सीकर. जिले में कड़ाके की ठंड का दौर चल रहा है. पिछले दो दिन से लगातार तापमान माइनस में है. इस सर्दी की वजह से सबसे ज्यादा परेशान अगर कोई है तो वह हैं यहां के किसान. पिछले कुछ सालों के तापमान के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो दिसंबर का तीसरा-चौथा सप्ताह और जनवरी का दूसरा सप्ताह जिले के किसानों के लिए घातक है.
आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा सर्दी इसी समय पड़ी है और लगातार तापमान भी माइनस में रहा है. इस वजह से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. कृषि विशेषज्ञ से बात करें तो इस समय में किसानों को सबसे ज्यादा सजग रहने की जरूरत है और अपने पेड़ पौधों और फसलों को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है. ईटीवी भारत कृषि विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर किसानों के लिए सर्दी से बचाव और फसलों के उपचार के तरीके बता रहा है.
पढे़ंः ये राजनीति है...जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं: CM अशोक गहलोत
जिले के तापमान की बात करें तो पिछले 6 साल में दिसंबर के तीसरे और चौथे सप्ताह में और जनवरी के दूसरे सप्ताह में तापमान सबसे ज्यादा बार माइनस में गया है. मौसम विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इलाके की जलवायु के हिसाब से इसी समय सबसे ज्यादा तापमान कम रहता है. तापमान माइनस में जाने की वजह से फसलों पर जलने का खतरा रहता है और बड़े पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है. इसलिए दिसंबर के तीसरे और चौथे सप्ताह और जनवरी के दूसरे सप्ताह में यहां के किसानों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है.
इस तरह करें फसलों का बचाव
सीकर के कृषि कॉलेज के डीन डॉ. एस आर ढाका का कहना है कि सर्दी से बचाव के लिए किसानों को कुछ विशेष इंतजाम करने की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि जब पाला पड़ने की आशंका हो और तापमान माइनस में जाने की आशंका हो तो रात को 12:00 से 2:00 के बीच अपने खेत की उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर धुंआ करें. धुएं से फसलों को पाले से बचाया जा सकता है. इसके साथ-साथ अगर नर्सरी है तो उसमें उत्तर और पश्चिम की तरफ टाट लगाई जा सकती है. गेहूं, जौ और चने की फसल को पाले से बचाने के लिए उस पर गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत घोल मिलाकर छिड़काव करें.
पाले के बाद लग सकती है कई गंभीर बीमारियां, इस तरह करें बचाव
कृषि विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और कृषि रोग विशेषज्ञ एमए खान का कहना है कि पाला के दौरान तो फसलों में रोग लगने की संभावना नहीं होती है, लेकिन इसके बाद फसलों में कई तरह की संक्रामक बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए उनसे बचाव जरूरी है. उन्होंने कहा कि पाला पड़ने के बाद सरसों, मेथी और चने की फसल में सबसे ज्यादा रोग लगने की संभावना होती है. इसके लिए किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए और इसके साथ साथ दवाइयों का छिड़काव भी करना चाहिए.
पढे़ंः सीकर में सर्दी का थर्ड डिग्री टॉर्चर, माइनस 1.8 डिग्री तापमान दर्ज
2018 में 13 दिन माइनस में था तापमान
मौसम विशेषज्ञ केसी वर्मा का कहना है कि सीकर जिले में दिसंबर के तीसरे-चौथे सप्ताह और जनवरी के दूसरे सप्ताह में तापमान सबसे कम रहता है. इस दौरान तापमान माइनस में रहता है. इस बार दिसंबर के महीने में अब तक दो बार तापमान जमाव बिंदु से नीचे जा चुका है, लेकिन 2018 में सबसे लंबा तापमान माइनस में रहा था और दिसंबर के महीने में 13 दिन तापमान माइनस में था.