नागौर. कॉलेज रोड पर सरकारी आवास और भवन के लिए आरक्षित भूमि में अतिक्रमण के मामले में तहसीलदार ने आपना निर्देश दे दिया है. जिसमें भू-अभिलेख निरीक्षक और हल्का पटवारी को 24 अतिक्रमण को 7 दिन में हटाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं.
तत्कालीन जिलाधीश ने दोनों खसरों की 60 बीघा जमीन को आरक्षित किया था, लेकिन नगर पालिका ने कभी इस जमीन को आरक्षित नहीं माना और कब्जा धारियों के कब्जे के नियमन जारी कर दिए. इसी का नतीजा है कि बड़े नेता और सरकारी अधिकारी भी अपने कब्जों का नियमन करा चुके हैं. नगर परिषद द्वारा पट्टे दिए जाने के बाद आरक्षित भूमि से अतिक्रमण हटाना प्रशासन के लिए टेडी खीर बना हुआ था.
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गौरतलब है कि इस मामले में तहसीलदार ने 31 अक्टूबर को एक निर्णय जारी किया. जिसमें उन्होंने बताया कि सरकारी आवास और भवन के लिए आरक्षित खसरा नंबर 361 और 369 में अतिकर्मियों के विरुद्ध दर्ज किए गए प्रकरणों में अतिक्रमण को हटाकर कब्जा राज हक में लिया जाएगा. आरआई और पटवारी को दिए गए निर्देश में भूराजस्व अधिनियम 1956 के तहत प्रकरण दर्ज किया था. मामले में खसरा नंबर 361 और 369 में अतिक्रमण कर बैठे भूराराम पांचाराम, रामदेव पुत्र मंगलाराम नरेंद्र चौधरी और सेठू राम पुत्र भीयाराम सहित कई लोगों को जमीन से हटाया जाएगा.