नागौर. शहर के लोगों का दिन आमतौर पर गर्मागर्म कचौड़ी, मिर्चबड़े और समोसे से शुरू होता है. वहीं कोरोना वायरस के खौफ के बीच लॉकडाउन के चलते दो महीने बाद गर्म नमकीन की दुकानें तो खुलने लगी हैं. लेकिन, नमकीन की दुकानों पर पुरानी रंगत अभी लौटी नहीं है. नतीजा यह है की गर्मागर्म नमकीन की खपत अब महज 10 फीसदी रह गई है. शहर में छोटी-बड़ी मिलाकर नमकीन की करीब 50 दुकानें हैं.
लॉकडाउन से पहले करीब 35 हजार नमकीन की बिक्री होती थी. लॉकडाउन के चलते दो महीने दुकानें बंद रही. अब पिछले तीन-चार दिन से दुकानें तो खुल रही हैं लेकिन, ग्राहक नहीं आ रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि पहले जहां दिनभर में एक हजार पीस गर्मागर्म नमकीन बिक जाती थी. अब दिनभर में 100 नमकीन भी मुश्किल से बिक रही हैं. फिलहाल, नमकीन की खपत कम होने के दो बड़े कारण सामने आ रहे हैं. पहला, कोरोना संक्रमण के खतरे के मद्देनजर लोग कम बाहर निकल रहे हैं और बाहर बना खाने से परहेज कर रहे हैं. दूसरा, अभी आसपास के गांवों से उतने लोग नागौर नहीं आ रहे हैं. जितने पहले आते थे. इसलिए नमकीन की खपत कम हुई है.
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फिलहाल, कई दुकानदारों ने तो छूट के बाद भी अभी तक अपनी दुकानें खोलनी शुरू नहीं की है. गर्म नमकीन के साथ ही जलेबी की खपत भी कम हुई है. दुकानदारों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले करीब 100-125 किलो जलेबी बिक जाती थी. अब दिनभर में 10-15 किलो जलेबी भी मुश्किल से बेच पाते हैं.
मिठाई और नमकीन के दुकानदारों का कहना है कि अचानक लॉकडाउन लगा तो अंदाजा नहीं था की इतने दिन दुकान बंद रखनी पड़ेगी. दो महीने में दुकान में रखा कच्चा माल खराब हो गया. वहीं अब बाजार में कच्चा माल भी ज्यादा रेट पर मिल रहा है. ऐसे में उन्हें दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है. फिलहाल, देश के दूसरे लोगों की तरह इन दुकानदारों को भी उम्मीद है की जल्द हालात सामान्य होंगे और इनकी दुकानों पर एक बार फिर पहले जैसी रौनक लौटेगी.