ETV Bharat / city

Special : सिर्फ 24 लोगों को ही बीमा क्लेम मिलने से अन्नदाता मायूस, किससे करें फरियाद... - compensation for Crop failure

राजस्थान में मौसम अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि और ओले के रूप में किसानों की मेहनत पर कब पानी फेर दे, किसी को पता नहीं होता. ऐसे हालात में किसानों को कुछ हद तक राहत देने के लिए फसल बीमा योजना लाई गई है, लेकिन यह योजना भी किसानों को राहत कम और परेशानी ज्यादा दे रही है.

राजस्थान न्यूज, rajasthan news, nagaur news, नागौर न्यूज, Nagaur farmers, नागौर के किसान, फसल खराबे का मुआवजा
सिर्फ 24 किसानों को मिला फसल खराबे का मुआवजा
author img

By

Published : Feb 8, 2020, 10:11 AM IST

नागौर. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर नागौर के गिने-चुने किसानों को ही मुआवजा दिया जा रहा है. इसकी एक बानगी यह है, कि साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान करीब 1348 किसानों ने इस योजना के तहत बीमा करवाया था. जबकि अबतक महज 24 किसानों को ही उसका क्लेम मिला है.

24 किसानों को ही मिला फसल खराबे का मुआवजा

2018 में खरीफ फसल के दौरान सथेरण में करीब 548 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाया था. जबकि अलाय में 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा टाटा एआईजी कम्पनी से करवाया था. हालात यह हैं, कि सथेरण में जहां 8 किसानों को ही फसल खराबे का क्लेम मिला है. वहीं अलाय में महज 16 किसानों को क्लेम मिला है.

कंपनी का दावा

क्रय विक्रय सहकारी समिति के पदाधिकारियों का आरोप है, कि अबतक किसी को पता नहीं है, कि क्लेम पाने वाले किसान कौन हैं, क्योंकि कम्पनी ने किसी भी प्लेटफार्म पर यह सूची सार्वजनिक नहीं की है. वहीं बीमा करने वाली टाटा एआईजी का दावा है, कि जिले में 43.13 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को दिया जा चुका है. अब 1.27 करोड़ रुपए का क्लेम दिया जाना ही बाकी है.

यह भी पढ़ें : अन्नदाताओं के दर्द पर बेनीवाल का मरहम, टिड्डी प्रभावित किसानों को दिए एक करोड़ और एक महीने का वेतन

कौन हैं ये 8 किसान, किसी को नहीं पता

सथेरण क्रय विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार का कहना है, कि उनके गांव में 2018 में खरीफ फसल के दौरान 548 किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. किसानों के हिस्से का प्रीमियम उन्हें सहकारी समिति के मार्फत मिलने वाले ऋण से काटा गया था. अकाल के कारण फसल खराब हो गई थी. अब दो साल बीतने को हैं, लेकिन अधिकतर किसानों को फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिला है.

उनका कहना है, कि जब कंपनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करते हैं तो बताया जाता है, कि 8 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा दिया गया है. लेकिन ये 8 किसान कौन हैं, यह कोई नहीं जानता.

अलाय के किसानों को भी नहीं मिला मुआवजा

अलाय गांव की भी हालत ऐसी ही है. साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. इन किसानों का बीमा भी सहकारी समिति के मार्फत ही हुआ था, लेकिन फसल खराब होने के बाद भी अबतक किसी को क्लेम नहीं मिला है.

अलाय क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष हजारीराम बिश्नोई का कहना है, कि बीमा कंपनी 16 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा देने की बात कह रही है. लेकिन इन 16 किसानों की सूची किसी के पास नहीं है.

2016 से शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

नागौर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 से शुरू की गई थी. साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान जिले के 1.51 लाख किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया था.

यह भी पढ़ें : टिड्डियों ने बर्बाद कर दी करीब 7 अरब की रबी फसल, अन्नदाता हुए मायूस

कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है, कि बीमा कंपनी ने उन्हें जो आंकड़े दिए हैं, उसके अनुसार खरीफ 2018 की फसल खराबे का 44.40 करोड़ रुपए का क्लेम बना था. जिसमें से 43.13 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का भुगतान कंपनी कर चुकी है. अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए की मुआवजा राशि ही किसानों को देनी बाकी है.

ऐसे में बड़ा सवाल यह है, कि कंपनी ने जिन किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान किया है. उनकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है और किस फॉर्मूले से क्लेम निर्धारित किया गया. जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में किसान फसल खराबे की मुआवजा राशि मिलने से वंचित रह गए हैं.

नागौर. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर नागौर के गिने-चुने किसानों को ही मुआवजा दिया जा रहा है. इसकी एक बानगी यह है, कि साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान करीब 1348 किसानों ने इस योजना के तहत बीमा करवाया था. जबकि अबतक महज 24 किसानों को ही उसका क्लेम मिला है.

24 किसानों को ही मिला फसल खराबे का मुआवजा

2018 में खरीफ फसल के दौरान सथेरण में करीब 548 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाया था. जबकि अलाय में 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा टाटा एआईजी कम्पनी से करवाया था. हालात यह हैं, कि सथेरण में जहां 8 किसानों को ही फसल खराबे का क्लेम मिला है. वहीं अलाय में महज 16 किसानों को क्लेम मिला है.

कंपनी का दावा

क्रय विक्रय सहकारी समिति के पदाधिकारियों का आरोप है, कि अबतक किसी को पता नहीं है, कि क्लेम पाने वाले किसान कौन हैं, क्योंकि कम्पनी ने किसी भी प्लेटफार्म पर यह सूची सार्वजनिक नहीं की है. वहीं बीमा करने वाली टाटा एआईजी का दावा है, कि जिले में 43.13 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को दिया जा चुका है. अब 1.27 करोड़ रुपए का क्लेम दिया जाना ही बाकी है.

यह भी पढ़ें : अन्नदाताओं के दर्द पर बेनीवाल का मरहम, टिड्डी प्रभावित किसानों को दिए एक करोड़ और एक महीने का वेतन

कौन हैं ये 8 किसान, किसी को नहीं पता

सथेरण क्रय विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार का कहना है, कि उनके गांव में 2018 में खरीफ फसल के दौरान 548 किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. किसानों के हिस्से का प्रीमियम उन्हें सहकारी समिति के मार्फत मिलने वाले ऋण से काटा गया था. अकाल के कारण फसल खराब हो गई थी. अब दो साल बीतने को हैं, लेकिन अधिकतर किसानों को फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिला है.

उनका कहना है, कि जब कंपनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करते हैं तो बताया जाता है, कि 8 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा दिया गया है. लेकिन ये 8 किसान कौन हैं, यह कोई नहीं जानता.

अलाय के किसानों को भी नहीं मिला मुआवजा

अलाय गांव की भी हालत ऐसी ही है. साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. इन किसानों का बीमा भी सहकारी समिति के मार्फत ही हुआ था, लेकिन फसल खराब होने के बाद भी अबतक किसी को क्लेम नहीं मिला है.

अलाय क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष हजारीराम बिश्नोई का कहना है, कि बीमा कंपनी 16 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा देने की बात कह रही है. लेकिन इन 16 किसानों की सूची किसी के पास नहीं है.

2016 से शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

नागौर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 से शुरू की गई थी. साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान जिले के 1.51 लाख किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया था.

यह भी पढ़ें : टिड्डियों ने बर्बाद कर दी करीब 7 अरब की रबी फसल, अन्नदाता हुए मायूस

कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है, कि बीमा कंपनी ने उन्हें जो आंकड़े दिए हैं, उसके अनुसार खरीफ 2018 की फसल खराबे का 44.40 करोड़ रुपए का क्लेम बना था. जिसमें से 43.13 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का भुगतान कंपनी कर चुकी है. अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए की मुआवजा राशि ही किसानों को देनी बाकी है.

ऐसे में बड़ा सवाल यह है, कि कंपनी ने जिन किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान किया है. उनकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है और किस फॉर्मूले से क्लेम निर्धारित किया गया. जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में किसान फसल खराबे की मुआवजा राशि मिलने से वंचित रह गए हैं.

Intro:राजस्थान में खेती को मौसम का जुआ कहा जाता है। क्योंकि, मौसम अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि और ओले के रूप में किसानों की मेहनत पर कब पानी फेर दे। किसी को नहीं पता। ऐसे हालात में किसानों को कुछ हद तक राहत देने के लिए फसल बीमा योजना लाई गई। लेकिन यह योजना भी किसानों को राहत कम और परेशानी ज्यादा दे रही है। किसानों की इसी परेशानी को बयां करती यह खास रिपोर्ट...


Body:नागौर. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर नागौर के भोले-भाले किसानों को किस तरह चूना लगाया जा रहा है। इसकी एक बानगी यह है कि 2018 में खरीफ फसल के दौरान सथेरण में करीब 545 किसानों ने इस योजना के तहत बीमा करवाया था। जबकि अलाय में 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा टाटा एआईजी कम्पनी से करवाया था। अब हालात यह हैं कि सथेरण में जहां आठ किसानों को ही फसल खराबे का क्लेम मिला है। वहीं, अलाय में महज 16 किसानों को क्लेम मिला है। हालांकि, अभी भी यह किसी को पता नहीं है कि यह क्लेम पाने वाले किसान कौन हैं। क्योंकि कम्पनी की ओर से किसी भी प्लेटफार्म पर यह सूची सार्वजनिक नहीं की है। यह आरोप है क्रय विक्रय सहकारी समिति के पदाधिकारियों का।
इधर, बीमा करने वाली टाटा एआईजी का दावा है कि जिले में 43.13 करोड़ रुपए से का क्लेम किसानों को दिया जा चुका है। अब 1.27 करोड़ रुपए का क्लेम दिया जाना ही बाकी है।
सथेरण क्रय विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार का कहना है कि उनके गांव में 2018 में खरीफ फसल के दौरान 548 किसानों की फसल का बीमा करवाया गया। किसानों के हिस्से का प्रीमियम उन्हें सहकारी समिति के मार्फत मिलने वाले ऋण से काटा गया। अकाल के कारण फसल खराब हो गई। अब दो साल बीतने को हैं। मगर अधिकतर किसानों को फसल खराबे का मुआवजा बीमा कंपनी द्वारा नहीं दिया गया है। उनका कहना है कि जब कंपनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करते हैं तो बताया जाता है कि आठ किसानों को फसल खराबे का मुआवजा दिया गया है। मगर वे आठ किसान भी कौन हैं। यह कोई नहीं जानता।
कमोबेश यही हालत अलाय गांव की भी है। यहां 2018 में खरीफ फसल के दौरान 800 से अधिक किसानों ने फसल का बीमा इसी कंपनी से करवाया था। इन किसानों का बीमा भी सहकारी समिति के मार्फत ही हुआ था। लेकिन फसल खराब होने के बाद भी अभी तक क्लेम किसी को नहीं मिला है। अलाय क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष हजारीराम बिश्नोई का कहना है कि बीमा कंपनी 16 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा देने की बात कह रही है। लेकिन इन 16 किसानों की सूची किसी के पास नहीं है।


Conclusion:बात अगर नागौर जिले की करें तो जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 से शुरू की गई थी। साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान जिले के 1.51 लाख किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया था।
किसानों को फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिलने के सवाल पर कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है कि बीमा कंपनी ने उन्हें जो आंकड़े दिए हैं। उसके अनुसार, खरीफ 2018 की फसल खराबे का 44.40 करोड़ रुपए का क्लेम बना था। जिसमें से 43.13 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का भुगतान कंपनी द्वारा किसानों को किया जा चुका है। अब 1.27 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि किसानों को देनी बाकी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कंपनी ने जिन किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान किया है। उनकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है और सथेरण में 8 और अलाय में 16 किसानों को मुआवजा राशि दे भी दी गई है। तो किस फॉर्मूले से क्लेम निर्धारित किया गया। जो इतनी बड़ी संख्या में किसान फसल खराबे की मुआवजा राशि मिलने से वंचित रह गए।
......
बाईट 01- प्रदीप कुमार, अध्यक्ष, क्रय-विक्रय सहकारी समिति, सथेरण।
बाईट 02- हजारीराम बिश्नोई, अध्यक्ष, क्रय-विक्रय सहकारी समिति, अलाय।
बाईट 03- हरजीराम चौधरी, उपनिदेशक, कृषि विभाग, नागौर।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.