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SPECIAL : बाबा श्याम का ऐसा भक्त...जो 19 महीने में 15 बार कर चुका है मुंबई से खाटू की पदयात्रा, 1300 किमी है दूरी - Khatu Shyam Padayatra

खाटू श्यामजी का वार्षिक लक्खी मेला परवान पर है. देश-विदेश से बाबा श्याम के भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे ही अनूठे भक्त हैं चंद्रप्रकाश, जो हर महीने 1300 किलोमीटर से ज्यादा की पदयात्रा कर खाटू पहुंचते हैं.

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खाटू श्यामजी के अनोखे भक्त हैं चंद्रप्रकाश
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Published : Mar 24, 2021, 7:00 PM IST

सीकर. खाटू श्यामजी का वार्षिक लक्खी मेला परवान पर है. देश-विदेश से बाबा श्याम के भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे ही अनूठे भक्त हैं चंद्रप्रकाश जो हर महीने 1300 किलोमीटर से ज्यादा की पदयात्रा कर खाटू पहुंचते हैं. मिलिए भक्त चंद्रप्रकाश से....

खाटू श्यामजी के अनोखे भक्त हैं चंद्रप्रकाश

चंद्रप्रकाश ने 19 महीने पहले यह सफर शुरू किया था और अब तक 15 बार मुंबई से खाटू तक की पदयात्रा कर चुके हैं. सीकर जिले के फतेहपुर इलाके के ढाढ़न गांव के रहने वाले चंद्रप्रकाश सिविल इंजीनियर थे. भजन गायकी का जुनून था और सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ भजन गायन करने लगे. इसके बाद कोलकाता और मुंबई में रहकर बाबा श्याम के भजन कीर्तन करने लगे.

पढ़ें- खाटू के श्याम धणी का अनोखा सिंगार : थाईलैंड और बेंगलुरु तक से आ रहे फूल.....दिन-रात जुटे हैं बंगाली कारीगर

चंद्रप्रकाश बताते हैं कि 2 साल पहले उनका दुनिया से मोहभंग होने लगा और हर वक्त यह मन करने लगा कि बाबा श्याम की भक्ति ही करें. इसी दौरान अचानक से उन्होंने मुंबई से खाटू तक पदयात्रा करने का फैसला कर लिया. अप्रैल 2019 में उनकी पहली पदयात्रा शुरू हुई. मुंबई से खाटू की दूरी 1300 किलोमीटर से ज्यादा है. इसलिए यह यात्रा आसान नहीं थी.

पहली यात्रा में जगह-जगह श्याम भक्तों ने उनका स्वागत किया और बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए. इस वजह से वह यात्रा 4 महीने में पूरी हो पाई. लेकिन इसके बाद चंद्रप्रकाश हर महीने यात्रा करने लगे. कोरोना वायरस की वजह से जब देश भर में लॉकडाउन किया गया तब उनकी यात्रा बंद हो गई. उसके बाद फिर से यात्रा शुरू कर दी और पिछले 19 महीने में 15 यात्रा कर चुके हैं.

पढ़ें- एक कमरे से कंट्रोल हो रहा खाटू का लक्खी मेला...240 कैमरे बता रहे इस बार आस्था पर भारी है कोरोना

हर महीने मुंबई से पैदल खाटू आते हैं. जिसमें उन्हें 22 से 23 दिन लगते हैं. खाटू में बाबा श्याम को निशान चढ़ाने के बाद वापस हवाई जहाज से मुंबई जाते हैं. तीन-चार दिन वहां भजन गाते हैं और उसके बाद फिर से खाटू के लिए रवाना हो जाते हैं. चंद्रप्रकाश बताते हैं कि उनका पूरा खर्चा भजन गायन से चलता है और किसी से एक रुपया भी नहीं लेते हैं. चंद्रप्रकाश का कहना है कि जब तक श्याम बाबा चाहेंगे उनकी पदयात्रा जारी रहेगी. एकादशी पर बाबा श्याम को निशान चढ़ाने के बाद वे वापस मुंबई जाएंगे और सोलहवीं यात्रा शुरू करेंगे.

सीकर. खाटू श्यामजी का वार्षिक लक्खी मेला परवान पर है. देश-विदेश से बाबा श्याम के भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे ही अनूठे भक्त हैं चंद्रप्रकाश जो हर महीने 1300 किलोमीटर से ज्यादा की पदयात्रा कर खाटू पहुंचते हैं. मिलिए भक्त चंद्रप्रकाश से....

खाटू श्यामजी के अनोखे भक्त हैं चंद्रप्रकाश

चंद्रप्रकाश ने 19 महीने पहले यह सफर शुरू किया था और अब तक 15 बार मुंबई से खाटू तक की पदयात्रा कर चुके हैं. सीकर जिले के फतेहपुर इलाके के ढाढ़न गांव के रहने वाले चंद्रप्रकाश सिविल इंजीनियर थे. भजन गायकी का जुनून था और सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ भजन गायन करने लगे. इसके बाद कोलकाता और मुंबई में रहकर बाबा श्याम के भजन कीर्तन करने लगे.

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चंद्रप्रकाश बताते हैं कि 2 साल पहले उनका दुनिया से मोहभंग होने लगा और हर वक्त यह मन करने लगा कि बाबा श्याम की भक्ति ही करें. इसी दौरान अचानक से उन्होंने मुंबई से खाटू तक पदयात्रा करने का फैसला कर लिया. अप्रैल 2019 में उनकी पहली पदयात्रा शुरू हुई. मुंबई से खाटू की दूरी 1300 किलोमीटर से ज्यादा है. इसलिए यह यात्रा आसान नहीं थी.

पहली यात्रा में जगह-जगह श्याम भक्तों ने उनका स्वागत किया और बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए. इस वजह से वह यात्रा 4 महीने में पूरी हो पाई. लेकिन इसके बाद चंद्रप्रकाश हर महीने यात्रा करने लगे. कोरोना वायरस की वजह से जब देश भर में लॉकडाउन किया गया तब उनकी यात्रा बंद हो गई. उसके बाद फिर से यात्रा शुरू कर दी और पिछले 19 महीने में 15 यात्रा कर चुके हैं.

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हर महीने मुंबई से पैदल खाटू आते हैं. जिसमें उन्हें 22 से 23 दिन लगते हैं. खाटू में बाबा श्याम को निशान चढ़ाने के बाद वापस हवाई जहाज से मुंबई जाते हैं. तीन-चार दिन वहां भजन गाते हैं और उसके बाद फिर से खाटू के लिए रवाना हो जाते हैं. चंद्रप्रकाश बताते हैं कि उनका पूरा खर्चा भजन गायन से चलता है और किसी से एक रुपया भी नहीं लेते हैं. चंद्रप्रकाश का कहना है कि जब तक श्याम बाबा चाहेंगे उनकी पदयात्रा जारी रहेगी. एकादशी पर बाबा श्याम को निशान चढ़ाने के बाद वे वापस मुंबई जाएंगे और सोलहवीं यात्रा शुरू करेंगे.

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