नागौर. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर नागौर के गिने-चुने किसानों को ही मुआवजा दिया जा रहा है. इसकी एक बानगी यह है, कि साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान करीब 1348 किसानों ने इस योजना के तहत बीमा करवाया था. जबकि अबतक महज 24 किसानों को ही उसका क्लेम मिला है.
2018 में खरीफ फसल के दौरान सथेरण में करीब 548 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाया था. जबकि अलाय में 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा टाटा एआईजी कम्पनी से करवाया था. हालात यह हैं, कि सथेरण में जहां 8 किसानों को ही फसल खराबे का क्लेम मिला है. वहीं अलाय में महज 16 किसानों को क्लेम मिला है.
कंपनी का दावा
क्रय विक्रय सहकारी समिति के पदाधिकारियों का आरोप है, कि अबतक किसी को पता नहीं है, कि क्लेम पाने वाले किसान कौन हैं, क्योंकि कम्पनी ने किसी भी प्लेटफार्म पर यह सूची सार्वजनिक नहीं की है. वहीं बीमा करने वाली टाटा एआईजी का दावा है, कि जिले में 43.13 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को दिया जा चुका है. अब 1.27 करोड़ रुपए का क्लेम दिया जाना ही बाकी है.
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कौन हैं ये 8 किसान, किसी को नहीं पता
सथेरण क्रय विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार का कहना है, कि उनके गांव में 2018 में खरीफ फसल के दौरान 548 किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. किसानों के हिस्से का प्रीमियम उन्हें सहकारी समिति के मार्फत मिलने वाले ऋण से काटा गया था. अकाल के कारण फसल खराब हो गई थी. अब दो साल बीतने को हैं, लेकिन अधिकतर किसानों को फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिला है.
उनका कहना है, कि जब कंपनी के टोल फ्री नम्बर पर कॉल करते हैं तो बताया जाता है, कि 8 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा दिया गया है. लेकिन ये 8 किसान कौन हैं, यह कोई नहीं जानता.
अलाय के किसानों को भी नहीं मिला मुआवजा
अलाय गांव की भी हालत ऐसी ही है. साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान 800 से ज्यादा किसानों ने फसल का बीमा करवाया था. इन किसानों का बीमा भी सहकारी समिति के मार्फत ही हुआ था, लेकिन फसल खराब होने के बाद भी अबतक किसी को क्लेम नहीं मिला है.
अलाय क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अध्यक्ष हजारीराम बिश्नोई का कहना है, कि बीमा कंपनी 16 किसानों को फसल खराबे का मुआवजा देने की बात कह रही है. लेकिन इन 16 किसानों की सूची किसी के पास नहीं है.
2016 से शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
नागौर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 से शुरू की गई थी. साल 2018 में खरीफ फसल के दौरान जिले के 1.51 लाख किसानों ने अपनी फसल का बीमा करवाया था.
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कृषि विभाग के उपनिदेशक हरजीराम चौधरी का कहना है, कि बीमा कंपनी ने उन्हें जो आंकड़े दिए हैं, उसके अनुसार खरीफ 2018 की फसल खराबे का 44.40 करोड़ रुपए का क्लेम बना था. जिसमें से 43.13 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि का भुगतान कंपनी कर चुकी है. अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए की मुआवजा राशि ही किसानों को देनी बाकी है.
ऐसे में बड़ा सवाल यह है, कि कंपनी ने जिन किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान किया है. उनकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है और किस फॉर्मूले से क्लेम निर्धारित किया गया. जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में किसान फसल खराबे की मुआवजा राशि मिलने से वंचित रह गए हैं.