नागौर. खारे पानी की विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में पिछले साल नवंबर में हुई पक्षी त्रासदी में हजारों पक्षी काल के मुंह में समा गए थे. इस साल ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो. इसलिए वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही पक्षी प्रेमी भी नियमित रूप से झील क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं. जयपुर उप वन संरक्षक अमर सिंह गोठवाल और दूदू रेंजर आरएस जाखड़ ने सांभर झील क्षेत्र का दौरा कर निरीक्षण किया.
इसके साथ ही काचरोदा नर्सरी और झील के किनारे रतन तालाब के पास बन रहे रेस्क्यू सेंटर का जायजा लिया है. इस मौके पर सांभर झील के इलाके में पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के स्वयंसेवक भी उनके साथ रहे. इस संगठन के ओमप्रकाश ने बताया कि रेड वेटेल्ड लेपविग नाम का एक स्थानीय पक्षी कांटेदार झाड़ी में फंसने की वजह से घायल हो गया था, जिसे झाड़ियों से रेस्क्यू करके काचरोदा नर्सरी पहुंचाया गया है, जहां पशुपालन विभाग की टीम ने उसका उपचार किया है.
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वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पक्षी में किसी भी तरह की बीमारी या इंफेक्शन का कोई लक्षण नहीं पाया गया है. वन विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस साल अभी तक सांभर झील क्षेत्र में एवियन बॉटूलिज्म का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जो राहत की बात है. पिछले साल एवियन बॉटूलिज्म के कारण ही हजारों पक्षी यहां मरे थे.