह योजना में इलाज करने वाले अस्पताल अपनी मनमर्जी छोड़ रहे हैं और ना ही सरकार इस तरफ कोई ध्यान दे रही है. हालात यह है कि शेखावाटी सहित प्रदेश भर में बीते कुछ दिनों से भामाशाह योजना में लोगों का इलाज नहीं हो रहा है.

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
चिकित्सकों ने भी बताई अपनी मजबूरी

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जानकारी के मुताबिक के 15 अगस्त के बाद से सभी निजी अस्पताल भामाशाह योजना में गरीब लोगों का इलाज नहीं कर रहे हैं. जबकि पहले इस योजना में गरीबों को निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल रही थी. सभी तरह की सर्जरी भी की जा रही थी, लेकिन पिछले काफी समय से अस्पतालों का भुगतान नहीं होने और बार-बार उनके केसों को खारिज करने के बाद अब अस्पतालों ने इसे बंद कर दिया है.

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
मरीजों को रही अधिक परेशानी

काफी समय से नहीं हो रहा भुगतान

सीकर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रामदेव चौधरी का कहना है कि पिछले कई महीनों से बीमा कंपनी हमारा भुगतान नहीं कर रही है. उनका कहना है कि जिस बीमा कंपनी के तहत इलाज हो रहा है उसकी पूरी मनमर्जी चल रही है और अस्पताल संचालक परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में भी भामाशाह में इलाज किया जा रहा है जबकि सरकारी अस्पताल तो पहले से ही मुफ्त में सेवा दे रहे हैं. निजी अस्पतालों में जो लोगों को इलाज मिल रहा था वह बंद है और सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है.

सीकर के अस्पताल में इलाज बंद, Treatment stopped in Sikar hospital
गरीबों को झेलनी पड़ रही दोहरी मार

बिना एक्सपर्ट के करवाई जा रही ऑडिट

वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि बीमा कंपनी की ओर से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अस्पतालों की ऑडिट ऐसे लोगों से करवाई जा रही है जो खुद ही विशेषज्ञ नहीं हैं. चिकित्सकों का कहना है कि बीडीएस या बीएमएस जैसे डॉक्टर वरिष्ठ चिकित्सकों के अस्पताल की ऑडिट कर रहे हैं जो सरासर गलत है. उनको जब जानकारी ही नहीं है तो फिर ऑडिट कैसे सही हो पाएगी. इसी ऑडिट के आधार पर बीमा कंपनी ने करोड़ों रुपए का भुगतान अटका कर रखा है.

बार-बार आ रही योजनाएं की गाइडलाइन स्पष्ट नहीं

सरकारों की ओर से बार-बार कई तरह की योजनाएं लाई जा रही है, लेकिन किसी में भी इलाज को लेकर गाइडलाइन स्पष्ट नहीं. चिकित्सकों का कहना है कि पहले भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना आई थी और उसके बाद भामाशाह कार्ड की जगह जन आधार कार्ड लांच किए गए. अब आयुष्मान भारत योजना लागू की जा रही है. जबकि किसी भी योजना में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं पूरी हो रही है.

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भामाशाह योजना में भी यह नियम था कि जो इलाज की फाइल विवादास्पद होती है और उसमें अगर अस्पताल की गलती पाई जाती है तो अस्पताल 5 गुना भुगतान कंपनी को करेगा, लेकिन अगर कंपनी की गलती पाई जाती है तो कंपनी ब्याज सहित भुगतान करेगी. इसके बाद भी अभी तक कंपनी ने किसी भी अस्पताल को ब्याज सहित भुगतान नहीं किया है.

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