नागौर. जिला जन अभाव अभियोग निराकरण एवं सतर्कता समिति की बैठक गुरुवार को कलेक्टर दिनेश कुमार यादव की अध्यक्षता में आईटी केन्द्र सभाकक्ष में आयोजित हुई. बैठक में समिति स्तर पर 26 विचाराधीन प्रकरणों पर विचार किया गया और रियांबड़ी इलाके के पटवारी महेश मीणा पर किसानों से जुडे मामलों पर अनियमितताओं और रिश्वत मांगने के संबंधी परिवाद दर्ज हुआ है.
जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने रियांबड़ी उपखंड अधिकारी और तहसीलदार से इस प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. साथ ही डेगाना के संदलास गांव की खसरा नं. 131 में गैर मुमकिन रास्ते पर अतिक्रमण का मामले की शिकायत का परिवाद पेश किया गया और छोटी खाटू में खसरा नं. 1511 में गैर मुमकिन पायतन भूमि पर भूमाफिया द्वारा लंबे समय से कब्जा करने के मामले की बार-बार परिवादी द्वारा शिकायत जिला जन अभाव अभियोग निराकरण एवं सतर्कता समिति की बैठक में किया जाने के बावजूद भी डीडवाना उपखंड प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं करने पर जिला कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर की है.
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वहीं जिले के साडोकन गांव के दो बुजुर्ग गांव की अतिक्रमण की गई भूमि को मुक्त कराने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, और पिछले 3 दिनों से कलेक्ट्रेट की चौखट पर फरियादी बनकर बैठे हैं. नागौर तहसीलदार ने उनसे मुलाकात कर जिला कलेक्टर की जिला जन अभाव अभियोग निराकरण एवं सतर्कता समिति की बैठक में परिवाद दर्ज करवाया है.
बता दें कि साडोकन निवासी हरका राम ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाते हुए गांव में सरकारी भूमि अतिक्रमण हटाने की मांग की थी. साडोकन गांव में 500 बीघा गोचर भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई राजनीतिक कारणों के चलते नहीं हो पा रही है.
हरकाराम ने बताया कि साडोकन में गोचर और नाडी की अंगोर जमीन पर करीब 150 ग्रामीणों ने पक्के मकान, बाड़े और कच्ची-पक्की दीवारें बनाकर अतिक्रमण कर लिया. उन्होंने अपने खेतों में मिलाकर करीब 500 बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर लिया.
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कलेक्टर को दिए ज्ञापन में उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर खानापूर्ति कर झूठी पालना रिपोर्ट भेजी गई है. इस पर हरकाराम ने जोधपुर हाइकोर्ट में जनहित याचिका पेश की थी, जिसमें न्यायाधीश अमिताव रॉय और पीके लोहरा की खंडपीठ ने नवंबर 2013 में तीन महीने में कब्जे हटाने के आदेश दिए थे. लेकिन, उनके आदेश की पालना आज तक नहीं की गई है.
वहीं नागौर जिले में अब्दुल रहमान प्रकरण से संबंधित कुल 2780 मामले, जिनमें से 2723 प्रकरण जिला प्रशासन ने राजस्व मंडल को भेजे थे. जबकि 57 प्रकरण अभी भी लंबित पड़े हैं, इनमें से राजस्व मंडल अजमेर ने 803 में निर्णय करते हुए 27 प्रकरणों को दोबारा सुनवाई हेतु जिला प्रशासन के समक्ष भेजा गया है. राजस्थान हाई कोर्ट के दिए गए निर्णय में अब्दुल रहमान प्रकरण में नाडी-नालों और तालाबों में पानी आने के बाद क्षेत्र की 1947 की स्थिति बाल करने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे. एसडीएम से प्रतिवेदन तैयार कर आगामी बैठक से पूर्व कलेक्टर ने अनिवार्य रूप से रिपोर्ट मांगी गई है.