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सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट कूचामन सिटी का अहम फैसला, जानें - सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट का फैसला

धारा 498 ए (दहेज कानून) और धारा 406 (विश्वास का आपराधिक हनन) के मामले में सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट कूचामन सिटी ने अहम फैसला लिया है. जहां राणोली थाने के जीण माता के रहने वाले सूरज प्रकाश को 498 ए में दो साल का साधारण कारावास और 406 के आरोप मे दो साल का साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थदण्ड से दाणिडत किया गया है.

सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट का फैसला, Civil Judge and Judicial Magistrate decision
सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट का फैसला
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Published : Apr 12, 2021, 7:19 AM IST

नागौर. हर तरक्की और बदलाव में जहां कुछ अच्छाइयां होती हैं, वहीं बुराइयां भी होती हैं. यही हाल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्‍चित करने के लिए बने दहेज कानून का भी है. इससे जहां पीड़ित महिलाओं को बहुत राहत मिली है, वहीं इस कानून के गलत इस्तेमाल के कारण ये पुरुषों के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. धारा 498 ए (दहेज कानून) और धारा 406 (विश्वास का आपराधिक हनन) के मामले मे सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट कूचामन सिटी ने अपने अहम फैसले मे राणोली थाने के जीण माता के रहने वाले सूरज प्रकाश को 498 ए मे दो साल का साधारण कारावास और 406 के आरोप में दो साल का साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है.

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि दोनों सजाएं एक साथ चलेगी और अभियुक्त की ओर से पूर्व में न्यायिक अभिरक्षा और पुलिस अभिरक्षा में व्यतीत की गई. मूल सजा में समायोजित की जाकर अभियुक्त का सजा वारण्ट मुखतिब किया जाए. इसके साथ ही अतिरिक्त अभियुक्तगण रतनलाल निवासी जीणमाता पुलिस थाना राणोली, जिला सीकर और राजुदेवी शर्मा पत्नी रतनलाल जाति ब्रहाम्ण उम्र 55वर्ष, निवासी जीवणमाता पुलिस थाना राणोली, जिला सीकर को दोषसिद्ध आरोप अंतर्गत धारा 498ए एवं 406 भा.द सं. के तहत तुरन्त सजा से दण्डित ना कर परीविक्षा अधिनियम की धारा 4 का लाभ दिया जाकर आदेश दिया जाता है.

पढ़ेंः भीलवाड़ा : ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किये गंगाबाई मंदिर के दर्शन...कहा-राजस्थान से पुराना रिश्ता

प्रत्येक अभियुक्तगण एक वर्ष की अवधि के लिए दस-दस हजार रूपये का स्वयं का बंध पत्र और इसी राशि की एक-एक मौतबीर जमानत इस आशय की पेश कर तस्दीक करादें. जिससे वह उक्त अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगें और सदाचारी रहेगें और जब भी न्यायालय उक्त अवधि में सजा हेतु तलब करेगा हाजिर होंगे. साथ ही यह भी आदेश दिया जाता है कि प्रत्येक अभियुक्त धारा 5 के तहत 500-500 रुपयें भी जमा करवाएंगें.

नागौर. हर तरक्की और बदलाव में जहां कुछ अच्छाइयां होती हैं, वहीं बुराइयां भी होती हैं. यही हाल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्‍चित करने के लिए बने दहेज कानून का भी है. इससे जहां पीड़ित महिलाओं को बहुत राहत मिली है, वहीं इस कानून के गलत इस्तेमाल के कारण ये पुरुषों के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. धारा 498 ए (दहेज कानून) और धारा 406 (विश्वास का आपराधिक हनन) के मामले मे सिविल न्यायाधीश एंव न्यायिक मजिस्ट्रेट कूचामन सिटी ने अपने अहम फैसले मे राणोली थाने के जीण माता के रहने वाले सूरज प्रकाश को 498 ए मे दो साल का साधारण कारावास और 406 के आरोप में दो साल का साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है.

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि दोनों सजाएं एक साथ चलेगी और अभियुक्त की ओर से पूर्व में न्यायिक अभिरक्षा और पुलिस अभिरक्षा में व्यतीत की गई. मूल सजा में समायोजित की जाकर अभियुक्त का सजा वारण्ट मुखतिब किया जाए. इसके साथ ही अतिरिक्त अभियुक्तगण रतनलाल निवासी जीणमाता पुलिस थाना राणोली, जिला सीकर और राजुदेवी शर्मा पत्नी रतनलाल जाति ब्रहाम्ण उम्र 55वर्ष, निवासी जीवणमाता पुलिस थाना राणोली, जिला सीकर को दोषसिद्ध आरोप अंतर्गत धारा 498ए एवं 406 भा.द सं. के तहत तुरन्त सजा से दण्डित ना कर परीविक्षा अधिनियम की धारा 4 का लाभ दिया जाकर आदेश दिया जाता है.

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प्रत्येक अभियुक्तगण एक वर्ष की अवधि के लिए दस-दस हजार रूपये का स्वयं का बंध पत्र और इसी राशि की एक-एक मौतबीर जमानत इस आशय की पेश कर तस्दीक करादें. जिससे वह उक्त अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगें और सदाचारी रहेगें और जब भी न्यायालय उक्त अवधि में सजा हेतु तलब करेगा हाजिर होंगे. साथ ही यह भी आदेश दिया जाता है कि प्रत्येक अभियुक्त धारा 5 के तहत 500-500 रुपयें भी जमा करवाएंगें.

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