खण्डेला (सीकर). कहते है अगर कोई काम समर्पित भाव से किया जाए तो उसमें एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है. ऐसा ही वाक्या सीकर के खंडेला शहर में देखने को मिला. मौजूदा समय में जहां एक और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में इंसान को अपनों के लिए समय नहीं मिल पाता. वहीं कस्बे के चार युवाओं पवन कुमार अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, श्यामसुंदर गोयल, विशाल पंसारी ने मिलकर गौ सेवा कार्य के लिए समय निकालने की सोची और इस कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने फरवरी 2010 में बसंत पंचमी के दिन से अपने इस सेवा कार्य की शुरुवात की और करमेति बाई सेवा समिति बनाकर इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 4 लोगों से शुरू हुई समिति में आज 250 सदस्य है, जो अब गौ सेवा के कार्य में जुटे हुए है.
समिति सदस्यों ने बताया कहां से मिली प्रेरणा
समिति के सदस्यों से बात करने पर उन्होंने बताया की इस पुनीत कार्य की प्रेरणा उनको झुंझुनूं निवासी श्रीकांत पंसारी से मिली. जो गौ सेवा के लिए घर घर जाकर रोटियां और अन्य सामग्री एकत्रित करते थे. उनसे मिलने के बाद चारों युवकों ने मिलकर कस्बे में भी गायों की सेवा करने का विचार किया और इस कार्य में लग गए.
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समिति का नाम करमेति बाई क्यों रखा
समिति के सदस्य पवन अग्रवाल ने बताया कि करमेति बाई खंडेला की निवासी थी और बहुत बड़ी भक्त थी. उनकी भक्ति के चर्चा सुनकर प्रभावित हुए इसलिए समिति का नाम करमेति बाई समिति रखने का विचार बनाया. कस्बे में करमेति बाई का मंदिर भी है और अब बड़े भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है.
कैसे मिली सफलता
सदस्यों ने बताया कि शुरुआती दिनों में कार्यकर्ताओं की संख्या नहीं होने के कारण चारों युवकों ने मिलकर ही सुबह कस्बे की गौशाला में श्रम दान करना शुरू किया और गायों की सेवा में लग गए. जिसके बाद और लोग उनसे जुड़ने लगे. समिति के काम को देखकर कस्बे के लोग भी गाय के लिए चारे व बीमार गायों की सूचना देने लगे. लेकिन, इस कार्य में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ा. जिसके बाद लोगों ने हर सदस्य से प्रतिदिन ₹2 के योगदान देने की बात कही. जिसके बाद सदस्यों ने इस पहल को सराहा और कस्बे में प्रतिष्ठानों पर करमेति बाई गौ सेवा समिति के नाम का दानपात्र रखने का निर्णय लिया. उससे भी बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ.
ऐसे हुई एबुलेंस की जरूरत पूरी
धीरे-धीरे लोगों को पता चला और कस्बे सहित आसपास वह बाहर रहने वाले नागरिक भी हमसे जुड़ने लगे. जिसके बाद समिति द्वारा जगह जगह गायों के लिए पानी की खेलियां , टीन शेड, चार दीवारी का निर्माण करवाया और बीमार गोवंश का इलाज करवाना उसे गौशाला में भिजवाने सहित रोजाना जाकर उस गोवंश की देखभाल करने लगे. समिति को बीमार गोवंश और गायों जिनका इलाज यहां सम्भव नहीं था, उनको अन्य स्थानों पर भेजने के लिए एम्बुलेंस की आवश्यकता महसूस हुई, लेकिन समिति के पास पैसों का अभाव था. इस दौरान पलसाना रोड पर स्थित गणेशधाम परिसर में चल रही भागवत गीता के कार्यक्रम में मंच से इसकी घोषणा की. जिसपर गोयल परिवार ने एक लाख रुपये एम्बुलेंस के लिए देने के घोषणा की. उसके बाद समिति के निरंतर प्रयासों और सभी के सहयोग से एम्बुलेंस लाई गई, जो अब बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गायों को गौशाला और चिकित्सालय में पहुंचाने का कार्य करती है. समिति की ओर से संचालित एम्बुलेंस कस्बे सहित 10 किलोमीटर क्षेत्र में कार्य करती है.
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धार्मिक कार्यक्रम में समिति करती है आयोजित
समिति ने घर-घर जाकर शेष खाने को एकत्रित करने की व्यवस्था की भी शुरुआत की जो सफल रही है. समिति के सदस्य श्यामसुंदर गोयल ने बताया कि कापड़िया बगीची के महाराज अभयदास भी समिति की सहायता और गौ सेवा,घायल व बीमार गायों के इलाज करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. समिति आमजन को गौसेवा के लिए जागृत करने के लिए अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का जिनमे गायत्री यज्ञ, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा पाठ सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करवाती रहती है. अभी 31 दिसम्बर 2019 को समिति द्वारा ही 51 हजार हनुमान चालीसा महाअनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किया गया था. समिति की मुख्य विशेषता यह है कि समिति क्षेत्र की सभी गौशालाओं में गोसेवा का कार्य करती रहती है.