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Special: अनलॉक हुए सीकर के स्कूलों में स्वच्छता की चुनौती, अपने स्तर पर कर रहे व्यवस्था, कहीं बजट तो कई सफाईकर्मी का अभाव - school of sikar

कोरोना काल में लंबे समय तक बंद रहे स्कूल एक बार बच्चों से गुलजार हो गए हैं लेकिन स्कूलों पर बच्चों को संक्रमण से मुक्त रखने की बड़ी जिम्मेदारी है. स्कूलों में साफ-सफाई की व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान रखा जा रहा है लेकिन बजट के अभाव और सफाई कर्मचारियों की कमी के कारण स्कूलों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

सीकर न्यूज, Sikar news
अनलॉक हुए सीकर के स्कूलों में स्वच्छता की चुनौती
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Published : Feb 11, 2021, 11:11 PM IST

सीकर. कोरोना काल में लंबे समय तक बंद रहे स्कूल अब खुल चुके हैं. लंबे समय तक घर पर ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े बच्चे भी लगभग पूरी संख्या में स्कूलों में जाने लगे हैं. एक साथ बच्चों के स्कूल पहुंचने के बाद अब यहां बच्चों को संक्रमण से बचाना और स्वच्छता बनाए रखना बड़ी चुनौती है.

अनलॉक हुए सीकर के स्कूलों में स्वच्छता की चुनौती

सीकर जिले के सरकारी स्कूलों की बात करें तो यहां भले ही स्कूल प्रबंधन और स्टाफ ने अच्छी व्यवस्था कर रखी है लेकिन पूरी व्यस्था स्कूलों के खुद के भरोसे है. सरकार ने इसके लिए कोई अतिरिक्त बजट जारी नहीं किया है. हालांकि, सीकर जिले के स्कूलों में स्वच्छता के अच्छे बंदोबस्त किए गए हैं. बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए सभी प्रयास किए गए हैं लेकिन बजट या तो स्कूल विकास समिति से स्कूल की सीएसडी से ही खर्च किया जा रहा है. स्कूलों में ज्यादात्तर जगह सफाईकर्मीं भी नहीं है. इनकी व्यवस्था भी स्कूलों को अपने स्तर पर ही करनी पड़ रही है. ये कर्मचारी नहीं होने से सफाई समय पर नहीं पाती है.

पढ़ेंः Special: गुटबाजी में डूबी कांग्रेस की नैया... 1990 के बाद से लगातार झेल रही हार, इस बार तो मुखिया का दावेदार ही नहीं मिला

स्कूलें खुलने के बाद ईटीवी भारत ने सीकर में स्कूल व्यवस्थाओं को जायजा लिया. शहर के सरकारी स्कूलों में उनके प्रबंधन ने माकूल बंदोबस्त कर रखे हैं. बच्चों को मास्क लगाकर ही प्रवेश दिया जा रहा है. स्कूलों के गेट पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है और क्लास रूम में भी जहां तक संभव है. बच्चों को सोशल डिस्टेसिंग से ही बिठाया जा रहा है. इन स्कूलों में यह व्यवस्था या तो स्कूल के खुद के बजट से की गई है या फिर कुछ शिक्षक खुद इसका पैसा दे रहे हैं. स्कूलों में मास्क की व्यवस्था भी गई है.

सीकर शहर के हरदयाल स्कूल और महात्मा गांधी इंगलिश मीडियम स्कूल में सबसे बेहतर व्यवस्था मिली. बच्चों का कहना है कि उनके स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. स्कूलों के शौचालय भी साफ मिले.

बजट मिले तो और भी बेहतर हो सकती हैं व्यवस्थाएं

स्कूलों के स्टाफ का कहना है कि उन्होंने स्वच्छता की पूरी व्यवस्था कर रखी है. इसका पूरा खर्चा स्कूल से उठाया जा रहा है. हालांकि बजट को लेकर किसी भी शिक्षक ने कैमरे के सामने कुछ भी नहीं कहा लेकिन उनका कहना है कि अतिरिक्त बजट मिले तो और बेहतर व्यवस्थाएं हो सकती हैं. अभी स्कूलों में छोटे बच्चे भी आने लगे हैं इसलिए उनका ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है.

28 साल से नहीं हुई सफाई कर्मचारियों की भर्ती

प्रदेश में शिक्षा विभाग में लगभग 28 साल से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है. 1993 में सरकार ने सफाईकर्मियों को नियमित किया था. पुराने कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं. अब ज्यादात्तर स्कूलों में सफाई करने के लिए बाहर से ही किसी को बुलाना पड़ता है. ऐसे में कई जगह सफाई नहीं हो पाती है. ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों सबसे ज्यादा समस्या आती है.

सीकर. कोरोना काल में लंबे समय तक बंद रहे स्कूल अब खुल चुके हैं. लंबे समय तक घर पर ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े बच्चे भी लगभग पूरी संख्या में स्कूलों में जाने लगे हैं. एक साथ बच्चों के स्कूल पहुंचने के बाद अब यहां बच्चों को संक्रमण से बचाना और स्वच्छता बनाए रखना बड़ी चुनौती है.

अनलॉक हुए सीकर के स्कूलों में स्वच्छता की चुनौती

सीकर जिले के सरकारी स्कूलों की बात करें तो यहां भले ही स्कूल प्रबंधन और स्टाफ ने अच्छी व्यवस्था कर रखी है लेकिन पूरी व्यस्था स्कूलों के खुद के भरोसे है. सरकार ने इसके लिए कोई अतिरिक्त बजट जारी नहीं किया है. हालांकि, सीकर जिले के स्कूलों में स्वच्छता के अच्छे बंदोबस्त किए गए हैं. बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए सभी प्रयास किए गए हैं लेकिन बजट या तो स्कूल विकास समिति से स्कूल की सीएसडी से ही खर्च किया जा रहा है. स्कूलों में ज्यादात्तर जगह सफाईकर्मीं भी नहीं है. इनकी व्यवस्था भी स्कूलों को अपने स्तर पर ही करनी पड़ रही है. ये कर्मचारी नहीं होने से सफाई समय पर नहीं पाती है.

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स्कूलें खुलने के बाद ईटीवी भारत ने सीकर में स्कूल व्यवस्थाओं को जायजा लिया. शहर के सरकारी स्कूलों में उनके प्रबंधन ने माकूल बंदोबस्त कर रखे हैं. बच्चों को मास्क लगाकर ही प्रवेश दिया जा रहा है. स्कूलों के गेट पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है और क्लास रूम में भी जहां तक संभव है. बच्चों को सोशल डिस्टेसिंग से ही बिठाया जा रहा है. इन स्कूलों में यह व्यवस्था या तो स्कूल के खुद के बजट से की गई है या फिर कुछ शिक्षक खुद इसका पैसा दे रहे हैं. स्कूलों में मास्क की व्यवस्था भी गई है.

सीकर शहर के हरदयाल स्कूल और महात्मा गांधी इंगलिश मीडियम स्कूल में सबसे बेहतर व्यवस्था मिली. बच्चों का कहना है कि उनके स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. स्कूलों के शौचालय भी साफ मिले.

बजट मिले तो और भी बेहतर हो सकती हैं व्यवस्थाएं

स्कूलों के स्टाफ का कहना है कि उन्होंने स्वच्छता की पूरी व्यवस्था कर रखी है. इसका पूरा खर्चा स्कूल से उठाया जा रहा है. हालांकि बजट को लेकर किसी भी शिक्षक ने कैमरे के सामने कुछ भी नहीं कहा लेकिन उनका कहना है कि अतिरिक्त बजट मिले तो और बेहतर व्यवस्थाएं हो सकती हैं. अभी स्कूलों में छोटे बच्चे भी आने लगे हैं इसलिए उनका ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है.

28 साल से नहीं हुई सफाई कर्मचारियों की भर्ती

प्रदेश में शिक्षा विभाग में लगभग 28 साल से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है. 1993 में सरकार ने सफाईकर्मियों को नियमित किया था. पुराने कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं. अब ज्यादात्तर स्कूलों में सफाई करने के लिए बाहर से ही किसी को बुलाना पड़ता है. ऐसे में कई जगह सफाई नहीं हो पाती है. ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों सबसे ज्यादा समस्या आती है.

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