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मनरेगा में नागौर जिला राजस्थान में तीसरे स्थान पर - नागौर में मनरेगा का काम

जुलाई के पहले पखवाड़े तक नागौर में मनरेगा से करीब दो लाख लोग जुड़े हुए थे. नागौर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर है. जिले की ग्राम पंचायतों में 2,325 काम प्रगति पर हैं, जिनके लिए 10,121 मस्टररोल जारी किए गए हैं. फिलहाल जिले में 86,233 मजदूर मनरेगा में कार्य कर रहे हैं.

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मनरेगा में नागौर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर
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Published : Oct 17, 2020, 9:20 PM IST

नागौर. कोरोना काल में बड़े शहरों में काम धंधे ठप होने के बाद गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने के बाद महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने मजदूरों की डूबती नैया को फिर से पार लगा दिया है. नागौर जिले मे करीब 86 हजार से ज्यादा श्रमिक मनरेगा के अंतर्गत काम कर रहे हैं. नागौर जिला प्रदेश मे तीसरे स्थान पर पहुंचा है. कोरोना काल में जहां देश के औद्योगिक क्षेत्रों में सन्नाटा पसरा है, वहीं कई छोटे-बड़े उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

मनरेगा में नागौर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर

ऐसे में ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल होता जा रहा है. कोरोना काल में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ग्रामीण इलाके के बेरोजगारों और मजदूरों के लिए रोजगार देने में अहम भूमिका अदा कर रहा है. कई प्रवासी मजदूर जब कोरोना काल में अपने गांवों की ओर लौटे थे, लेकिन मनरेगा ने उनके जीवन की मुश्किलें कम कर दी थी.

नागौर जिले में योजना के अंतर्गत कार्य कर प्रवासी मजदूर अपना और परिजनों का पेट पाल रहे हैं. वर्तमान में नागौर जिले की 500 में से 468 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम चल रहे हैं. जिनमें अभी 86 हजार से ज्यादा मजदूर जुड़े हुए हैं. मनरेगा के तहत लोगों को काम मुहैया करवाने के लिहाज से अभी नागौर प्रदेश में श्रीगंगानगर और बाड़मेर के बाद तीसरे पायदान पर है.

हालांकि जुलाई के पहले पखवाड़े तक नागौर में मनरेगा से करीब दो लाख लोग जुड़े हुए थे. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन में ढील के साथ ही अप्रैल में जिले में मनरेगा के तहत काम शुरू किए गए थे. तब 50 हजार मजदूर मनरेगा में काम कर रहे थे, लेकिन बाद में जिले में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ने के साथ ही मनरेगा के जॉब कार्ड बनने प्रक्रिया में भी तेजी आई और मजदूरों की संख्या भी बढ़ने लगी. जुलाई तक मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या करीब दो लाख तक पहुंच गई थी. जिले में 86 हजार से ज्यादा लोग मनरेगा में मजदूरी कर परिवार चला रहे हैं.

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी बताते हैं कि नागौर जिले की 500 में से 468 ग्राम पंचायतों में अभी मनरेगा के तहत काम चल रहा है. इन ग्राम पंचायतों में 2,325 काम प्रगति पर हैं, जिनके लिए 10,121 मस्टररोल जारी किए गए हैं. फिलहाल जिले में 86,233 मजदूर मनरेगा में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि जुलाई के पहले पखवाड़े तक जिले में करीब 2 लाख मजदूर मनरेगा से जुड़े थे अभी मनरेगा में रोजगार मुहैया करवाने के लिहाज से प्रदेश में नागौर का तीसरा स्थान है.

यह भी पढ़ें- चूरू: नागालैंड की महिला से दुष्कर्म मामले में 2 गिरफ्तार, नौकरी का झांसा देकर बुलाया था राजस्थान

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी का कहना है कि सार्वजनिक हित के काम जैसे तालाब और नाली खुदाई और पौधरोपण के साथ ही चयनित परिवारों के खेत की बाड़ बनाने, टांका बनाने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों के काम में भी मनरेगा श्रमिकों को रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है. विभागीय आंकड़े बताते हैं कि जिले में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा 10202 मजदूर मकराना पंचायत समिति की 34 ग्राम पंचायतों में जुड़े हुए हैं.

नागौर. कोरोना काल में बड़े शहरों में काम धंधे ठप होने के बाद गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने के बाद महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने मजदूरों की डूबती नैया को फिर से पार लगा दिया है. नागौर जिले मे करीब 86 हजार से ज्यादा श्रमिक मनरेगा के अंतर्गत काम कर रहे हैं. नागौर जिला प्रदेश मे तीसरे स्थान पर पहुंचा है. कोरोना काल में जहां देश के औद्योगिक क्षेत्रों में सन्नाटा पसरा है, वहीं कई छोटे-बड़े उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

मनरेगा में नागौर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर

ऐसे में ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल होता जा रहा है. कोरोना काल में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ग्रामीण इलाके के बेरोजगारों और मजदूरों के लिए रोजगार देने में अहम भूमिका अदा कर रहा है. कई प्रवासी मजदूर जब कोरोना काल में अपने गांवों की ओर लौटे थे, लेकिन मनरेगा ने उनके जीवन की मुश्किलें कम कर दी थी.

नागौर जिले में योजना के अंतर्गत कार्य कर प्रवासी मजदूर अपना और परिजनों का पेट पाल रहे हैं. वर्तमान में नागौर जिले की 500 में से 468 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम चल रहे हैं. जिनमें अभी 86 हजार से ज्यादा मजदूर जुड़े हुए हैं. मनरेगा के तहत लोगों को काम मुहैया करवाने के लिहाज से अभी नागौर प्रदेश में श्रीगंगानगर और बाड़मेर के बाद तीसरे पायदान पर है.

हालांकि जुलाई के पहले पखवाड़े तक नागौर में मनरेगा से करीब दो लाख लोग जुड़े हुए थे. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन में ढील के साथ ही अप्रैल में जिले में मनरेगा के तहत काम शुरू किए गए थे. तब 50 हजार मजदूर मनरेगा में काम कर रहे थे, लेकिन बाद में जिले में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ने के साथ ही मनरेगा के जॉब कार्ड बनने प्रक्रिया में भी तेजी आई और मजदूरों की संख्या भी बढ़ने लगी. जुलाई तक मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या करीब दो लाख तक पहुंच गई थी. जिले में 86 हजार से ज्यादा लोग मनरेगा में मजदूरी कर परिवार चला रहे हैं.

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी बताते हैं कि नागौर जिले की 500 में से 468 ग्राम पंचायतों में अभी मनरेगा के तहत काम चल रहा है. इन ग्राम पंचायतों में 2,325 काम प्रगति पर हैं, जिनके लिए 10,121 मस्टररोल जारी किए गए हैं. फिलहाल जिले में 86,233 मजदूर मनरेगा में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि जुलाई के पहले पखवाड़े तक जिले में करीब 2 लाख मजदूर मनरेगा से जुड़े थे अभी मनरेगा में रोजगार मुहैया करवाने के लिहाज से प्रदेश में नागौर का तीसरा स्थान है.

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जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी का कहना है कि सार्वजनिक हित के काम जैसे तालाब और नाली खुदाई और पौधरोपण के साथ ही चयनित परिवारों के खेत की बाड़ बनाने, टांका बनाने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों के काम में भी मनरेगा श्रमिकों को रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है. विभागीय आंकड़े बताते हैं कि जिले में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा 10202 मजदूर मकराना पंचायत समिति की 34 ग्राम पंचायतों में जुड़े हुए हैं.

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