सीकर. जिले में खरीफ की फसल की बुवाई का लक्ष्य इस बार चार लाख 85 हजार 700 हेक्टर में रखा गया है. कृषि विभाग ने इस बार माना है कि 27 हजार 646 हेक्टेयर में ज्यादा बुवाई होगी. यह इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि गांव के बाहर रहने वाले लोग ज्यादातर वापस आ चुके हैं और इस बार खेती-बाड़ी में ही सभी की रूचि है. जिले में सबसे ज्यादा बाजरे की बुवाई होती है. ऐसे में विभाग का मानना है कि इस बार 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर में बाजरे की बुवाई होगी.
फिलहाल मूंगफली की बुवाई चल रही है और जिले में करीब 22 हजार हेक्टेयर में इसकी बुवाई होनी है. इसके अलावा मूंग की बुवाई करीब 50 हजार हेक्टेयर में होगी और 31 हजार हेक्टेयर में चोला की बुवाई होगी. करीब 1 लाख हेक्टेयर में ग्वार की बुवाई होने का लक्ष्य रखा गया है. खरीफ की बुवाई के लिए बीज और खाद की उपलब्धता क्या रहेगी, इसको लेकर विभाग अभी से तैयारी कर रहा है.
विभाग का दावा- नहीं होगी खाद बीज की कमी
कृषि विभाग का दावा है कि भले ही जिले में बुवाई ज्यादा होगी, लेकिन किसानों के सामने बीज की कमी नहीं रहेगी. लॉकडाउन के दौरान भी बीज की जो कंपनियां हैं, वह चालू हैं. इसलिए पर्याप्त मात्रा में किसानों को बीज उपलब्ध करवाया जाएगा. जिले में आज भी विभाग के पास खाद की बात करें तो 7 हजार मीट्रिक टन यूरिया है और 4 हजार मीट्रिक टन डीएपी है. इसलिए खाद की कमी भी नहीं रहेगी. विभाग का दावा है कि बीज और खाद की कालाबाजारी नहीं करने दी जाएगी, इसके लिए अभी से टास्क फोर्स बनाई हुई है.
व्यापारी बोले कंपनियों में नहीं हो रहा पूरा उत्पादन
विभाग के दावे के उलट बीज व्यापारियों का कहना है कि बीज कंपनियों में जितना उत्पादन होना चाहिए, उतना नहीं हो रहा है. क्योंकि काफी संख्या में मजदूर पलायन कर चुके हैं, इसलिए वहां काम कम चल रहा है. इस बार किसानों को ज्यादातर अपने घर के बीज पर ही निर्भर रहना पड़ सकता है.
किसान बोले- गुणवत्ता को लेकर लगता है डर मिट्टी की जांच भी नहीं हो रही
खाद और बीज को लेकर किसानों की पीड़ा यह है कि बीज की गुणवत्ता को लेकर पहले भी जिले में कई बार सवाल उठे हैं और किसानों को घटिया बीज बांटने का आरोप भी लगे हैं. अभी भी किसानों को बीज की गुणवत्ता को लेकर डर सता रहा है. दूसरी तरफ मिट्टी की जांच समय पर नहीं होने की वजह से भी किसान परेशानी में हैं.