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नागौरः ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन से बची नवजात की जान, पीलिया युक्त रक्त निकालकर नया रक्त डाला

नागौर के कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन के जरिए एक नवजात की जान बचाई गई. जहां बच्चे के शरीर से पीलिया युक्त रक्त निकालकर नया रक्त बदला गया.

ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन, Blood exchange transfusion
ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन से बची नवजात की जान
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Published : Dec 20, 2020, 1:24 PM IST

नागौर. जिले के बांसा की निवासी सुनीता का कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में प्रसव हुआ. जन्म के चौथे दिन नवजात शिशु के शरीर में पीलिया काफी हद तक बढ़ गया था. ऐसे में चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इशाक देवड़ा ने फोटो थैरेपी के जरिए पीलिया को कंट्रोल करने की कोशिश की. कामयाबी नहीं मिलने पर उन्होंने ब्लड ट्रांसफ्यूजन यानी नवजात बच्ची के शरीर का रक्त बदलने का फैसला किया.

ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन से बची नवजात की जान

बच्चे की मां सुनीता सहित परिजनों ने आशंका जाहिर की कि कुचामन जैसे छोटे अस्पताल में इस तरह की सुविधा कैसे मिल सकती है और क्या वो कामयाब होगी. इस पर चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. शकील अहमद राव जो खुद शिशु रोग विशेषज्ञ है, उन्होंने बच्चे की मां सुनीता और परिजनों को यकीन दिलाया की वैसे तो यह सुविधा बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में होती है, लेकिन कुचामन के चिकित्सालय में भी यह सुविधा विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा दी जा रही है और इससे जुड़े सभी मामलों में कामयाबी ही मिली है. परिजनों की रजामंदी से डॉक्टर इशाक देवड़ा ने नवजात का सफलतापूर्वक ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया. बच्चे के शरीर से पीलिया युक्त रक्त निकालकर नया रक्त बदला गया.

पढे़ं- अलवर: परीक्षा में फेल करने की धमकी देकर छात्राओं से करता था छेड़छाड़, आरोपी शिक्षक गिरफ्तार

यह कोई पहला मामला नहीं है जब कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन के जरिए किसी नवजात की जान बचाई गई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. देवड़ा और उनकी टीम तकरीबन 40 से ज्यादा बच्चों की जान अब तक ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन करके बचा चुके हैं.

एनबीएसयू वार्ड की सुविधाओं से चिकित्सालय की प्रदेशभर में बनी अलग पहचान

कुचामन के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सालय के न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट एनबीएसयू वार्ड की विशिष्ट सुविधाओं के चलते चिकित्सालय की प्रदेश भर में अलग पहचान बन चुकी है. नवजात शिशुओं को जो गम्भीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं, उन्हें इस तरह की चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. जो कि प्रदेश के कई जिला मुख्यालय के चिकित्सालय में भी उपलब्ध नहीं है. इस चिकित्सालय के एनबीएसयू वार्ड में कुछ सुविधाएं भी उपलब्ध है, जो प्रदेश के बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में मिलती है.

अत्यधिक कम वजन के बच्चों (ईएलबीडब्ल्यू) का इलाज इस अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ कर रहे हैं। समय से पहले जन्मे बच्चों के फेफड़े बनाने का इंजेक्शन की सुविधा भी इस चिकित्सालय में उपलब्ध है. अस्पताल के एनबीएसयू वार्ड की विशेष सुविधाओं के चलते चिकित्सालय में ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित नवजात का इलाज मुमकिन हो सका है और कई नवजात को नया जीवन मिला है.

पढे़ं- आदेश के बावजूद निजी स्कूल में दी जा रही थी मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग...प्रशासन ने लगाया जुर्माना

पीएमओ डॉ. शकील अहमद राव ने बताया कि आने वाले दिनों में चिकित्सालय के साथ-साथ एनबीएसयू वार्ड में भी कई सुविधाएं विस्तारित करने की योजना है. अस्पताल, कई नई सुविधाओं से भी लैस होगा. उन्होने बताया कि जल्द ही अस्पताल के इस वार्ड में सेंट्रल ऑक्सिजन यूनिट के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो जाएगी. साथ ही वेंटिलेटर की सुविधा शुरू की जाएगी.

नागौर. जिले के बांसा की निवासी सुनीता का कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में प्रसव हुआ. जन्म के चौथे दिन नवजात शिशु के शरीर में पीलिया काफी हद तक बढ़ गया था. ऐसे में चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इशाक देवड़ा ने फोटो थैरेपी के जरिए पीलिया को कंट्रोल करने की कोशिश की. कामयाबी नहीं मिलने पर उन्होंने ब्लड ट्रांसफ्यूजन यानी नवजात बच्ची के शरीर का रक्त बदलने का फैसला किया.

ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन से बची नवजात की जान

बच्चे की मां सुनीता सहित परिजनों ने आशंका जाहिर की कि कुचामन जैसे छोटे अस्पताल में इस तरह की सुविधा कैसे मिल सकती है और क्या वो कामयाब होगी. इस पर चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. शकील अहमद राव जो खुद शिशु रोग विशेषज्ञ है, उन्होंने बच्चे की मां सुनीता और परिजनों को यकीन दिलाया की वैसे तो यह सुविधा बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में होती है, लेकिन कुचामन के चिकित्सालय में भी यह सुविधा विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा दी जा रही है और इससे जुड़े सभी मामलों में कामयाबी ही मिली है. परिजनों की रजामंदी से डॉक्टर इशाक देवड़ा ने नवजात का सफलतापूर्वक ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया. बच्चे के शरीर से पीलिया युक्त रक्त निकालकर नया रक्त बदला गया.

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यह कोई पहला मामला नहीं है जब कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन के जरिए किसी नवजात की जान बचाई गई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. देवड़ा और उनकी टीम तकरीबन 40 से ज्यादा बच्चों की जान अब तक ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन करके बचा चुके हैं.

एनबीएसयू वार्ड की सुविधाओं से चिकित्सालय की प्रदेशभर में बनी अलग पहचान

कुचामन के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सालय के न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट एनबीएसयू वार्ड की विशिष्ट सुविधाओं के चलते चिकित्सालय की प्रदेश भर में अलग पहचान बन चुकी है. नवजात शिशुओं को जो गम्भीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं, उन्हें इस तरह की चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. जो कि प्रदेश के कई जिला मुख्यालय के चिकित्सालय में भी उपलब्ध नहीं है. इस चिकित्सालय के एनबीएसयू वार्ड में कुछ सुविधाएं भी उपलब्ध है, जो प्रदेश के बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में मिलती है.

अत्यधिक कम वजन के बच्चों (ईएलबीडब्ल्यू) का इलाज इस अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ कर रहे हैं। समय से पहले जन्मे बच्चों के फेफड़े बनाने का इंजेक्शन की सुविधा भी इस चिकित्सालय में उपलब्ध है. अस्पताल के एनबीएसयू वार्ड की विशेष सुविधाओं के चलते चिकित्सालय में ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित नवजात का इलाज मुमकिन हो सका है और कई नवजात को नया जीवन मिला है.

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पीएमओ डॉ. शकील अहमद राव ने बताया कि आने वाले दिनों में चिकित्सालय के साथ-साथ एनबीएसयू वार्ड में भी कई सुविधाएं विस्तारित करने की योजना है. अस्पताल, कई नई सुविधाओं से भी लैस होगा. उन्होने बताया कि जल्द ही अस्पताल के इस वार्ड में सेंट्रल ऑक्सिजन यूनिट के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो जाएगी. साथ ही वेंटिलेटर की सुविधा शुरू की जाएगी.

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