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Special: रसोई का बजट बिगाड़ रहा प्याज, थोक में भी आम आदमी की पहुंच से दूर

सीकर की मंडियों में इन दिनों प्याज के भाव आसमान छू रहे हैं. प्रदेश का सबसे बड़ा उत्पादक जिला होने के बाद भी यहां खुदरा में प्याज 60 से ₹70 प्रति किलो तक में बिक रहा है. मंडी में प्याज के भाव थोक में भी कम नहीं है. हालांकि अब अलवर से प्याज आना शुरू हुआ है तो कुछ राहत मिलने की उम्मीद जगी है. लेकिन फिलहाल प्याज के भाव आम लोगों की पहुंच से दूर है.

People upset due to high price of onion
प्याज के अधिक दाम से लोग परेशान
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Published : Oct 31, 2020, 9:46 PM IST

सीकर. जिले में प्याज आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहा है. जिले में प्याज का बड़े स्तर पर उत्पादन होता है, इसके बाद भी यहां पर इसके भाव आसमान छू रहे हैं. थोक मंडियों में प्याज की कीमत 60 से 70 रुपये प्रति किलो है तो फुटकर की कीमत का अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं. अब तक केवल नासिक से प्याज आ रहा था और अब अलवर से आवक शुरू हुई है. ऐसे में भाव गिरने की कुछ उम्मीद जगी है.

आसमान छू रहे प्याज के दाम

जानकारी के मुताबिक सीकर मंडी में दूसरे नंबर का प्याज अभी भी 30 से ₹35 प्रति किलो तक के भाव में बिक रहा है. लेकिन जब यह प्याज बाजारों में आता है तो आम उपभोक्ताओं को 60 से ₹70 प्रति किलो में बेचा जा रहा है. एक महीने से प्याज के यही भाव चल रहे हैं लेकिन पिछले 2 दिन से सीकर मंडी में अलवर के प्याज की आवक शुरू हुई है जिससे कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. फिलहाल प्याज रसोई का बजट बिगाड़ रहा है.

price hike inPrice is also high in wholesale market
थोक मंडी में भी कीमत अधिक

यह भी पढ़ें: Special: खादी पड़ेगी जेब पर भारी...गहलोत सरकार ने घटा दी रियायतें

कौड़ियों के भाव बेचते हैं खुद का प्याज

सीकर जिला प्रदेश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक जिला है लेकिन यहां का प्याज फरवरी के अंत में आना शुरू होता है और उस वक्त यहां प्याज के दाम काफी नीचे चले जाते हैं. यहां के किसानों को खुद का प्याज 3 से ₹5 प्रति किलो में बेचना होता है. जबकि यहीं के लोग अब महंगे भाव में प्याज खरीद रहे हैं. सीकर के प्याज की खासियत यह है कि यहां का प्याज मीठा माना जाता है लेकिन समस्या यह है कि ज्यादा समय तक टिकता नहीं है. इस वजह से किसानों को इसे तुरंत बेचना पड़ता है.

Inward arrivals from Alwar
अलवर से भी होने लगी आवक

शुरू नहीं हुई प्याज मंडी, स्टोरेज की कोई व्यवस्था नहीं

सीकर जिले में लंबे समय से प्याज मंडी की मांग चल रही थी और करीब 4 साल से मंडी बनकर तैयार है, लेकिन इसे शुरू नहीं किया जा रहा है. प्याज मंडी शुरू नहीं होने के कारण किसानों और व्यापारियों को स्टोरेज की जगह नहीं मिल रही है. इस वजह से भी वे खुद का प्याज नहीं रख पाते हैं. इसी का नतीजा है कि बाद में महंगे भाव पर प्याज खरीदना पड़ता है. जबकि प्याज मंडी के नाम पर जिले में अब तक लंबी सियासत हुई है. पिछली सरकार के समय रसीदपुरा में प्याज मंडी बनकर तैयार भी हो गई थी लेकिन अभी भी यह वीरान पड़ी है.

सीकर. जिले में प्याज आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहा है. जिले में प्याज का बड़े स्तर पर उत्पादन होता है, इसके बाद भी यहां पर इसके भाव आसमान छू रहे हैं. थोक मंडियों में प्याज की कीमत 60 से 70 रुपये प्रति किलो है तो फुटकर की कीमत का अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं. अब तक केवल नासिक से प्याज आ रहा था और अब अलवर से आवक शुरू हुई है. ऐसे में भाव गिरने की कुछ उम्मीद जगी है.

आसमान छू रहे प्याज के दाम

जानकारी के मुताबिक सीकर मंडी में दूसरे नंबर का प्याज अभी भी 30 से ₹35 प्रति किलो तक के भाव में बिक रहा है. लेकिन जब यह प्याज बाजारों में आता है तो आम उपभोक्ताओं को 60 से ₹70 प्रति किलो में बेचा जा रहा है. एक महीने से प्याज के यही भाव चल रहे हैं लेकिन पिछले 2 दिन से सीकर मंडी में अलवर के प्याज की आवक शुरू हुई है जिससे कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. फिलहाल प्याज रसोई का बजट बिगाड़ रहा है.

price hike inPrice is also high in wholesale market
थोक मंडी में भी कीमत अधिक

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कौड़ियों के भाव बेचते हैं खुद का प्याज

सीकर जिला प्रदेश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक जिला है लेकिन यहां का प्याज फरवरी के अंत में आना शुरू होता है और उस वक्त यहां प्याज के दाम काफी नीचे चले जाते हैं. यहां के किसानों को खुद का प्याज 3 से ₹5 प्रति किलो में बेचना होता है. जबकि यहीं के लोग अब महंगे भाव में प्याज खरीद रहे हैं. सीकर के प्याज की खासियत यह है कि यहां का प्याज मीठा माना जाता है लेकिन समस्या यह है कि ज्यादा समय तक टिकता नहीं है. इस वजह से किसानों को इसे तुरंत बेचना पड़ता है.

Inward arrivals from Alwar
अलवर से भी होने लगी आवक

शुरू नहीं हुई प्याज मंडी, स्टोरेज की कोई व्यवस्था नहीं

सीकर जिले में लंबे समय से प्याज मंडी की मांग चल रही थी और करीब 4 साल से मंडी बनकर तैयार है, लेकिन इसे शुरू नहीं किया जा रहा है. प्याज मंडी शुरू नहीं होने के कारण किसानों और व्यापारियों को स्टोरेज की जगह नहीं मिल रही है. इस वजह से भी वे खुद का प्याज नहीं रख पाते हैं. इसी का नतीजा है कि बाद में महंगे भाव पर प्याज खरीदना पड़ता है. जबकि प्याज मंडी के नाम पर जिले में अब तक लंबी सियासत हुई है. पिछली सरकार के समय रसीदपुरा में प्याज मंडी बनकर तैयार भी हो गई थी लेकिन अभी भी यह वीरान पड़ी है.

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