नागौर. पंचायती राज विभाग मनरेगा समेत अन्य सभी योजनाओं में सामग्री सप्लाई के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर पहली बार ई-टेंडर प्रणाली लागू की गई है. ऐसे में पंचायती राज विभाग द्वारा लागू की गई ई-टेंडर और ई-पंचायत व्यवस्था का सरपंच संघ की ओर से विरोध किया जा रहा है. पंचायत समिति स्तर पर इस नई व्यवस्था को निरस्त कराने की मांग को लेकर सरपंच संघ ने शनिवार को नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी को ज्ञापन सौंपा.
इस बाबत भूडेल सरपंच धर्मेंद्र गौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व में ग्राम पंचायत स्तर पर विभिन्न योजनाओं में सामग्री सप्लाई टेंडर प्रक्रिया के तहत टेंडर लेने वाली फर्म के जरिए की जाती थी, लेकिन नई व्यवस्था के अनुरूप पंचायत समिति स्तर पर विकास कार्यों को लेकर ई-टेंडर निकाले जाएंगे.
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भाकरोद सरपंच सुरेंद्र भाकल का कहना है कि पूर्व में विकास कार्य योजना के लिए कार्यों का चयन, प्रशासनिक स्वीकृति, वित्तीय स्वीकृति या अन्य कार्य का भुगतान ग्राम पंचायत स्तर पर होता था जो कि पंचायत स्तर पर मनरेगा सहित अन्य योजनाओं के लिए सामग्री सप्लाई के ऑफलाइन टेंडर ग्राम स्तर पर जारी होते थे. वहीं, अब पंचायती राज विभाग ने नई व्यवस्था के अनुरूप ई-टेंडर प्रणाली को ग्राम पंचायतों पर थोप दिया है. पंचायत समिति स्तर पर होने वाली ई-टेंडर प्रणाली से समय लगेगा और ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्य बाधित होंगे.
बता दें कि पंचायती राज विभाग ने मनरेगा समेत अन्य सभी योजनाओं में सामग्री सप्लाई के लिए पहली बार ई-टेंडर प्रणाली लागू की है. ई-टेंडर प्रणाली के साथ ही पंचायत सॉफ्टवेयर का प्रभावी क्रियान्वयन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. इस नई व्यवस्था में ग्राम पंचायत निर्माण कार्यों से संबंधित सभी योजनाओं जैसे वार्षिक विकास कार्य योजनाओं के अनुसार कार्यों का चयन प्रशासनिक स्वीकृति वित्तीय स्वीकृति, समायोजन, यूसी, सीसी जारी करना या अन्य का भुगतान सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाएगा. पंचायती राज विभाग की ई-टेंडर प्रणाली के दायरे में सभी ग्राम पंचायतें आएंगी.
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अब ग्राम पंचायतों के विकास कार्य में सामग्री की गुणवत्ता में सुधार होने का दावा किया जा रहा है. साथ ही विभाग न्यूनतम दरों पर टेंडर होने से सामग्री की गुणवत्ता में पारदर्शिता आने का दावा कर रहा है.