नागौर. जिला नगर परिषद सभापति और असंतुष्ट पार्षदों के बीच वाक युद्ध को लेकर घमासान तेज हो गया है. दोनों गुटों की ओर से रणनीति बनाने को लेकर कवायद तेज हो चुकी है. दरअसल, नगर परिषद में वित्त समिति के अध्यक्ष और कुछ पार्षदों ने नगर परिषद सभापति मांगीलाल भाटी पर स्टेट ग्रांट और नियमन से जुड़े मामलों में करोड़ों के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.
जानकारी के मुताबिक बीते साल उपचुनाव में मांगीलाल भाटी 44 में से 38 पार्षदों के मत से नगरपरिषद के सभापति चुने गए थे. नागौर नगर परिषद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाते रहे हैं और अब जब आने वाले दिनों में नगर परिषद नागौर के चुनाव होने जा रहे हैं, तो एक बार फिर नागौर नगर परिषद से जुड़े स्टेट ग्रांट एक्ट के पट्टे और नियमन की फाइलों के नाम पर सभापति पर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेलने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें : मनरेगा में महिला जनप्रतिनिधि की जगह परिवार जन नहीं कर सकेंगे कामः मुख्य कार्यकारी अधिकारी
नगर परिषद के वित्त समिति के अध्यक्ष एवं पार्षद मनोज सिंह ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि मांगीलाल भाटी जब से नागौर नगर परिषद के सभापति बने हैं तब से वे भ्रष्टाचार कर रहे हैं.
सभापति मांगीलाल भाटी ने मामले को लेकर मीडिया से रूबरू होते हुए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि आने वाले दिनों में चुनाव होने जा रहे हैं. यही वजह से उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर कुछ पार्षद अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं. हकीकत तो यह है कि ये पार्षद खुद उनके माध्यम से अपना काम निकलवाना चाहते थे, लेकिन सभापति ने जब मना कर दिया तो उल्टा उन पर आरोप लगा रहे हैं.
बता दें कि नगर परिषद के सभापति के हुए उपचुनाव में बीजेपी को मात्र 4 वोट मिले थे. नेता प्रतिपक्ष ओम प्रकाश सांखला को बीजेपी में हुई गुटबाजी के चलते करारी हार देखने को मिली थी. वहीं सभापति मांगीलाल को 44 मे से 38 मत मिले थे और दो मत खारिज हो गए थे.
यह भी पढ़ें : दर्दनाक हादसाः कार से टकराई तेज रफ्तार बाइक, एक की मौत, दो घायल...देखें Video
नागौर नगर परिषद में कांग्रेस के कुल 17 पार्षद, बीजेपी के कुल 16 पार्षद और निर्दलीय के 12 पार्षद वर्तमान में हैं. गौरतलब है कि साल 2015 के अगस्त में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस के कृपाराम सोलंकी ने 34 मत प्राप्त कर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, जबकि बोर्ड में भाजपा के 16 पार्षद होने के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को मात्र 11 वोट ही मिले थे.