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हाईकोर्ट ने ओपीजेएस विवि के पूर्व चेयरमैन और रजिस्ट्रार सहित पांच की जमानत याचिका की खारिज - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने ओपीजेएस विवि के पूर्व चेयरमैन और रजिस्ट्रार सहित पांच लोगों की जमानत याचिका की खारिज.

HIGH COURT REJECTS BAIL PLEA,  REGISTRAR OF OPJS UNIVERSITY
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 28, 2025, 9:43 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने चूरू की ओपीजेएस विश्वविद्यालय की ओर से बीपीएड की फर्जी और बैक डेट में डिग्रियां देने के मामले में विवि के पूर्व चेयरमैन जोगेन्द्र सिंह, पूर्व रजिस्ट्रार जितेन्द्र सिंह, सरिता कडवासरा, मंदीप कुमार और प्रेमजीत सिंह को राहत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही अदालत ने इन आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत ने ट्रायल कोर्ट को कहा है कि वह मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरा करे. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपियों की ओर से पेश जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि फर्जी दस्तावेज जारी करना समाज के खिलाफ बड़ा अपराध है. ऐसे फर्जी दस्तावेजों से मेहनती अभ्यर्थी नौकरी से वंचित होते हैं. आरोपियों के ऐसे कृत्य से न केवल अभ्यर्थी, बल्कि उनके परिवारवालों की उम्मीद भी समाप्त हो जाती है. ऐसे में आरोपियों के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता. जमानत याचिकाओं में कहा गया कि मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें 5 जुलाई, 2024 को जेल भेजा गया था और तब से वे जेल में बंद हैं.

पढ़ेंः हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एसआई भर्ती-2021 में एकलपीठ के आदेश पर दखल देने से किया इंकार

उनके खलाफ कोई साक्ष्य नहीं है और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है. इसके अलावा मामले की ट्रायल पूरी होने में लंबा समय लगने की संभावना है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए एएजी राजेश चौधरी ने कहा कि आरोपियों की भूमिका फर्जी और बैक डेट में डिग्रियां मुहैया कराने में सामने आई है, यदि उन्हें जमानत दी गई तो वे साक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने चूरू की ओपीजेएस विश्वविद्यालय की ओर से बीपीएड की फर्जी और बैक डेट में डिग्रियां देने के मामले में विवि के पूर्व चेयरमैन जोगेन्द्र सिंह, पूर्व रजिस्ट्रार जितेन्द्र सिंह, सरिता कडवासरा, मंदीप कुमार और प्रेमजीत सिंह को राहत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही अदालत ने इन आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत ने ट्रायल कोर्ट को कहा है कि वह मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरा करे. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपियों की ओर से पेश जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि फर्जी दस्तावेज जारी करना समाज के खिलाफ बड़ा अपराध है. ऐसे फर्जी दस्तावेजों से मेहनती अभ्यर्थी नौकरी से वंचित होते हैं. आरोपियों के ऐसे कृत्य से न केवल अभ्यर्थी, बल्कि उनके परिवारवालों की उम्मीद भी समाप्त हो जाती है. ऐसे में आरोपियों के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता. जमानत याचिकाओं में कहा गया कि मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें 5 जुलाई, 2024 को जेल भेजा गया था और तब से वे जेल में बंद हैं.

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उनके खलाफ कोई साक्ष्य नहीं है और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है. इसके अलावा मामले की ट्रायल पूरी होने में लंबा समय लगने की संभावना है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए एएजी राजेश चौधरी ने कहा कि आरोपियों की भूमिका फर्जी और बैक डेट में डिग्रियां मुहैया कराने में सामने आई है, यदि उन्हें जमानत दी गई तो वे साक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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