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डेढ़ महीने बाद भी पक्षियों की मौत रहस्य, आखिर सांभर झील में क्यों फैला एवियन बोटूलिज्म

राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में अब तक कि सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी को करीब डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन अभी तक सरकार को यह पता नहीं है कि सांभर झील में एवियन बोटूलिज्म फैलने का कारण क्या था. प्रदेश के वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई का कहना है कि इस संबंध में अब तक विशेषज्ञों की रिपोर्ट नहीं मिली है.

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Published : Dec 20, 2019, 7:29 PM IST

नागौर. सांभर झील में अब तक की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी का पूरा सच अभी तक सामने नहीं आ पाया है. डेढ़ महीने बाद भी सरकार को यह तक पता नहीं है कि जिस एवियन बोटयूलिज्म ने सांभर झील में हजारों पक्षियों की जान ली. उस जीवाणु के यहां फैलने के कारण क्या रहे हैं. ऐसे में सांभर झील में ऐसी पक्षी त्रासदी रोकने के सरकार के तमाम दावों की कलई खुलती दिख रही है.

सांभर झील में पक्षियों की मौत से अब तक रहस्यमयी

शुक्रवार जिले के दौरे पर आए वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि भोपाल, बरेली, देहरादून और लुधियाना के विशेषज्ञों ने खुद सांभर झील पहुंचकर जांच की थी और पक्षियों के शरीर के साथ ही पानी के नमूने भी लिए थे, लेकिन अभी तक उनकी रिपोर्ट सरकार को नहीं मिली है. जिससे पता चल सके कि एवियन बोटयूलिज्म सांभर झील में क्यों फैला. हालांकि यह खुलासा काफी पहले ही हो चुका है कि हजारों पक्षियों की मौत एवियन बोटयूलिज्म के कारण हुई है.

यह भी पढे़ं- Special­: भामाशाहों की मदद से स्कूल की काया पलटी, अब प्राइवेट स्कूलों जैसी हो रही पढ़ाई

इधर, सांभर झील में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर मंत्री बिश्नोई ने बताया कि सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बना दी है. सांभर झील के अलावा अन्य ऐसी जगहों को भी इसमें शामिल कर प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सांभर झील में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के मद्देनजर वहां वन विभाग की चौकी खोलने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले को लेकर आज पर्यावरण मंत्रालय से जवाब मांगा है.

नागौर. सांभर झील में अब तक की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी का पूरा सच अभी तक सामने नहीं आ पाया है. डेढ़ महीने बाद भी सरकार को यह तक पता नहीं है कि जिस एवियन बोटयूलिज्म ने सांभर झील में हजारों पक्षियों की जान ली. उस जीवाणु के यहां फैलने के कारण क्या रहे हैं. ऐसे में सांभर झील में ऐसी पक्षी त्रासदी रोकने के सरकार के तमाम दावों की कलई खुलती दिख रही है.

सांभर झील में पक्षियों की मौत से अब तक रहस्यमयी

शुक्रवार जिले के दौरे पर आए वन और पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि भोपाल, बरेली, देहरादून और लुधियाना के विशेषज्ञों ने खुद सांभर झील पहुंचकर जांच की थी और पक्षियों के शरीर के साथ ही पानी के नमूने भी लिए थे, लेकिन अभी तक उनकी रिपोर्ट सरकार को नहीं मिली है. जिससे पता चल सके कि एवियन बोटयूलिज्म सांभर झील में क्यों फैला. हालांकि यह खुलासा काफी पहले ही हो चुका है कि हजारों पक्षियों की मौत एवियन बोटयूलिज्म के कारण हुई है.

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इधर, सांभर झील में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसके लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर मंत्री बिश्नोई ने बताया कि सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बना दी है. सांभर झील के अलावा अन्य ऐसी जगहों को भी इसमें शामिल कर प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सांभर झील में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के मद्देनजर वहां वन विभाग की चौकी खोलने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले को लेकर आज पर्यावरण मंत्रालय से जवाब मांगा है.

Intro:राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में अब तक कि सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी को करीब डेढ़ महीना बीत चुका है। लेकिन अभी तक सरकार को यह पता नहीं है कि सांभर झील में एवियन बोटयूलिज्म फैलने का कारण क्या था। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई का कहना है कि इस संबंध में अब तक विशेषज्ञों की रिपोर्ट नहीं मिली है।


Body:नागौर. सांभर झील में अब तक की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी का पूरा सच अभी तक सामने नहीं आ पाया है। डेढ़ महीने बाद भी सरकार को यह तक पता नहीं है कि जिस एवियन बोटयूलिज्म ने सांभर झील में हजारों पक्षियों की जान ली। उस जीवाणु के यहां फैलने के कारण क्या रहे हैं। ऐसे में सांभर झील में ऐसी पक्षी त्रासदी रोकने के सरकार के तमाम दावों की कलई खुलती दिख रही है। आज नागौर जिले के दौरे पर आए वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि भोपाल, बरेली, देहरादून और लुधियाना के विशेषज्ञों ने खुद सांभर झील पहुंचकर जांच की थी और पक्षियों के शरीर के साथ ही पानी के नमूने भी लिए थे। लेकिन अभी तक उनकी रिपोर्ट सरकार को नहीं मिली है। जिससे पता चल सके कि एवियन बोटयूलिज्म सांभर झील में क्यों फैला। हालांकि, यह खुलासा काफी पहले ही हो चुका है कि हजारों पक्षियों की मौत एवियन बोटयूलिज्म के कारण हुई है।


Conclusion:इधर, सांभर झील में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो। इसके लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर मंत्री बिश्नोई ने बताया कि सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बना दी है। सांभर झील के अलावा अन्य ऐसी जगहों को भी इसमें शामिल कर प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सांभर झील में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के मद्देनजर वहां वन विभाग की चौकी खोलने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले को लेकर आज पर्यावरण मंत्रालय से जवाब मांगा है।
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बाईट- सुखराम बिश्नोई, वन एवं पर्यावरण मंत्री, राजस्थान।
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