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स्पेशल स्टोरी: गौसेवा को समर्पित करमेति बाई सेवा समिति, 4 युवाओं ने बदली लोगों की सोच

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Published : Jan 11, 2020, 7:55 PM IST

सीकर के खंडेला में करमेति बाई गौ सेवा समिति को 4 युवाओं ने शुरू की. जिसमें आज 250 से ज्यादा सदस्य है. समिति गौसेवा को लेकर निरतंर कार्य कर रही है. वहीं समिति के इस कार्य को कस्बेवासियों ने भी सहारा दिया है. देखिए सीकर से स्पेशल स्टोरी...

Karmeti Bai gau Seva Samiti, Khandela Sikar news
गौसेवा को समर्पित करमेति बाई सेवा समिति

खण्डेला (सीकर). कहते है अगर कोई काम समर्पित भाव से किया जाए तो उसमें एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है. ऐसा ही वाक्या सीकर के खंडेला शहर में देखने को मिला. मौजूदा समय में जहां एक और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में इंसान को अपनों के लिए समय नहीं मिल पाता. वहीं कस्बे के चार युवाओं पवन कुमार अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, श्यामसुंदर गोयल, विशाल पंसारी ने मिलकर गौ सेवा कार्य के लिए समय निकालने की सोची और इस कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने फरवरी 2010 में बसंत पंचमी के दिन से अपने इस सेवा कार्य की शुरुवात की और करमेति बाई सेवा समिति बनाकर इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 4 लोगों से शुरू हुई समिति में आज 250 सदस्य है, जो अब गौ सेवा के कार्य में जुटे हुए है.

गौसेवा को समर्पित करमेति बाई सेवा समिति

समिति सदस्यों ने बताया कहां से मिली प्रेरणा
समिति के सदस्यों से बात करने पर उन्होंने बताया की इस पुनीत कार्य की प्रेरणा उनको झुंझुनूं निवासी श्रीकांत पंसारी से मिली. जो गौ सेवा के लिए घर घर जाकर रोटियां और अन्य सामग्री एकत्रित करते थे. उनसे मिलने के बाद चारों युवकों ने मिलकर कस्बे में भी गायों की सेवा करने का विचार किया और इस कार्य में लग गए.

पढ़ें- कोटा: 1.45 करोड़ रुपए की लागत से बन रही गौशाला के निर्माण कार्य का कनिष्ठ अभियंता ने किया अवलोकन

समिति का नाम करमेति बाई क्यों रखा
समिति के सदस्य पवन अग्रवाल ने बताया कि करमेति बाई खंडेला की निवासी थी और बहुत बड़ी भक्त थी. उनकी भक्ति के चर्चा सुनकर प्रभावित हुए इसलिए समिति का नाम करमेति बाई समिति रखने का विचार बनाया. कस्बे में करमेति बाई का मंदिर भी है और अब बड़े भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है.

कैसे मिली सफलता
सदस्यों ने बताया कि शुरुआती दिनों में कार्यकर्ताओं की संख्या नहीं होने के कारण चारों युवकों ने मिलकर ही सुबह कस्बे की गौशाला में श्रम दान करना शुरू किया और गायों की सेवा में लग गए. जिसके बाद और लोग उनसे जुड़ने लगे. समिति के काम को देखकर कस्बे के लोग भी गाय के लिए चारे व बीमार गायों की सूचना देने लगे. लेकिन, इस कार्य में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ा. जिसके बाद लोगों ने हर सदस्य से प्रतिदिन ₹2 के योगदान देने की बात कही. जिसके बाद सदस्यों ने इस पहल को सराहा और कस्बे में प्रतिष्ठानों पर करमेति बाई गौ सेवा समिति के नाम का दानपात्र रखने का निर्णय लिया. उससे भी बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ.

ऐसे हुई एबुलेंस की जरूरत पूरी
धीरे-धीरे लोगों को पता चला और कस्बे सहित आसपास वह बाहर रहने वाले नागरिक भी हमसे जुड़ने लगे. जिसके बाद समिति द्वारा जगह जगह गायों के लिए पानी की खेलियां , टीन शेड, चार दीवारी का निर्माण करवाया और बीमार गोवंश का इलाज करवाना उसे गौशाला में भिजवाने सहित रोजाना जाकर उस गोवंश की देखभाल करने लगे. समिति को बीमार गोवंश और गायों जिनका इलाज यहां सम्भव नहीं था, उनको अन्य स्थानों पर भेजने के लिए एम्बुलेंस की आवश्यकता महसूस हुई, लेकिन समिति के पास पैसों का अभाव था. इस दौरान पलसाना रोड पर स्थित गणेशधाम परिसर में चल रही भागवत गीता के कार्यक्रम में मंच से इसकी घोषणा की. जिसपर गोयल परिवार ने एक लाख रुपये एम्बुलेंस के लिए देने के घोषणा की. उसके बाद समिति के निरंतर प्रयासों और सभी के सहयोग से एम्बुलेंस लाई गई, जो अब बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गायों को गौशाला और चिकित्सालय में पहुंचाने का कार्य करती है. समिति की ओर से संचालित एम्बुलेंस कस्बे सहित 10 किलोमीटर क्षेत्र में कार्य करती है.

पढ़ें- Exclusive: नंदी गौशाला में 4 और गौवंश ने दम तोड़ा, 1 महीने में करीब 80 से ज्यादा गौवंश की मौत

धार्मिक कार्यक्रम में समिति करती है आयोजित
समिति ने घर-घर जाकर शेष खाने को एकत्रित करने की व्यवस्था की भी शुरुआत की जो सफल रही है. समिति के सदस्य श्यामसुंदर गोयल ने बताया कि कापड़िया बगीची के महाराज अभयदास भी समिति की सहायता और गौ सेवा,घायल व बीमार गायों के इलाज करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. समिति आमजन को गौसेवा के लिए जागृत करने के लिए अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का जिनमे गायत्री यज्ञ, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा पाठ सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करवाती रहती है. अभी 31 दिसम्बर 2019 को समिति द्वारा ही 51 हजार हनुमान चालीसा महाअनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किया गया था. समिति की मुख्य विशेषता यह है कि समिति क्षेत्र की सभी गौशालाओं में गोसेवा का कार्य करती रहती है.

खण्डेला (सीकर). कहते है अगर कोई काम समर्पित भाव से किया जाए तो उसमें एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है. ऐसा ही वाक्या सीकर के खंडेला शहर में देखने को मिला. मौजूदा समय में जहां एक और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में इंसान को अपनों के लिए समय नहीं मिल पाता. वहीं कस्बे के चार युवाओं पवन कुमार अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, श्यामसुंदर गोयल, विशाल पंसारी ने मिलकर गौ सेवा कार्य के लिए समय निकालने की सोची और इस कार्य को पूरा करने के लिए, उन्होंने फरवरी 2010 में बसंत पंचमी के दिन से अपने इस सेवा कार्य की शुरुवात की और करमेति बाई सेवा समिति बनाकर इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 4 लोगों से शुरू हुई समिति में आज 250 सदस्य है, जो अब गौ सेवा के कार्य में जुटे हुए है.

गौसेवा को समर्पित करमेति बाई सेवा समिति

समिति सदस्यों ने बताया कहां से मिली प्रेरणा
समिति के सदस्यों से बात करने पर उन्होंने बताया की इस पुनीत कार्य की प्रेरणा उनको झुंझुनूं निवासी श्रीकांत पंसारी से मिली. जो गौ सेवा के लिए घर घर जाकर रोटियां और अन्य सामग्री एकत्रित करते थे. उनसे मिलने के बाद चारों युवकों ने मिलकर कस्बे में भी गायों की सेवा करने का विचार किया और इस कार्य में लग गए.

पढ़ें- कोटा: 1.45 करोड़ रुपए की लागत से बन रही गौशाला के निर्माण कार्य का कनिष्ठ अभियंता ने किया अवलोकन

समिति का नाम करमेति बाई क्यों रखा
समिति के सदस्य पवन अग्रवाल ने बताया कि करमेति बाई खंडेला की निवासी थी और बहुत बड़ी भक्त थी. उनकी भक्ति के चर्चा सुनकर प्रभावित हुए इसलिए समिति का नाम करमेति बाई समिति रखने का विचार बनाया. कस्बे में करमेति बाई का मंदिर भी है और अब बड़े भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है.

कैसे मिली सफलता
सदस्यों ने बताया कि शुरुआती दिनों में कार्यकर्ताओं की संख्या नहीं होने के कारण चारों युवकों ने मिलकर ही सुबह कस्बे की गौशाला में श्रम दान करना शुरू किया और गायों की सेवा में लग गए. जिसके बाद और लोग उनसे जुड़ने लगे. समिति के काम को देखकर कस्बे के लोग भी गाय के लिए चारे व बीमार गायों की सूचना देने लगे. लेकिन, इस कार्य में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ा. जिसके बाद लोगों ने हर सदस्य से प्रतिदिन ₹2 के योगदान देने की बात कही. जिसके बाद सदस्यों ने इस पहल को सराहा और कस्बे में प्रतिष्ठानों पर करमेति बाई गौ सेवा समिति के नाम का दानपात्र रखने का निर्णय लिया. उससे भी बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ.

ऐसे हुई एबुलेंस की जरूरत पूरी
धीरे-धीरे लोगों को पता चला और कस्बे सहित आसपास वह बाहर रहने वाले नागरिक भी हमसे जुड़ने लगे. जिसके बाद समिति द्वारा जगह जगह गायों के लिए पानी की खेलियां , टीन शेड, चार दीवारी का निर्माण करवाया और बीमार गोवंश का इलाज करवाना उसे गौशाला में भिजवाने सहित रोजाना जाकर उस गोवंश की देखभाल करने लगे. समिति को बीमार गोवंश और गायों जिनका इलाज यहां सम्भव नहीं था, उनको अन्य स्थानों पर भेजने के लिए एम्बुलेंस की आवश्यकता महसूस हुई, लेकिन समिति के पास पैसों का अभाव था. इस दौरान पलसाना रोड पर स्थित गणेशधाम परिसर में चल रही भागवत गीता के कार्यक्रम में मंच से इसकी घोषणा की. जिसपर गोयल परिवार ने एक लाख रुपये एम्बुलेंस के लिए देने के घोषणा की. उसके बाद समिति के निरंतर प्रयासों और सभी के सहयोग से एम्बुलेंस लाई गई, जो अब बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गायों को गौशाला और चिकित्सालय में पहुंचाने का कार्य करती है. समिति की ओर से संचालित एम्बुलेंस कस्बे सहित 10 किलोमीटर क्षेत्र में कार्य करती है.

पढ़ें- Exclusive: नंदी गौशाला में 4 और गौवंश ने दम तोड़ा, 1 महीने में करीब 80 से ज्यादा गौवंश की मौत

धार्मिक कार्यक्रम में समिति करती है आयोजित
समिति ने घर-घर जाकर शेष खाने को एकत्रित करने की व्यवस्था की भी शुरुआत की जो सफल रही है. समिति के सदस्य श्यामसुंदर गोयल ने बताया कि कापड़िया बगीची के महाराज अभयदास भी समिति की सहायता और गौ सेवा,घायल व बीमार गायों के इलाज करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. समिति आमजन को गौसेवा के लिए जागृत करने के लिए अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का जिनमे गायत्री यज्ञ, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा पाठ सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करवाती रहती है. अभी 31 दिसम्बर 2019 को समिति द्वारा ही 51 हजार हनुमान चालीसा महाअनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किया गया था. समिति की मुख्य विशेषता यह है कि समिति क्षेत्र की सभी गौशालाओं में गोसेवा का कार्य करती रहती है.

Intro:खण्डेला (सीकर)

करमेति बाई गौ सेवा समिति की कहानी

चार सदस्यों से शुरुआत हुई समिति की आज दो सो पचास से ज्यादा सदस्य शामिल

समिति गौ सेवा को लेकर निरन्तर कर रही कार्य

समिति के इस कार्य को कस्बेवासियों ने भी सहारा और कर रहे सहयोग

समिति गौ सेवा के साथ साथ करती रहती है धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजनBody:स्पेशल स्टोरी
खण्डेला (सीकर) - कहते है अगर कोई काम समर्पित भाव से किया जाए तो उसमें एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है ऐसा ही वाक्या खण्डेला शहर में देखने को मिला वर्तमान समय मे जहाँ एक और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में इंसान को अपनों के लिए समय नही मिल पाता वही कस्बे के चार युवाओं पवन कुमार अग्रवाल(खेड़ी वाले), कैलाशी अनिल अग्रवाल, श्यामसुंदर गोयल, विशाल पंसारी ने मिलकर गौ सेवा कार्य के लिए समय निकालने की सोची और इस कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने फरवरी 2010 में बसंत पंचमी के दिन से अपने इस सेवा कार्य की शुरुवात की और करमेति बाई सेवा समिति बनाकर इन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा और 4 लोगो से शुरू हुई समिति में आज 250 सदस्य है जो अब इस कार्य मे लगे हुए है।
कहाँ से मिली प्रेरणा - समिति के सदस्यों से बात करने पर उन्होंने बताया की इस पुनीत कार्य की प्रेरणा हमे झुंझुनू निवासी श्रीकांत पंसारी से मिली जो गौसेवा के लिए घर घर जाकर रोटियां और अन्य सामग्री एकत्रित करते थे उनसे मिलने के बाद चारो ने मिलकर कस्बे में भी गायों की सेवा करने का विचार किया और इस कार्य मे लग ग़ये।

समिति का नाम करमेति बाई क्यों रखा- समिति के सदस्य पवन अग्रवाल ने बताया कि करमेति बाई खण्डेला की निवासी थी और बहुत बड़ी भक्त थी उनकी भक्ति के चर्चा सुनकर प्रभावित हुए इसलिए समिति का नाम करमेति बाई समिति रखने का विचार बनाया। कस्बे में करमेति बाई का मंदिर भी है और अब बड़े भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है।

कैसे मिली सफलता - सदस्यों ने बताया कि शुरुवाती दिनों में कार्यकर्ताओं की संख्या नही होने के कारण हम चारो मिलकर सुबह कस्बे की गोशाला में श्रम दान करने लगे और गायों की सेवा करने लगे। बीमार गायों की देखभाल करना सहित अन्य कार्य करने लगें। जिसके बाद लोग हमसे जुड़ने लगे। हमारे कार्य को देखकर लोगों ने गाय के लिए चारे व बीमार गायों की सूचना देने लगे और हम गौ सेवा के लिये जाने लग गए लेकिन इस कार्य मे आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ा जिसके बाद हम लोगों ने हर सदस्य से प्रतिदिन ₹2 के योगदान देने की बात कहीं जिसके बाद सदस्यों ने इस पहल को सराहा और कस्बे में प्रतिष्ठानों पर करमेति बाई गौ सेवा समिति के नाम का दानपात्र रखने का निर्णय लिया उससे भी बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ।धीरे-धीरे लोगों को पता चला और कस्बे सहित आसपास वह बाहर रहने वाले नागरिक भी हमसे जुड़ने लगे जिसके बाद समिति द्वारा जगह जगह गायों के लिए पानी की खेलियाँ , टीन शेड, चार दिवारी का निर्माण करवाया और बीमार गोवंश का इलाज करवाना उसे गोशाला में भिजवाने सहित रोजाना जाकर उस गोवंश की देखभाल करने लगे।समिति को बीमार गोवंश और गायों जिनका इलाज यहाँ सम्भव नहीं था उनको अन्य स्थानों पर चिकित्सालय में भेजने के लिए एम्बुलेंस की आवश्यकता महसूस हुई पर समिति के पास पैसों का अभाव था इस दौरान पलसाना रोड पर स्थित गणेशधाम परिसर में चल रही भागवत गीता के कार्यक्रम में मंच से इसकी धोषणा की करमेति बाई गौ सेवा समिति गौसेवा का कार्य करती है जिसको लेकर एम्बुलेंस की आवश्यकता महसूस हो रही है जो कोई भी मदद करना चाहे कर सकता है। उसी समय गोयल परिवार ने एक लाख रुपये एम्बुलेंस के लिए देने के धोषणा की उसके बाद समिति के निरन्तर प्रयासों और सभी के सहयोग से एम्बुलेंस लाई गई। जो अब बीमार एवं दुर्धटनाग्रस्त गायों को गौशाला और चिकित्सालय में पहुँचाने का कार्य करती है।समिति ने घर घर जाकर शेष खाने को एकत्रित करने की व्यवस्था की भी शुरुआत की जो सफल रही है।समिति के सदस्य श्यामसुंदर गोयल ने बताया कि कापड़िया बगीची के महाराज अभयदास जी भी समिति की सहायता और गौ सेवा व धायल व बीमार गायों के इलाज करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।समिति आमजन को गौसेवा के लिए जागृत करने के लिए अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का जिनमे गायत्री यज्ञ, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा पाठ सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करवाती रहती है। अभी 31 दिसम्बर को समिति द्वारा ही 51000 हजार हनुमान चालीसा महाअनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किया गया था। समिति के द्वारा संचालित एम्बुलेंस कस्बे सहित 10 किलोमीटर क्षेत्र में कार्य करती है।समिति की मुख्य विशेषता यह है कि समिति क्षेत्र की सभी गौशालाओं में गौसेवा का कार्य करती रहती है।

बाईट-पवन कुमार अग्रवाल(खेड़ी वाले)करमेति बाई गौ सेवा समिति के सदस्य

बाईट-श्यामसुंदर गोयल करमेति बाई गौ सेवा समिति के सदस्यConclusion:खण्डेला (सीकर)

करमेति बाई गौ सेवा समिति की कहानी

चार सदस्यों से शुरुआत हुई समिति की आज दो सो पचास से ज्यादा सदस्य शामिल

समिति गौ सेवा को लेकर निरन्तर कर रही कार्य

समिति के इस कार्य को कस्बेवासियों ने भी सहारा और कर रहे सहयोग

समिति गौ सेवा के साथ साथ करती रहती है धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन
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