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UP से पकड़े गए Bihar के ''लल्लन गैंग'' सदस्य, नागौर के बड़े Mobile शोरूम से उड़ाया था लाखों का सामान, सरगना की तलाश अब भी बरकरार - नागौर पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस

मोबाइल चोर (Mobile Thieves) गिरोह बनाकर एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन राज्यों में अपना आतंक मचाए थे. इस गैंग के सदस्य बिहार से हैं और इन्हें UP के नोएडा से पकड़ा गया है. अब भी इनके मुख्य आरोपी की तलाश की जा रही है. पुलिस ने दो संदिग्धों को पकड़ने का दावा तो किया है लेकिन अब तक चोरी का सामान बरामद नहीं किया जा सका है.

lallan gang members
लल्लन गैंग के मोबाइल चोर
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Published : Aug 12, 2021, 1:16 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 2:32 PM IST

नागौर: नागौर पुलिस ने UP से मोबाइल चोर गैंग के दो सदस्यों को पकड़ा है. दावा किया जा रहा है कि इसके सदस्य बिहार से हैं और हाल ही में जिले के सबसे बड़े शो रूम से लाखों के मोबाइल चोरी कर फरार हो गए थे. नागौर के एसपी ने प्रेस वार्ता कर इस गैंग के शातिराना अंदाज का ब्योरा दिया. साथ ही उम्मीद जताई कि इनसे और कई राज उगलवाए जाएंगे. हालांकि अब भी गैंग का बॉस पकड़ से दूर है.

लल्लन गैंग के सदस्य पकड़े गए

बीती 31 जुलाई को 5 चोरों ने नागौर में मोबाइल की दुकान से लाखों की चोरी की वारदात को अंजाम दिया था, ये चोर लल्लन गैंग से जुड़े बताए जा रहे है जिन्होंने शहर में ए रोड पर सबसे बड़ी मोबाइल चोरी की वारदात को अंजाम दिया था.

पुलिस का दावा है कि पकड़े गए दोनों संदिग्धों से उसे कई इनपुट मिले हैं जिससे भविष्य में कई खुलासे मुमकिन है. एसपी अभिजीत सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि मोबाइल चुराने वाली गैंग बिहार के मोतिहारी जिले के घोड़ासहन थाना क्षेत्र से जुड़ी हैं.

Modus Operandi है कुछ ऐसी: पुलिस के मुताबिक लल्लन गैंग के सदस्य 5 से 7 के समूह में निकलते है. उनके रेकी के आधार पर शहर चुनते हैं, फिर अपने टारगेट को निशाने पर लेते हैं. योजनाबद्ध तरीके से बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं. फिर चोरी के माल काे आपस में बांटकर अपने घर से दूर लापता हो जाते हैं. इसके लिए अपने नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में निश्चित ठिकानों पर पहुंचते हैं. थोड़े समय बाद जिस शहर में बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं, उसी को वापस टारगेट बनाते है.

नागौर और जयपुर निशाने पर: पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि बिहार गैंग के निशाने पर नागौर और राजधानी जयपुर है. एसपी अभिजीत सिंह ने बताया कि शहर के शोरूम में जिस तरीके से चोरी की गई, उसे देखकर पुलिस को अनुमान हो गया था कि चोरी में पेशेवर बाहरी गैंग का हाथ है. गैंग सदस्यों की तलाश में 7 सदस्य दो टीम गठित की थी. पुलिस की इन विशेष टीमों को दिल्ली, यूपी व बिहार भेजा गया था.


और पुलिस ने खूब बहाया पसीना: गत दस दिनों में इस टीम ने सीसीटीवी फुटेज से मिले क्लू, मोबाइल ट्रेस लोकेशन के आधार पर दिल्ली, गुड़गांव और आसपास के इलाकों की छानबीन की. नागौर पुलिस टीम यूपी के नोएडा से बिहार के घोड़ासहन थाना क्षेत्र के कुशमारी निवासी अनिल कुमार यादव, बिहार के ही मोतिहारी जिले के लेनबसवरिया निवासी रूपेश गुप्ता को दस्तयाब कर पूछताछ के लिए नागौर ले आई. दोनों संदिग्धों से पुलिस जरूरी जानकारी इकट्ठा कर रही है.

फिर भी खाली हाथ: पुलिस की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसे बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. लेकिन सचाई ये है कि अब तक चोरी हुए लाखों के मोबाइल बरामद नहीं किए जा सके हैं. गैंग ने चुराए मोबाइल किसको बेचे है फिलहाल पुलिस इसी का सुराग जुटा रही है. गैंग ने जयपुर व नागौर में दो बड़ी वारदात को अंजाम दिया है. अब गैंग के सदस्यों की तलाश में नागौर और जयपुर कमिश्नरेट की पुलिस टीमें बिहार, यूपी व दिल्ली में जुटी हुई है.

नागौर: नागौर पुलिस ने UP से मोबाइल चोर गैंग के दो सदस्यों को पकड़ा है. दावा किया जा रहा है कि इसके सदस्य बिहार से हैं और हाल ही में जिले के सबसे बड़े शो रूम से लाखों के मोबाइल चोरी कर फरार हो गए थे. नागौर के एसपी ने प्रेस वार्ता कर इस गैंग के शातिराना अंदाज का ब्योरा दिया. साथ ही उम्मीद जताई कि इनसे और कई राज उगलवाए जाएंगे. हालांकि अब भी गैंग का बॉस पकड़ से दूर है.

लल्लन गैंग के सदस्य पकड़े गए

बीती 31 जुलाई को 5 चोरों ने नागौर में मोबाइल की दुकान से लाखों की चोरी की वारदात को अंजाम दिया था, ये चोर लल्लन गैंग से जुड़े बताए जा रहे है जिन्होंने शहर में ए रोड पर सबसे बड़ी मोबाइल चोरी की वारदात को अंजाम दिया था.

पुलिस का दावा है कि पकड़े गए दोनों संदिग्धों से उसे कई इनपुट मिले हैं जिससे भविष्य में कई खुलासे मुमकिन है. एसपी अभिजीत सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि मोबाइल चुराने वाली गैंग बिहार के मोतिहारी जिले के घोड़ासहन थाना क्षेत्र से जुड़ी हैं.

Modus Operandi है कुछ ऐसी: पुलिस के मुताबिक लल्लन गैंग के सदस्य 5 से 7 के समूह में निकलते है. उनके रेकी के आधार पर शहर चुनते हैं, फिर अपने टारगेट को निशाने पर लेते हैं. योजनाबद्ध तरीके से बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं. फिर चोरी के माल काे आपस में बांटकर अपने घर से दूर लापता हो जाते हैं. इसके लिए अपने नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में निश्चित ठिकानों पर पहुंचते हैं. थोड़े समय बाद जिस शहर में बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं, उसी को वापस टारगेट बनाते है.

नागौर और जयपुर निशाने पर: पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि बिहार गैंग के निशाने पर नागौर और राजधानी जयपुर है. एसपी अभिजीत सिंह ने बताया कि शहर के शोरूम में जिस तरीके से चोरी की गई, उसे देखकर पुलिस को अनुमान हो गया था कि चोरी में पेशेवर बाहरी गैंग का हाथ है. गैंग सदस्यों की तलाश में 7 सदस्य दो टीम गठित की थी. पुलिस की इन विशेष टीमों को दिल्ली, यूपी व बिहार भेजा गया था.


और पुलिस ने खूब बहाया पसीना: गत दस दिनों में इस टीम ने सीसीटीवी फुटेज से मिले क्लू, मोबाइल ट्रेस लोकेशन के आधार पर दिल्ली, गुड़गांव और आसपास के इलाकों की छानबीन की. नागौर पुलिस टीम यूपी के नोएडा से बिहार के घोड़ासहन थाना क्षेत्र के कुशमारी निवासी अनिल कुमार यादव, बिहार के ही मोतिहारी जिले के लेनबसवरिया निवासी रूपेश गुप्ता को दस्तयाब कर पूछताछ के लिए नागौर ले आई. दोनों संदिग्धों से पुलिस जरूरी जानकारी इकट्ठा कर रही है.

फिर भी खाली हाथ: पुलिस की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उसे बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. लेकिन सचाई ये है कि अब तक चोरी हुए लाखों के मोबाइल बरामद नहीं किए जा सके हैं. गैंग ने चुराए मोबाइल किसको बेचे है फिलहाल पुलिस इसी का सुराग जुटा रही है. गैंग ने जयपुर व नागौर में दो बड़ी वारदात को अंजाम दिया है. अब गैंग के सदस्यों की तलाश में नागौर और जयपुर कमिश्नरेट की पुलिस टीमें बिहार, यूपी व दिल्ली में जुटी हुई है.

Last Updated : Aug 12, 2021, 2:32 PM IST
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