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राजस्थान से होकर गुजरेगा रेलवे का सतलज-संपर्क कॉरिडोर...रेल मंत्रालय ने शुरू किया सर्वे - राजस्थान की ताजा हिंदी खबरें

राजस्थान को जलेद ही रेलवे की ओर से प्रस्तावित सतलज-संपर्क कॉरिडोर की सौगात मिलने वाली है. इस कॉरिडोर का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा. इससे जहां राज्य में रेलवे सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी, वहीं प्रदेश के विकास को भी नई दिशा मिलेगी. देखिए यह खास रिपोर्ट.....

Railway network strengthened in Rajasthan, राजस्थान में रेलवे नेटवर्क मजबूत
राजस्थान से होकर गुजरेगा रेलवे का सतलज-संपर्क कॉरिडो
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Published : Dec 5, 2020, 8:01 PM IST

नागौर. रेलवे सुविधाओं के मामले में अब तक पिछड़ रहे राजस्थान के लिए अच्छी खबर है. राजस्थान को रेलवे की ओर से प्रस्तावित सतलज-संपर्क कॉरिडोर की सौगात मिलने वाली है. रेलवे की बेहद अहम इस कॉरिडोर योजना की कवायद शुरू हो चुकी है. इसका सर्वे कार्य प्रारंभ हो गया है. इस कॉरिडोर का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा, इससे जहां राज्य में रेलवे सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी, वहीं प्रदेश के विकास को भी नई दिशा मिलेगी.

राजस्थान से होकर गुजरेगा रेलवे का सतलज-संपर्क कॉरिडो

बता दें कि पिछले साल ही रेलवे की ओर से भटिंडा-हिसार-चूरू-रतनगढ़-डीडवाना-लाडनूं-डेगाना-जोधपुर-भीलड़ी रेलमार्ग को भारत के चौथे सबसे व्यस्त रूट (हाइली यूटिलाइज नेटवर्क 4) में शामिल किया गया है. यह रेलमार्ग बठिंडा-फिरोजपुर होते हुए कांडला पोर्ट के बीच सतलज-सम्पर्क कॉरिडोर योजना का हिस्सा है. यह रेलमार्ग 752 किलोमीटर लंबा है और इसका 60 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान के चुरू, नागौर, जोधपुर ओर जालोर जिलों से होकर गुजरेगा. वर्तमान में यह रेलमार्ग सिंगल ट्रैक है. जिसका अब दोहरीकरण किया जाएगा. दोहरीकरण कार्य के सर्वे के लिए रेलवे ने 9 करोड़ 40 लाख रुपए भी स्वीकृत किए हैं. इसके साथ ही इस रेलमार्ग को विद्युतीकृत किए जाने की भी योजना है.

दरअसल गुजरात के कांडला पोर्ट से राजस्थान, हरियाणा ओर पंजाब तक कच्चा माल लाने-ले जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सतलज-सम्पर्क कॉरिडोर योजना बनाई गई. इसी योजना के तहत रेलवे ने इस रेलमार्ग को भारत का चौथा सबसे व्यस्त रूट में शामिल किया. इसी उद्देश्य के तहत इस रेलमार्ग के दोहरीकरण की आवश्यकता जताई गई.

वर्तमान में इस रेलमार्ग के सिंगल ट्रैक होने के कारण ट्रेनों की क्रॉसिंग में अनावश्यक समय लग रहा है, वहीं मालगाड़ियां भी समय पर गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पा रही है. जिससे इसका दोहरीकरण किया जाना काफी आवश्यक हो गया है. हाल ही में उत्तर पश्चिम रेलवे की ओर से जारी किए गए रेलवे मैप में भी इस रेलमार्ग को प्रस्तावित दोहरीकरण योजना में दर्शाया गया है.

पढे़ं- केंद्रीय मंत्री शेखावत ने राज्यपाल से की शिष्टाचार भेंट, कहा- विकास का एजेंडा अब राजनीति की धुरी बन चुका है

इस रेलमार्ग के विकास के लिए दैनिक रेल यात्री ग्रुप के सदस्य लंबे समय से प्रयासरत हैं. अब इस रेलमार्ग के दोहरीकरण होने से चुरू, नागौर, जोधपुर ओर जालोर जिलों के रेलवे स्टेशनों के विकास होगा. इसके अलावा ट्रेनों का आवागमन सुगम होगा और ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी. वहीं ट्रेनों को क्रॉसिंग के लिए अलग-अलग स्टेशनों पर नहीं रोका जाएगा. इस रेलमार्ग पर स्थित नागौर जिले के डीडवाना, डेगाना, लाडनूं स्टेशनों के साथ ही चूरू जिले से लेकर हिसार तक का रेलवे नेटवर्क मजबूत होगा और उद्योग व्यापार सहित विकास के नए रास्ते खुलेंगे.

नागौर. रेलवे सुविधाओं के मामले में अब तक पिछड़ रहे राजस्थान के लिए अच्छी खबर है. राजस्थान को रेलवे की ओर से प्रस्तावित सतलज-संपर्क कॉरिडोर की सौगात मिलने वाली है. रेलवे की बेहद अहम इस कॉरिडोर योजना की कवायद शुरू हो चुकी है. इसका सर्वे कार्य प्रारंभ हो गया है. इस कॉरिडोर का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरेगा, इससे जहां राज्य में रेलवे सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी, वहीं प्रदेश के विकास को भी नई दिशा मिलेगी.

राजस्थान से होकर गुजरेगा रेलवे का सतलज-संपर्क कॉरिडो

बता दें कि पिछले साल ही रेलवे की ओर से भटिंडा-हिसार-चूरू-रतनगढ़-डीडवाना-लाडनूं-डेगाना-जोधपुर-भीलड़ी रेलमार्ग को भारत के चौथे सबसे व्यस्त रूट (हाइली यूटिलाइज नेटवर्क 4) में शामिल किया गया है. यह रेलमार्ग बठिंडा-फिरोजपुर होते हुए कांडला पोर्ट के बीच सतलज-सम्पर्क कॉरिडोर योजना का हिस्सा है. यह रेलमार्ग 752 किलोमीटर लंबा है और इसका 60 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान के चुरू, नागौर, जोधपुर ओर जालोर जिलों से होकर गुजरेगा. वर्तमान में यह रेलमार्ग सिंगल ट्रैक है. जिसका अब दोहरीकरण किया जाएगा. दोहरीकरण कार्य के सर्वे के लिए रेलवे ने 9 करोड़ 40 लाख रुपए भी स्वीकृत किए हैं. इसके साथ ही इस रेलमार्ग को विद्युतीकृत किए जाने की भी योजना है.

दरअसल गुजरात के कांडला पोर्ट से राजस्थान, हरियाणा ओर पंजाब तक कच्चा माल लाने-ले जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सतलज-सम्पर्क कॉरिडोर योजना बनाई गई. इसी योजना के तहत रेलवे ने इस रेलमार्ग को भारत का चौथा सबसे व्यस्त रूट में शामिल किया. इसी उद्देश्य के तहत इस रेलमार्ग के दोहरीकरण की आवश्यकता जताई गई.

वर्तमान में इस रेलमार्ग के सिंगल ट्रैक होने के कारण ट्रेनों की क्रॉसिंग में अनावश्यक समय लग रहा है, वहीं मालगाड़ियां भी समय पर गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पा रही है. जिससे इसका दोहरीकरण किया जाना काफी आवश्यक हो गया है. हाल ही में उत्तर पश्चिम रेलवे की ओर से जारी किए गए रेलवे मैप में भी इस रेलमार्ग को प्रस्तावित दोहरीकरण योजना में दर्शाया गया है.

पढे़ं- केंद्रीय मंत्री शेखावत ने राज्यपाल से की शिष्टाचार भेंट, कहा- विकास का एजेंडा अब राजनीति की धुरी बन चुका है

इस रेलमार्ग के विकास के लिए दैनिक रेल यात्री ग्रुप के सदस्य लंबे समय से प्रयासरत हैं. अब इस रेलमार्ग के दोहरीकरण होने से चुरू, नागौर, जोधपुर ओर जालोर जिलों के रेलवे स्टेशनों के विकास होगा. इसके अलावा ट्रेनों का आवागमन सुगम होगा और ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी. वहीं ट्रेनों को क्रॉसिंग के लिए अलग-अलग स्टेशनों पर नहीं रोका जाएगा. इस रेलमार्ग पर स्थित नागौर जिले के डीडवाना, डेगाना, लाडनूं स्टेशनों के साथ ही चूरू जिले से लेकर हिसार तक का रेलवे नेटवर्क मजबूत होगा और उद्योग व्यापार सहित विकास के नए रास्ते खुलेंगे.

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