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बुद्ध पूर्णिमा पर नागौर की सवा सौ साल से चली आ रही रम्मत की परंपरा लॉकडाउन के चलते टूटी

बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर नागौर में होने वाली वराह भगवान की रम्मत इस साल लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाई. शहर के बंशीवाला मंदिर में होने वाली इस ऐतिहासिक रम्मत को देखने के लिए दूसरे प्रदेशों से भी कई प्रवासी हर साल पहुंचते हैं.

नागौर न्यूज, nagaur news
बुद्ध पूर्णिमा पर नागौर में होती है वराह अवतार की रम्मत
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Published : May 7, 2020, 7:43 PM IST

नागौर. लॉकडाउन के कारण सभी धार्मिक स्थल बंद हैं और यहां होने वाले कई आयोजन निरस्त हो चुके हैं. इसी बीच नागौर के बंशीवाला मंदिर में बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर होने वाली वराह भगवान की ऐतिहासिक रम्मत भी इस साल लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाई.

हर साल बुद्ध पूर्णिमा पर यह ऐतिहासिक रम्मत होती है, जिसका साक्षी पूरा शहर बनता है. मंदिर के चौक और छतों पर तिल भर भी जगह नहीं होती है. इसी बीच वराह भगवान का वेश धारण कर पुजारी करीब दो घंटे तक रम्मत करते हैं.

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मान्यता है कि इसी दिन वराह भगवान पृथ्वी को अपने नथुनों पर समुद्र से निकालकर लाए थे. बंशीवाला मंदिर में होने वाली इस रम्मत का करीब सवा सौ साल पुराना इतिहास है. बीते सवा सौ साल में इस साल पहली बार ऐसा हुआ है, जब यह ऐतिहासिक रम्मत नहीं हुई है.

बंशीवाला मंदिर में इस दिन ना केवल शहर बल्किआसपास के गांवों से भी लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. दूसरे प्रदेशों में रहने वाले प्रवासी इस रम्मत का आनंद लेने खास तौर पर आते हैं.

पढ़ें: जयपुरिया अस्पताल हुआ कोरोना से मुक्त, अब शुरू हुई सियासी श्रेय लेने की होड़

मंदिर के पुजारियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण मंदिर में होने वाले सभी धार्मिक आयोजन फिलहाल निरस्त हैं. इसी के चलते वराह भगवान की रम्मत भी इस साल नहीं हो पाई. पुजारियों ने वराह भगवान के विग्रह को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर अभिषेक और पूजा अर्चना की और वराह अवतार की जयंती सदगीपूर्वक मनाई गई.

नागौर. लॉकडाउन के कारण सभी धार्मिक स्थल बंद हैं और यहां होने वाले कई आयोजन निरस्त हो चुके हैं. इसी बीच नागौर के बंशीवाला मंदिर में बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर होने वाली वराह भगवान की ऐतिहासिक रम्मत भी इस साल लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाई.

हर साल बुद्ध पूर्णिमा पर यह ऐतिहासिक रम्मत होती है, जिसका साक्षी पूरा शहर बनता है. मंदिर के चौक और छतों पर तिल भर भी जगह नहीं होती है. इसी बीच वराह भगवान का वेश धारण कर पुजारी करीब दो घंटे तक रम्मत करते हैं.

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मान्यता है कि इसी दिन वराह भगवान पृथ्वी को अपने नथुनों पर समुद्र से निकालकर लाए थे. बंशीवाला मंदिर में होने वाली इस रम्मत का करीब सवा सौ साल पुराना इतिहास है. बीते सवा सौ साल में इस साल पहली बार ऐसा हुआ है, जब यह ऐतिहासिक रम्मत नहीं हुई है.

बंशीवाला मंदिर में इस दिन ना केवल शहर बल्किआसपास के गांवों से भी लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. दूसरे प्रदेशों में रहने वाले प्रवासी इस रम्मत का आनंद लेने खास तौर पर आते हैं.

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मंदिर के पुजारियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण मंदिर में होने वाले सभी धार्मिक आयोजन फिलहाल निरस्त हैं. इसी के चलते वराह भगवान की रम्मत भी इस साल नहीं हो पाई. पुजारियों ने वराह भगवान के विग्रह को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर अभिषेक और पूजा अर्चना की और वराह अवतार की जयंती सदगीपूर्वक मनाई गई.

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