नागौर. छिछले पानी में रहकर भोजन की तलाश करने वाले देशी-विदेशी पक्षियों के लिए अब तक स्वर्ग मानी जाने वाली सांभर झील अब इन परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. यहां पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर झील में देशी-विदेशी करीब 10 हजार पक्षियों की मौत अब तक हो चुकी है.
बता दें कि कोच्या की ढाणी के पास झील के किनारे पक्षियों के शव मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ अब वह सांभर झील के करीब-करीब हर हिस्से में पहुंच चुका है. शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि यहां एक हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है, लेकिन अब यहां पक्षियों की मौत का जिस तरह सिलसिला सामने आ रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक यहां करीब 8 से 10 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है. फिलहाल, जिस तरह से सांभर झील पर पक्षियों की मौत के हालात से निपटने में प्रशासनिक सुस्ती दिख रही है उसके अनुसार यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.
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जानकारी के अनुसार यहां अभी भी कई पक्षी बेबसी में तड़प रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों को यह भी पता नहीं है कि उनका उपचार कैसे किया जाए. प्रारंभिक तौर पर यहां बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के 2 संभावित कारण सामने आ रहे हैं. पहली आशंका है कि किसी संक्रामक बीमारी के कारण इन पक्षियों की मौत हो गई हो. वहीं, दूसरी आशंका यह है कि झील किनारे लगी रिफाइनरियों से कोई हानिकारक अपशिष्ट पानी में छोड़ने के कारण परिंदों की मौत हो गई है. फिलहाल, ना तो वन विभाग और ना ही पशुपालन विभाग के अधिकारी यह बता पा रहे हैं कि पक्षियों के मौत की असल वजह क्या है.
उधर, पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जहां-जहां पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं, वहां से पानी के नमूने जांच के लिए भिजवाए गए हैं. साथ ही पक्षियों के शव भी भोपाल और लुधियाना स्थित प्रयोगशाला में भिजवाए गए हैं. लेकिन अभी भी झील किनारे कई पक्षी बीमार हालात में मिल रहे हैं. मौके पर उनके उपचार की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से पक्षियों की मौत के आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है.