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स्पेशल रिपोर्ट: नागौर का अनूठा गो चिकित्सालय, जहां OT से लेकर ICU तक की सुविधा, बीमार गायों का होता है आधुनिक तरीके से उपचार

नागौर का गो चिकित्सालय पूरे प्रदेश के लिए मिसाल है. यहां बीमार गायों का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है. दरअसल, यहां OT से लेकर ICU तक की सुविधा हैं. इस अस्पताल में 1500 से ज्यादा गायों कोई एक साथ रखा जा सकता है. इस चिकित्सालय में बीमार या घायल गाय कोई लाता है तो उसके स्वस्थ्य का पूरा ध्यान दिया जाता है. यहां गायों के अलावा जंगली जानवर-पक्षियों को भी इलाज मिलता है.

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Published : Oct 13, 2019, 2:22 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 7:47 PM IST

Nagaur Special Report , Nagaur Cow Hospital

नागौर. एक ओर राजनीतिक लिहाज से हमेशा चर्चा में रहने वाले नागौर की दूसरी नई पहचान गो चिकित्सालय है. नागौर के विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय जहां बीमार गायों को निशुल्क उपचार दिया जाता है. दरअसल नागौर में 12 साल पहले बना यह गौ चिकित्सालय अब इतना बड़ा हो चुका है और इतना अनूठा है कि इसमें अब एक साथ 15 सौ बीमार गायों को रखा जा सकता है. यहां बीमार गाय जिसमें चाहे वह घायल हो या फिर उसका कोई अंग भंग हो. उसका पूरा इलाज किया जाता है. अगर किसी गाय का इलाज होना संभव नहीं होता है तो तब तक इस गो चिकित्सालय में उसकी सेवा और इलाज किया जाता है. जब तक कि उसकी मृत्यु ना हो जाए. वहीं स्वस्थ हो जाने पर उसे वापस उसके मालिक को दे दिया जाता है.

नागौर के इस गो चिकित्सालय में बीमार गायों का होता है आधुनिक तरीके इलाज

18 एंबुलेंस हर समय जानवरों के लिए तैयार
इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय लाकर इस गो चिकित्सालय में देता है तो उसे उसके बदले में स्वस्थ गाय दे दी जाती है. दुर्गेश गो चिकित्सालय में एक साथ अट्ठारह सौ बीमार गायों को रखने की क्षमता है और इन बीमारियों के उपचार भी पूरे आधुनिक तरीके से किया जाता है. बकायदा गायों के लिए ऑपरेशन थिएटर से लेकर आईसीयू तक बने हुए हैं. यहां पर लगी 18 एंबुलेंस हर समय बीमार गायों और जानवरों को लाती रहती है और 200 किलोमीटर तक भी यदि किसी व्यक्ति का फोन बीमार गाय को लेकर आता है तो वहां से भी यह एंबुलेंस बीमार गाय को लेकर आती है. इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय को अपने खर्च से इस गो चिकित्सालय में लेकर आता है तो उसका भुगतान भी उस व्यक्ति को किया जाता है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: देश का पहला ऐसा गांव, जिसके लिए तैयार हुआ प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव के विकास का प्लान

अस्पताल का 5 से 6 लाख का रोजाना खर्च
यहां ना केवल गाय बल्कि अन्य कोई जंगली जानवर भी बीमार होता है और इस गो चिकित्सालय में लाया जाता है तो उसका भी पूरा इलाज किया जाता है. खास बात यह है इन जानवरों में हिरण, बाज, कछुए, बंदर सभी जानवर शामिल है. जिन्हें उनकी आवश्यकता अनुसार उपयुक्त भोजन दिया जाता है. इस गौ चिकित्सालय का पूरा खर्च दानदाताओं के दान के आधार पर चलता है. रोजाना इस गौ चिकित्सालय पर करीब 5 से 6 लाख का खर्च आ रहा है. जो केवल दानदाताओं के हिसाब से ही हो रहा है.

बीमार गायों का आधुनिक तरीके से होता है उपचार

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: 1500 परिवार का मुआवजा बना ताकली बांध परियोजना पर नासूर..13 सालों से किसानों को पानी का इंतजार

12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर हुए प्रशिक्षित

गो चिकित्सालय में बीते 12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर प्रशिक्षित होकर अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं. गो चिकित्सालय का लक्ष्य है कि जल्द ही 5000 से प्रशिक्षित तैयार कर दिया जाए. अगर कोई चिकित्सक डॉ यहां रहकर गायों की सेवा करना चाहता है तो उसे इसका भी मौका दिया जाता है.

नागौर. एक ओर राजनीतिक लिहाज से हमेशा चर्चा में रहने वाले नागौर की दूसरी नई पहचान गो चिकित्सालय है. नागौर के विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय जहां बीमार गायों को निशुल्क उपचार दिया जाता है. दरअसल नागौर में 12 साल पहले बना यह गौ चिकित्सालय अब इतना बड़ा हो चुका है और इतना अनूठा है कि इसमें अब एक साथ 15 सौ बीमार गायों को रखा जा सकता है. यहां बीमार गाय जिसमें चाहे वह घायल हो या फिर उसका कोई अंग भंग हो. उसका पूरा इलाज किया जाता है. अगर किसी गाय का इलाज होना संभव नहीं होता है तो तब तक इस गो चिकित्सालय में उसकी सेवा और इलाज किया जाता है. जब तक कि उसकी मृत्यु ना हो जाए. वहीं स्वस्थ हो जाने पर उसे वापस उसके मालिक को दे दिया जाता है.

नागौर के इस गो चिकित्सालय में बीमार गायों का होता है आधुनिक तरीके इलाज

18 एंबुलेंस हर समय जानवरों के लिए तैयार
इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय लाकर इस गो चिकित्सालय में देता है तो उसे उसके बदले में स्वस्थ गाय दे दी जाती है. दुर्गेश गो चिकित्सालय में एक साथ अट्ठारह सौ बीमार गायों को रखने की क्षमता है और इन बीमारियों के उपचार भी पूरे आधुनिक तरीके से किया जाता है. बकायदा गायों के लिए ऑपरेशन थिएटर से लेकर आईसीयू तक बने हुए हैं. यहां पर लगी 18 एंबुलेंस हर समय बीमार गायों और जानवरों को लाती रहती है और 200 किलोमीटर तक भी यदि किसी व्यक्ति का फोन बीमार गाय को लेकर आता है तो वहां से भी यह एंबुलेंस बीमार गाय को लेकर आती है. इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय को अपने खर्च से इस गो चिकित्सालय में लेकर आता है तो उसका भुगतान भी उस व्यक्ति को किया जाता है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: देश का पहला ऐसा गांव, जिसके लिए तैयार हुआ प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव के विकास का प्लान

अस्पताल का 5 से 6 लाख का रोजाना खर्च
यहां ना केवल गाय बल्कि अन्य कोई जंगली जानवर भी बीमार होता है और इस गो चिकित्सालय में लाया जाता है तो उसका भी पूरा इलाज किया जाता है. खास बात यह है इन जानवरों में हिरण, बाज, कछुए, बंदर सभी जानवर शामिल है. जिन्हें उनकी आवश्यकता अनुसार उपयुक्त भोजन दिया जाता है. इस गौ चिकित्सालय का पूरा खर्च दानदाताओं के दान के आधार पर चलता है. रोजाना इस गौ चिकित्सालय पर करीब 5 से 6 लाख का खर्च आ रहा है. जो केवल दानदाताओं के हिसाब से ही हो रहा है.

बीमार गायों का आधुनिक तरीके से होता है उपचार

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: 1500 परिवार का मुआवजा बना ताकली बांध परियोजना पर नासूर..13 सालों से किसानों को पानी का इंतजार

12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर हुए प्रशिक्षित

गो चिकित्सालय में बीते 12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर प्रशिक्षित होकर अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं. गो चिकित्सालय का लक्ष्य है कि जल्द ही 5000 से प्रशिक्षित तैयार कर दिया जाए. अगर कोई चिकित्सक डॉ यहां रहकर गायों की सेवा करना चाहता है तो उसे इसका भी मौका दिया जाता है.

Intro:नागौर का गो चिकित्सालय बना पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बीमार गायों का किया जाता है इस गौ चिकित्सालय में इलाज आधुनिक तरीके से 15:00 सौ से ज्यादा गायों कोई एक साथ रखा जा सकता है इस चिकित्सालय में बीमार गाय कोई लाता है तो उसे दी जाती है स्वस्थ गाय गायों के साथ ही जंगली जानवरों और पक्षियों को भी मिल रहा है इलाज रोजाना आता है पांच से छह लाख का खर्च जो दानदाताओं के दान से होता है वह


Body:राजस्थान का नागौर एक और राजनीतिक लिहाज से हमेशा चर्चा में रहता है तो दूसरी और नागौर की एक नई पहचान भी इन दिनों बन गई है और वह है नागौर का विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय जहां बीमार गायों को निशुल्क उपचार दिया जाता है दरअसल नागौर में 12 साल पहले बना यह गौ चिकित्सालय अब इतना बड़ा हो चुका है और इतना अनूठा है कि इसमें अब एक साथ 15 सौ बीमार गायों को रखा जा सकता है यहां बीमार गाय जिसमें चाहे वह घायल हो या फिर कैंसिल दोस्त हो या फिर उसका कोई अंग भंग हो उसका पूरा इलाज किया जाता है अगर किसी गाय का इलाज होना संभव नहीं होता है तो तब तक इस गो चिकित्सालय में उसकी सेवा और इलाज किया जाता है जब तक कि उसकी मृत्यु ना हो जाए स्वस्थ गाय हो जाने पर उसे वापस उसके मालिक को दे दिया जाता है इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय लाकर इस गो चिकित्सालय में देता है तो उसे उसके बदले में स्वस्थ गाय दे दी जाती है दुर्गेश गो चिकित्सालय में एक साथ अट्ठारह सौ बीमार गायों को रखने की क्षमता है और इन बीमारियों के उपचार भी पूरे आधुनिक तरीके से यहां किया जाता है बकायदा गायों के लिए ऑपरेशन थिएटर से लेकर आईसीयू तक बने हुए हैं यहां पर लगी 18 एंबुलेंस हर समय बीमार गायों और जानवरों को लाती रहती है और 200 किलोमीटर तक भी यदि किसी व्यक्ति का फोन बीमार गाय को लेकर आता है तो वहां से भी यह एंबुलेंस बीमार गाय को लेकर आती है इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बीमार गाय को अपने खर्च से इस गो चिकित्सालय में लेकर आता है तो उसका भुगतान भी उस व्यक्ति को किया जाता है न केवल गाय बल्कि अन्य कोई जंगली जानवर भी बीमार होता है और इस गो चिकित्सालय में लाया जाता है तो उसका भी पूरा इलाज किया जाता है खास बात यह है किन जानवरों में हिरण बाज गीत कछुए बंदर सभी जानवर शामिल है जिन्हें उनकी आवश्यकता अनुसार उपयुक्त भोजन दिया जाता है इस गौ चिकित्सालय का पूरा खर्च दानदाताओं के दान के आधार पर चलता है रोजाना इस गौ चिकित्सालय पर करीब 5 से ₹600000 का खर्च आ रहा है जो केवल दानदाताओं के हिसाब से ही हो रहा है इसको चिकित्सालय में बीते 12 साल में 800 डॉक्टर और कंपाउंडर प्रशिक्षित होकर अपने क्षेत्र में काम कर रहे हैं और गौ चिकित्सालय का लक्ष्य है कि जल्द ही 5000 से प्रशिक्षित तैयार कर दिया जाए अगर कोई चिकित्सक डॉ यहां रहकर गायों की सेवा करना चाहता है तो उसे इसका भी मौका दिया जाता है
वॉक थ्रू नागौर के गौ चिकित्सालय से जिसमें शार्ट और वाइट दोनों संलग्न है


Conclusion:
Last Updated : Oct 13, 2019, 7:47 PM IST
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