सीकर. एक तरफ कोरोना वायरस का खतरा है तो दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था नहीं है. यह सारी समस्याएं इन दिनों आम आदमी को सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं. सरकारी अस्पतालों में लोग या तो कोरोना वायरस के डर से नहीं जा रहे हैं या फिर ज्यादा भीड़ होने की वजह से सुविधा नहीं मिल पा रही है. या फिर निजी अस्पतालों में भामाशाह योजना में इलाज नहीं हो रहा है.
इसकी वजह से आमजन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, लेकिन न तो भामाशाह योजना में इलाज करने वाले अस्पताल अपनी मनमर्जी छोड़ रहे हैं और ना ही सरकार इस तरफ कोई ध्यान दे रही है. हालात यह है कि शेखावाटी सहित प्रदेश भर में बीते कुछ दिनों से भामाशाह योजना में लोगों का इलाज नहीं हो रहा है.
जानकारी के मुताबिक के 15 अगस्त के बाद से सभी निजी अस्पताल भामाशाह योजना में गरीब लोगों का इलाज नहीं कर रहे हैं. जबकि पहले इस योजना में गरीबों को निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल रही थी. सभी तरह की सर्जरी भी की जा रही थी, लेकिन पिछले काफी समय से अस्पतालों का भुगतान नहीं होने और बार-बार उनके केसों को खारिज करने के बाद अब अस्पतालों ने इसे बंद कर दिया है.
काफी समय से नहीं हो रहा भुगतान
सीकर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रामदेव चौधरी का कहना है कि पिछले कई महीनों से बीमा कंपनी हमारा भुगतान नहीं कर रही है. उनका कहना है कि जिस बीमा कंपनी के तहत इलाज हो रहा है उसकी पूरी मनमर्जी चल रही है और अस्पताल संचालक परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में भी भामाशाह में इलाज किया जा रहा है जबकि सरकारी अस्पताल तो पहले से ही मुफ्त में सेवा दे रहे हैं. निजी अस्पतालों में जो लोगों को इलाज मिल रहा था वह बंद है और सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है.
बिना एक्सपर्ट के करवाई जा रही ऑडिट
वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि बीमा कंपनी की ओर से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अस्पतालों की ऑडिट ऐसे लोगों से करवाई जा रही है जो खुद ही विशेषज्ञ नहीं हैं. चिकित्सकों का कहना है कि बीडीएस या बीएमएस जैसे डॉक्टर वरिष्ठ चिकित्सकों के अस्पताल की ऑडिट कर रहे हैं जो सरासर गलत है. उनको जब जानकारी ही नहीं है तो फिर ऑडिट कैसे सही हो पाएगी. इसी ऑडिट के आधार पर बीमा कंपनी ने करोड़ों रुपए का भुगतान अटका कर रखा है.
बार-बार आ रही योजनाएं की गाइडलाइन स्पष्ट नहीं
सरकारों की ओर से बार-बार कई तरह की योजनाएं लाई जा रही है, लेकिन किसी में भी इलाज को लेकर गाइडलाइन स्पष्ट नहीं. चिकित्सकों का कहना है कि पहले भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना आई थी और उसके बाद भामाशाह कार्ड की जगह जन आधार कार्ड लांच किए गए. अब आयुष्मान भारत योजना लागू की जा रही है. जबकि किसी भी योजना में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं पूरी हो रही है.
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भामाशाह योजना में भी यह नियम था कि जो इलाज की फाइल विवादास्पद होती है और उसमें अगर अस्पताल की गलती पाई जाती है तो अस्पताल 5 गुना भुगतान कंपनी को करेगा, लेकिन अगर कंपनी की गलती पाई जाती है तो कंपनी ब्याज सहित भुगतान करेगी. इसके बाद भी अभी तक कंपनी ने किसी भी अस्पताल को ब्याज सहित भुगतान नहीं किया है.