सीकर. ब्रिटिश शासन की समाप्ति और राजाओं के शासन का राज्य सरकारों में विलीनीकरण के बाद गांवों, पंचायतों और नगर पालिकाओं में रामलीला को प्रारंभ किया गया था. वैसे तो कई स्थानों पर रामलीलाओं का मंचन किया जाता है. लेकिन सीकर शहर की रामलीला की खासियत यह है कि इसमें प्रेाफेशनल लोग नहीं, बल्कि शहर के लोग ही रामलीला के प्रसंगों का मंचन करते हैं.
शहर में पिछले 68 साल से होने वाली रामलीला इस बार नहीं हो रही है. कोरोना की वजह से रामलीला का कार्यक्रम निरस्त किया गया है. सांस्कृतिक मंडल सीकर की ओर से आयोजित होने वाली रामलीला में डेढ़ सौ से ज्यादा कलाकार अभिनय करते थे और आसपास के हजारों लोग हर दिन रामलीला देखने के लिए आते थे. लेकिन इस बार रामलीला नहीं होने की वजह से कलाकारों में निराशा है.
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जानकारी के मुताबिक सीकर में साल 1953 में सांस्कृतिक कला मंडल का गठन हुआ था. इस मंडल के गठन के बाद उसी साल दशहरे का पर्व मनाया गया. इसके बाद साल 1954 से रामलीला शुरू हुई, जो माजी साहब के कुएं पर आयोजित होती थी. इसके बाद साल 1962 में रामलीला मैदान में कल्याण रंग मंच बनाया गया और तब से लेकर साल 2019 तक हर साल यहां पर रामलीला का आयोजन हुआ है.
150 कलाकार बिना किसी फीस के करते हैं अभिनय
सीकर की रामलीला की खास बात यह है कि यहां पर सीकर शहर के ही करीब डेढ़ सौ कलाकार निशुल्क अभिनय करते हैं और सभी कलाकार यहीं से चुने जाते हैं. पूरे साल इन कलाकारों को रामलीला का इंतजार रहता है.
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गणेश चतुर्थी से शुरू होती थी तैयारी
सीकर के रामलीला के कलाकार गणेश चतुर्थी से ही अपनी तैयारी शुरू कर देते थे. करीब दो महीने तक कलाकार तैयारी करते थे. ज्यादातर कलाकार सीकर शहर के ही रहने वाले हैं. कलाकारों का कहना है कि पूरी साल में ये दो महीने ऐसे होते थे, जब सभी कलाकार आपस में एक दूसरे से मिलते थे.