सीकर. कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में फैला हुआ है. कई हंसते खेलते परिवार इससे तबाह हो चुके हैं, जिन लोगों ने इस महामारी से अपनों को खोया है. उनसे ज्यादा इस बीमारी का दर्द कोई नहीं समझ सकता. कई परिवार ऐसे हैं, जिनमें दो दो तीन तीन लोगों की मौत हुई है. उसके बाद भी आज भी यह परिवार कोरोना वायरस की जंग में लोगों की जान बचाने के लिए आगे आ रहे हैं. ऐसे ही सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में रहने वाले खुशाल इंदौरिया और इनका पूरा परिवार एक कोरोना योद्धा हैं.
खुशाल इंदौरिया वह शख्स है, जिनके पिता और दादा दोनों की कोरोना वायरस ने जान ले ली थी. इनके परिवार में एक भी ऐसा सदस्य नहीं बचा, जो कोरोना वायरस से पॉजिटिव नहीं आया हो. पूरे परिवार को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. यह सब होने के बाद भी खुशाल इंदौरिया ने एक दिन पहले ही अपना प्लाज्मा डोनेट कर एक महिला की जान बचाई है.
जयपुर में भर्ती महिला की हालत गंभीर होने पर उसके परिजनों ने खुशहाल से संपर्क किया पिता और दादा को खोने वाले कुशाल ने बिना किसी डर के वहां जाकर प्लाज्मा डोनेट किया. इतना ही नहीं, खुशहाल के पूरे परिवार ने यह तय किया है कि जब भी किसी को प्लाज्मा की जरूरत पड़ेगी. वह उसके लिए जरूर डोनेट करेंगे. क्योंकि, जो उनके साथ हुआ है. वह किसी और के साथ नहीं हो.
7 अगस्त को खुशाल के दादा नवल इंदौरिया की तबीयत बिगड़ी थी. परिजनों ने उनका कोरोना वायरस का सैंपल करवाया. लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही उनकी मौत हो गई और मौत के बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन उसी दिन खुशहाल के पिता प्रीतम इंदौरिया की कोरोना वायरस की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई.
पिता को नहीं मिल पाया था प्लाज्मा
पूरे परिवार के सैंपल लिए जिन की पहली रिपोर्ट तो नेगेटिव आई. लेकिन दूसरी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. इसके बाद प्रीतम इंदौरिया को जयपुर के लिए रेफर किया गया था. जहां पर इलाज के दौरान मौत हो गई. उनको भी प्लाज्मा की जरूरत थी. लेकिन प्लाज्मा नहीं मिला और समय पर अगर प्लाज्मा मिल जाता तो जान बच सकती थी. खुशाल का कहना है कि उस वक्त हमें प्लाज्मा नहीं मिल पाया लेकिन अगर प्लाज्मा होता तो मेरे पिता बच सकते थे और इसी वजह से अब हम सब परिवार के लोग प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं.