सीकर. अजीतगढ़ में पद्मश्री से सम्मानित किसान जगदीश पारीक अपने खेत में फसल के नुकसान के लिये जिम्मेदार कारक, मौसम , मिट्टी की उर्वरक क्षमता, फंगस और कीट जैसे तत्वों को हटाने के लिये रसायनों के प्रयोग से ज्यादा पारंपरिक तरीकों के इस्तेमाल पर जोर देते हैं. ताकि जमीन का उपजाऊपन बरकरार रहे और ज्यादा से ज्यादा उपज को हासिल किया जा सकें.
25 किलो 150 ग्राम का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा गोभी का फूल
बता दें कि किसान जगदीश पारीक को साढ़े 11 किलो की गोभी का फूल तैयार करने पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना स्थान काबिज किया है. यहीं नहीं इसके बाद उन्होंने विश्व में दूसरा सबसे बड़ा गोभी का फूल, जो लगभग 25 किलो 150 ग्राम का था वो भी विकसित किया था. जिसको किसान जगदीश पारीक ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को सौंपा था. जगदीश पारीक मैम्बर ऑफ ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव फॉर्मर्स संगठन का भी हिस्सा है.
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ईटीवी भारत की पद्मश्री जगदीश पारीक से खास बातचीत
ईटीवी भारत से बात करते हुए किसान जगदीश पारिक ने बताया कि साल 1970 से लेकर अब तक उन्होंने अपने खेत पर रासायनिक खाद का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया. जगदीश पारीक से बातचीत के दौरान उनके इन पारंपरिक नुस्खों को करीब से समझाया. किसान जगदीश पारीक की जैविक खेती के फॉर्मूले का मतलब यह है कि खेत में मौजूद दीमक, कीट और कीटाणु को बिना नुकसान पहुंचाए ही ऑर्गेनिक फार्मिंग का सपना साकार हो सकता है.
अजीतगढ़ सलेक्शन फर्स्ट दिया गोभी के बीज को नाम
किसान जगदीश की पहचान गोभी उत्पादक और विकसित करने वाले किसान के रूप में भी है. उनके खेत में तैयार गोभी के बीज को अजीतगढ़ सलेक्शन फर्स्ट के रूप में जोबनेर स्थिति महाराज नरेन कर्ण कृषि विश्वविद्यालय से अप्रूवल मिला हुआ है. जिसका जल्द पेटेंट भी हो जाएगा. जगदीश पारीक का दावा है कि राजस्थान के मौसम में गोभी के बीज का उत्पादन नहीं किया जा सकता है, वह राज्य के एक मात्र किसान हैं जिन्होंने इस बीज को तैयार किया है. उनके तैयार बीज 15 से लेकर 20 हजार रूपए प्रति किलो के भाव से बाजार में उपलब्ध हैं. उनके इस बीज का बड़ा वितरक NIF यानि नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन है.
सालाना 18 से 20 लाख रुपए की आय
करीब दो हैक्टेयर यानि लगभग 19 बीघा की खेती से जगदीश और उनका परिवार सीजन में 3 लाख रूपए महीना और सालाना 18 से 20 लाख रुपए की आय अर्जित कर रहा है. जब ईटीवी भारत जगदीश पारीक के खेत पर पहुंचा, तो वहां फल-सब्जी और अनाज की फसल को एक साथ देखा गया है.
ड्राई जोन होने के बावजूद वाटर रिचार्ज की अपनाते है शैली
जबकि जगदीश पारीक का खेत ड्राई जोन का हिस्सा है और आस-पास के लोग पानी की कमी के कारण खेती को छोड़कर रहे है. इस पर उन्होंने बताया कि बरसात के पानी से आने वाले बहाव को वह अपने खेत में डायवर्ट करते हैं, जिससे उनका कुआं रिचार्ज हो जाता है और सालभर वह उसी पानी का इस्तेमाल खेती के लिये करते हैं. एक बरसात के सीजन में वह तीन बार पानी की राह रोककर अपने खेत में मोड़ देते हैं. जिसे जमीन सोंख लेती है और उसी पानी से उनके खेत पर बना कुआं जीवंत हो जाता है.