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पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील, अब तक काल के गाल में समाए हजारों परिंदे

राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर झील में देशी-विदेशी पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. झील में जिस तरह से हर तरफ पक्षियों के शव बिखरे पड़े हैं, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां करीब 10 हजार पक्षियों की मौत अब तक हो चुकी है.

सांभर झील में 10 हजार से अधिक पक्षियों की मौत, More than 10 thousand birds died in Sambhar lake
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Published : Nov 12, 2019, 9:22 PM IST

नागौर. छिछले पानी में रहकर भोजन की तलाश करने वाले देशी-विदेशी पक्षियों के लिए अब तक स्वर्ग मानी जाने वाली सांभर झील अब इन परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. यहां पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर झील में देशी-विदेशी करीब 10 हजार पक्षियों की मौत अब तक हो चुकी है.

पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील

बता दें कि कोच्या की ढाणी के पास झील के किनारे पक्षियों के शव मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ अब वह सांभर झील के करीब-करीब हर हिस्से में पहुंच चुका है. शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि यहां एक हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है, लेकिन अब यहां पक्षियों की मौत का जिस तरह सिलसिला सामने आ रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक यहां करीब 8 से 10 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है. फिलहाल, जिस तरह से सांभर झील पर पक्षियों की मौत के हालात से निपटने में प्रशासनिक सुस्ती दिख रही है उसके अनुसार यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.

पढ़ें- राजस्थान : सांभर झील के पास करीब 1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

जानकारी के अनुसार यहां अभी भी कई पक्षी बेबसी में तड़प रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों को यह भी पता नहीं है कि उनका उपचार कैसे किया जाए. प्रारंभिक तौर पर यहां बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के 2 संभावित कारण सामने आ रहे हैं. पहली आशंका है कि किसी संक्रामक बीमारी के कारण इन पक्षियों की मौत हो गई हो. वहीं, दूसरी आशंका यह है कि झील किनारे लगी रिफाइनरियों से कोई हानिकारक अपशिष्ट पानी में छोड़ने के कारण परिंदों की मौत हो गई है. फिलहाल, ना तो वन विभाग और ना ही पशुपालन विभाग के अधिकारी यह बता पा रहे हैं कि पक्षियों के मौत की असल वजह क्या है.

पढे़ं- सांभर झील में 1 हजार से अधिक प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत, कारण पता लगाने के लिए भोपाल से लुधियाना भेजे जा रहे शव

उधर, पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जहां-जहां पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं, वहां से पानी के नमूने जांच के लिए भिजवाए गए हैं. साथ ही पक्षियों के शव भी भोपाल और लुधियाना स्थित प्रयोगशाला में भिजवाए गए हैं. लेकिन अभी भी झील किनारे कई पक्षी बीमार हालात में मिल रहे हैं. मौके पर उनके उपचार की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से पक्षियों की मौत के आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है.

नागौर. छिछले पानी में रहकर भोजन की तलाश करने वाले देशी-विदेशी पक्षियों के लिए अब तक स्वर्ग मानी जाने वाली सांभर झील अब इन परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. यहां पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर झील में देशी-विदेशी करीब 10 हजार पक्षियों की मौत अब तक हो चुकी है.

पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील

बता दें कि कोच्या की ढाणी के पास झील के किनारे पक्षियों के शव मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ अब वह सांभर झील के करीब-करीब हर हिस्से में पहुंच चुका है. शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि यहां एक हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है, लेकिन अब यहां पक्षियों की मौत का जिस तरह सिलसिला सामने आ रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक यहां करीब 8 से 10 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है. फिलहाल, जिस तरह से सांभर झील पर पक्षियों की मौत के हालात से निपटने में प्रशासनिक सुस्ती दिख रही है उसके अनुसार यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.

पढ़ें- राजस्थान : सांभर झील के पास करीब 1000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत

जानकारी के अनुसार यहां अभी भी कई पक्षी बेबसी में तड़प रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों को यह भी पता नहीं है कि उनका उपचार कैसे किया जाए. प्रारंभिक तौर पर यहां बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के 2 संभावित कारण सामने आ रहे हैं. पहली आशंका है कि किसी संक्रामक बीमारी के कारण इन पक्षियों की मौत हो गई हो. वहीं, दूसरी आशंका यह है कि झील किनारे लगी रिफाइनरियों से कोई हानिकारक अपशिष्ट पानी में छोड़ने के कारण परिंदों की मौत हो गई है. फिलहाल, ना तो वन विभाग और ना ही पशुपालन विभाग के अधिकारी यह बता पा रहे हैं कि पक्षियों के मौत की असल वजह क्या है.

पढे़ं- सांभर झील में 1 हजार से अधिक प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की मौत, कारण पता लगाने के लिए भोपाल से लुधियाना भेजे जा रहे शव

उधर, पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जहां-जहां पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं, वहां से पानी के नमूने जांच के लिए भिजवाए गए हैं. साथ ही पक्षियों के शव भी भोपाल और लुधियाना स्थित प्रयोगशाला में भिजवाए गए हैं. लेकिन अभी भी झील किनारे कई पक्षी बीमार हालात में मिल रहे हैं. मौके पर उनके उपचार की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से पक्षियों की मौत के आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है.

Intro:राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर झील में देसी-विदेशी पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। झील में जिस तरह से हर तरह पक्षियों के शव बिखरे पड़े हैं। उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां करीब 10 हजार पक्षियों की मौत अब तक हो चुकी है।Body:नागौर. छिछले पानी में रहकर भोजन की तलाश करने वाले देसी विदेशी पक्षियों के लिए अब तक स्वर्ग मानी जाने वाली सांभर झील अब इन परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है। यहां पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कोच्या की ढाणी के पास झील के किनारे पक्षियों के शव मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ अब वह झील के करीब करीब हर हिस्से में पहुंच चुका है। शुरुवात में अनुमान लगाया गया था कि यहां एक हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है। लेकिन अब यहां पक्षियों की मौत का जिस तरह सिलसिला सामने आ रहा है। उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां 8 से 10 हजार पक्षियों की मौत हुई हैं। फिलहाल जिस तरह से यहां हालात से निपटने में प्रशासनिक सुस्ती दिख रही है। उसके अनुसार यह आंकड़ा और बढ़ भी सकता है। यहां अभी भी कई पक्षी बेबसी में तड़प रहे हैं। लेकिन जिम्मेदारों को यह भी पता नहीं है कि उनका उपचार कैसे किया जाए।
प्रारंभिक तौर पर यहां बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के दो संभावित कारण सामने आ रहे हैं। पहली आशंका है कि किसी संक्रामक बीमारी ने इन पक्षियों की जान ली है। जबकि वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि झील किनारे लगी रिफाइनरियों से कोई हानिकारक अपशिष्ट पानी में छोड़ने के कारण परिंदों की जान जाने की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।Conclusion:फिलहाल न तो वन विभाग और न ही पशुपालन विभाग के अधिकारी यह बता पाने की स्थिति में है कि पक्षियों की मौत की असल वजह क्या है। जहां-जहां पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं। वहां से पानी के नमूने जांच के लिए भिजवाए गए हैं। इसके साथ ही पक्षियों के शव भी भोपाल और लुधियाना स्थित प्रयोगशाला में भिजवाए गए हैं। ताकि इस घटना के कारण पता किए जा सके। लेकिन फिलहाल झील किनारे कई पक्षी बीमार हालात में मिल रहे हैं। मौके पर उनके उपचार की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से इनकी मौत के आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है।
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बाईट - उम्मेद सिंह, उप निदेशक, पशुपालन विभाग।
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