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नागौर: वन विभाग के अधिकारियों ने सांभर झील क्षेत्र का किया निरीक्षण - सांभर झील में पक्षी त्रासदी

खारे पानी की विश्व विख्यात सांभर झील में बीते साल नवंबर महीने में हुई पक्षी त्रासदी में हजारों पक्षी मरे थे. अब वन विभाग के अधिकारी और पक्षी प्रेमी लगातार झील क्षेत्र में मॉनिटरिंग कर रहे हैं, ताकि पक्षी त्रासदी जैसी कोई घटना दुबारा नहीं हो.

Nagaur news, inspected Sambhar Lake, Forest Department
वन विभाग के अधिकारियों ने सांभर झील क्षेत्र का किया निरीक्षण
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Published : Oct 30, 2020, 11:49 AM IST

नागौर. खारे पानी की विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में पिछले साल नवंबर में हुई पक्षी त्रासदी में हजारों पक्षी काल के मुंह में समा गए थे. इस साल ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो. इसलिए वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही पक्षी प्रेमी भी नियमित रूप से झील क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं. जयपुर उप वन संरक्षक अमर सिंह गोठवाल और दूदू रेंजर आरएस जाखड़ ने सांभर झील क्षेत्र का दौरा कर निरीक्षण किया.

Nagaur news, inspected Sambhar Lake, Forest Department
सांभर झील क्षेत्र में पक्षियों के संरक्षण

इसके साथ ही काचरोदा नर्सरी और झील के किनारे रतन तालाब के पास बन रहे रेस्क्यू सेंटर का जायजा लिया है. इस मौके पर सांभर झील के इलाके में पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के स्वयंसेवक भी उनके साथ रहे. इस संगठन के ओमप्रकाश ने बताया कि रेड वेटेल्ड लेपविग नाम का एक स्थानीय पक्षी कांटेदार झाड़ी में फंसने की वजह से घायल हो गया था, जिसे झाड़ियों से रेस्क्यू करके काचरोदा नर्सरी पहुंचाया गया है, जहां पशुपालन विभाग की टीम ने उसका उपचार किया है.

यह भी पढ़ें- नागौर: डंपर ने कार को मारी टक्कर, हादसे में कार सवार तीन लोगों की मौत

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पक्षी में किसी भी तरह की बीमारी या इंफेक्शन का कोई लक्षण नहीं पाया गया है. वन विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस साल अभी तक सांभर झील क्षेत्र में एवियन बॉटूलिज्म का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जो राहत की बात है. पिछले साल एवियन बॉटूलिज्म के कारण ही हजारों पक्षी यहां मरे थे.

नागौर. खारे पानी की विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में पिछले साल नवंबर में हुई पक्षी त्रासदी में हजारों पक्षी काल के मुंह में समा गए थे. इस साल ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो. इसलिए वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही पक्षी प्रेमी भी नियमित रूप से झील क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं. जयपुर उप वन संरक्षक अमर सिंह गोठवाल और दूदू रेंजर आरएस जाखड़ ने सांभर झील क्षेत्र का दौरा कर निरीक्षण किया.

Nagaur news, inspected Sambhar Lake, Forest Department
सांभर झील क्षेत्र में पक्षियों के संरक्षण

इसके साथ ही काचरोदा नर्सरी और झील के किनारे रतन तालाब के पास बन रहे रेस्क्यू सेंटर का जायजा लिया है. इस मौके पर सांभर झील के इलाके में पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के स्वयंसेवक भी उनके साथ रहे. इस संगठन के ओमप्रकाश ने बताया कि रेड वेटेल्ड लेपविग नाम का एक स्थानीय पक्षी कांटेदार झाड़ी में फंसने की वजह से घायल हो गया था, जिसे झाड़ियों से रेस्क्यू करके काचरोदा नर्सरी पहुंचाया गया है, जहां पशुपालन विभाग की टीम ने उसका उपचार किया है.

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वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पक्षी में किसी भी तरह की बीमारी या इंफेक्शन का कोई लक्षण नहीं पाया गया है. वन विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस साल अभी तक सांभर झील क्षेत्र में एवियन बॉटूलिज्म का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जो राहत की बात है. पिछले साल एवियन बॉटूलिज्म के कारण ही हजारों पक्षी यहां मरे थे.

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