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नागौर के विश्वप्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले का आगाज, बाहरी राज्यों के पशुपालकों का मोहभंग - District Collector Dinesh Kumar Yadav

नागौर का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले की शुरूआत हो चुकी है. झड़ारोहण के साथ जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने इसका आगाज किया. लेकिन इस मेले के पहले दिन पशुओं की संख्या काफी कम रही. जिसके कारण अब ये मेला अपनी पहचान खोता जा रहा है.

विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला, nagore latest news
श्री रामदेव पशु मेले की हुई शुरूआत
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Published : Jan 25, 2020, 7:15 PM IST

नागौर. जिले का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले का आगाज झंडारोहण के साथ नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने किया. मेले में पशुओं की आवक पहले दिन कम रही. जिसके चलते मेले के अस्तित्व पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं.

श्री रामदेव पशु मेले की हुई शुरूआत

पहले नागौर का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला फिर परबतसर का वीर तेजा जी का पशु मेला उसके बाद डीडवाना और मेड़ता का पशु मेला और कुचामन सिटी का पशु मेला यह सभी मेले कभी नागौर जिले की पहचान हुआ करते थे. लेकिन, अब विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला अपना वजूद तकरीबन खो चुका है. बाहरी राज्यों से आने वाले पशुपालक का मोहभंग हो रहा है. बाहरी प्रदेश से आने वाले नाम मात्र पशुपालक ही पशु मेले में पहुंच रहे हैं.

पढ़ें- नागौर में चोरों का आतंक, एक के बाद तीन घरों के ताले तोड़े

यह नजारा है नागौर जिला मुख्यालय के विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला का जहां नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने विधिवत रूप से झंडारोहण कर के मेले का आगाज किया. इस मेले में नागौरी नस्ल के पशु मेले की शान और जान हुआ करते थे. जिसे खरीदने के लिए बाहरी प्रदेश से पशुपालक मेले में आते थे. लेकिन इस साल ना तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के पशुपालक मेले में आए ना ही नागौरी नस्ल के बछड़े. नाम मात्र नागौरी नस्ल के बछड़े लेकर कुछ ही पशुपालक पहुंचे.

बता दें कि पिछले कुछ सालों से 3 साल की कम उम्र के नागौरी नस्ल के बछड़ों के बाहरी प्रदेश मे ले जाने की रोक लगी हुई है. इस मेले में नागौरी नस्ल के बछड़ों और उसके खरीदार की तादाद लगातार कम होती जा रही है. जिससे मेले की रौनक कम होने लगी है. श्री रामदेव पशु मेले के आगाज के दौरान इस बार नागौरी नस्ल के गौवंश करीब 200, अश्ववंश के 6 और राजस्थान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट को नाम मात्र 50 पशुपालक लेकर पहुंचे.

पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: नागौर के पशु मेले में प्यासे बैल, एक ड्रम पानी के देने पड़ रहे 100 रुपए

पिछले साल नागौरी नस्ल की गौवंश 535 मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के पशुपालक मेले से खरीद कर लेकर गए थे. जिन्हें भारी परेशानी भी उठानी पड़ी थी. जिला प्रशासन ने पुलिस का सहयोग लेते हुए उन्हें सुरक्षित राज्य से बाहर समस्त दस्तावेजों के साथ भेजा गया था. पहले इस मेले में जहां 30 से 35 हजार तक नागौरी नस्ल सहित अन्य पशु आते थे. वहीं अब यह तादाद हजारों तक सिमट कर रह गई है.

नागौर. जिले का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेले का आगाज झंडारोहण के साथ नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने किया. मेले में पशुओं की आवक पहले दिन कम रही. जिसके चलते मेले के अस्तित्व पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं.

श्री रामदेव पशु मेले की हुई शुरूआत

पहले नागौर का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला फिर परबतसर का वीर तेजा जी का पशु मेला उसके बाद डीडवाना और मेड़ता का पशु मेला और कुचामन सिटी का पशु मेला यह सभी मेले कभी नागौर जिले की पहचान हुआ करते थे. लेकिन, अब विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला अपना वजूद तकरीबन खो चुका है. बाहरी राज्यों से आने वाले पशुपालक का मोहभंग हो रहा है. बाहरी प्रदेश से आने वाले नाम मात्र पशुपालक ही पशु मेले में पहुंच रहे हैं.

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यह नजारा है नागौर जिला मुख्यालय के विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला का जहां नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने विधिवत रूप से झंडारोहण कर के मेले का आगाज किया. इस मेले में नागौरी नस्ल के पशु मेले की शान और जान हुआ करते थे. जिसे खरीदने के लिए बाहरी प्रदेश से पशुपालक मेले में आते थे. लेकिन इस साल ना तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के पशुपालक मेले में आए ना ही नागौरी नस्ल के बछड़े. नाम मात्र नागौरी नस्ल के बछड़े लेकर कुछ ही पशुपालक पहुंचे.

बता दें कि पिछले कुछ सालों से 3 साल की कम उम्र के नागौरी नस्ल के बछड़ों के बाहरी प्रदेश मे ले जाने की रोक लगी हुई है. इस मेले में नागौरी नस्ल के बछड़ों और उसके खरीदार की तादाद लगातार कम होती जा रही है. जिससे मेले की रौनक कम होने लगी है. श्री रामदेव पशु मेले के आगाज के दौरान इस बार नागौरी नस्ल के गौवंश करीब 200, अश्ववंश के 6 और राजस्थान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट को नाम मात्र 50 पशुपालक लेकर पहुंचे.

पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: नागौर के पशु मेले में प्यासे बैल, एक ड्रम पानी के देने पड़ रहे 100 रुपए

पिछले साल नागौरी नस्ल की गौवंश 535 मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के पशुपालक मेले से खरीद कर लेकर गए थे. जिन्हें भारी परेशानी भी उठानी पड़ी थी. जिला प्रशासन ने पुलिस का सहयोग लेते हुए उन्हें सुरक्षित राज्य से बाहर समस्त दस्तावेजों के साथ भेजा गया था. पहले इस मेले में जहां 30 से 35 हजार तक नागौरी नस्ल सहित अन्य पशु आते थे. वहीं अब यह तादाद हजारों तक सिमट कर रह गई है.

Intro:श्री रामदेव पशु मेला का हुआ आगाज झंडारोहण के साथ
नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने झंडारोहण के साथ के पशु मेले की शुरुआत
मेले में नागौरी नस्ल के गोवंश के 200 अश्व वंश के 6 और 50 ऊंट पहुंचे

नागौर का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला का झंडारोहण के साथ नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने आगाज कर दिया मेले में पशुओं की आवक पहले दिन कम रहे मेले के अस्तित्व पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं ।


Body:पहले नागौर का विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला फिर परबतसर का वीर तेजा जी का पशु मेला उसके बाद डीडवाना और मेड़ता की पशु मेले और कुचामन सिटी का पशु मेला यह सभी मेले कभी नागौर जिले की पहचान हुआ करती थी । लेकिन अब विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला अपना वजूद तकरीबन हो चुका है। बाहरी राज्यों से आने वाले पशुपालक का मोहभग हो रहा है । बाहरी प्रदेश से आने वाले पशुपालक नाम मात्री पशु मेले में पहुंच रहे हैं ।

यह नजारा है नागौर जिला मुख्यालय के विश्व प्रसिद्ध श्री रामदेव पशु मेला का जहां नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने विधिवत रूप से झंडारोहण कर के मेले का आगाज किया । इस मेले में नागौरी नस्ल के पशु मेले की शान और जान हुआ करते थे। जिसे खरीदने के लिए बाहरी प्रदेश से पशुपालक मेले में आते थे। लेकिन इस साल ना तो उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश गुजरात महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के पशुपालक मेले में आए, ना ही नागौरी नस्ल के बछड़े , नाम मात्र नागौरी नस्ल के बछड़े लेकर कुछ ही पशुपालक पहुंचे । आपको बता देते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से 3 साल की कम उम्र के नागौरी नस्ल के बछड़ों के बाहरी प्रदेश मे ले जाने की रोक लगी हुई है । इस मेले में नागौरी नस्ल के बछड़ों और उसके खरीदार की तादाद लगातार कम होती जा रही है जिससे मेले की रौनक कम होने लगी है।

श्री रामदेव पशु मेले के आगाज के दौरान इस बार नागौरी नस्ल के गोवंश करीब 200 और अश्ववंश के 6 राजस्थान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट नाम मात्र 50 पशुपालक लेकर पहुंचे

पिछले साल नागौरी नस्ल की गोवंश 535 मध्य प्रदेश गुजरात उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के पशुपालक मेले से खरीद कर लेकर गए थे। जिन्हें भारी परेशानी भी उठानी पड़ी थी। जिला प्रशासन ने पुलिस का सहयोग लेते हुए उन्हें सुरक्षित राज्य से बाहर समस्त दस्तावेजों के साथ भेजा गया था।


Conclusion:पहले इस मेले में जहां 30 से 35000 तक नागौरी नस्ल सहित अन्य पशु आते थे वहीं अब यह तादाद हजारों तक सिमट कर रह गई है

बाइट जवाहर चौधरी CEO जिला परिषद नागौर

बाइट दिनेश कुमार यादव जिला कलेक्टर नागौर
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