नागौर. नगर परिषद में नियमन, भूमि रूपान्तरण, खांचा भूमि और स्टेट ग्रांट से जुड़ी पत्रावलियों के निस्तारण पर फिलहाल रोक रहेगी. ऐसा इसलिए है, क्योंकि नगर परिषद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पार्षदों के द्वारा संभागीय आयुक्त आयुषी मलिक से शिकायत की थी. इसके बाद उपखण्ड अधिकारी नागौर अमित चौधरी के निर्देशोंं के बाद गठित की गई टीम ने नगर परिषद में भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले की जांच अब शुरू कर दी है.
इस दौरान नगर परिषद नागौर के द्वारा जांच जारी रहने तक भूमि नियमन की फाइलों के साथ स्टेट ग्रांट के पट्टों की फाइलों और भूमि रूपान्तरण पर विचार नहीं किया जाए. वहीं शिकायत करने वाले नागौर नगर परिषद के पूर्व सभापति श्यामलाल के साथ पूर्व पार्षदों का साफतौर पर कहना है कि सभापति मांगीलाल भाटी के कार्यकाल में नगर परिषद के द्वारा मनमाने तौर पर कार्य करते हुए परिषद को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि नियमानुसार नियमन की पत्रावलियों को स्टेट ग्रांट के पट्टे जारी कर नगर परिषद के द्वारा भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला गया और राजस्व का नुकसान पहुंचा गया है.
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उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में अजमेर संभागीय आयुक्त से शिकायत करने के बाद नागौर जिला कलेक्टर के द्वारा तीन सदस्यों की जांच कमेटी बनाई गई है, जिसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर मनोज कुमार नागौर उपखंड अधिकारी अमित चौधरी के साथ पंचायत समिति के लेखाधिकारी की टीम जो कि इस पूरे मामले में जांच कर रही है. वहीx लंबे समय बाद मीडिया से रूबरू हुए नागौर नगर परिषद के आयुक्त जोधाराम विश्नोई ने कहा कि हम कमेटी को जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे. साथ ही निर्देशों के मुताबिक पत्रावलियों के निस्तारण पर रोक रहेगी.