कोटा. कैंसर नाम सूनते ही खौफ पैदा होता है, ये भयानक बीमारी लाखों-करोड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुकी है. इसकी रोकथाम के लिये कई उपाय किये गये हैं. लेकिन, कैंसर से ज्यादा इसका डर लोगों के मन में घर किया हुआ है. हो भी क्यों ना, अकेले भारत में इसके 23 लाख से ज्यादा मरीज हैं. कहने को तो कैंसर के 90 प्रतिशत रोगियों को इलाज फर्स्ट स्टेज में हो सकता हैं. लेकिन, बीमारे के प्रति जागरूकता कम या इलाज से दूरी के कारण रोगी समय पर इलाज ले ही नहीं पाते.
कोटा संभाग की बात की जाए तो कैंसर के हर साल 18 हजार रोगी सामने आ रहे हैं और हाड़ौती में करीब अभी 50 हजार लोग कैंसर से ग्रसित हैं. इनमें से करीब 7 हजार मरीजों की हर साल मौत भी हो जाती है. 4 फरवरी को विश्व कैंसर-डे है. इस मौके हमारे संवाददाता ने सरकारी स्तर पर रोकथाम के प्रयासों को जानने का प्रयास किया, तो सामने आया कि केवल उपचार ही सरकार कर रही है. जागरूकता के लिए अभियान नहीं संचालित किया जा रहा है. वहीं सबसे बड़ा कैंसर कारक तंबाकू है, जिस पर भी किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया हुआ है. वह धड़ल्ले से बाजार में बिक रहा है. वहीं पेस्टिसाइड पर भी किसी भी तरह का कोई कंट्रोल नहीं है.
ये कारण हैं कैंसर के लिए जिम्मेदार...
कैंसर के कारणों की बात की जाए तो सबसे बड़ा और भयावह कारण तंबाकू ही है. इसके कारण ही 30 प्रतिशत मुंह के कैंसर होते हैं. उसके बाद लाइफस्टाइल का बदलना कैंसर का कारण हो रहा है. खान-पान भी इसके लिए जिम्मेदार है, लोग तेल मसाले, जंक फूड और मांसाहार ज्यादा और फाइबर डाइट कम लेना भी कैंसर का कारण है. वहीं कुछ कैंसर मोटापा, अनुवांशिक और विकिरण के कारण भी होते हैं. स्किन कैंसर सूर्य के विकिरण हो कारण हो रहा है.
महिलाओं में ये होते हैं ज्यादातर कैंसर के कारण...
सर्वाइकल कैंसर कम उम्र में शादी, ज्यादा बच्चे होना, जननांगों में संक्रमण और एक से ज्यादा पुरुष से संबंध बनाना कारण है. महिलाओं में साफ-सफाई से नहीं रहना, योनि की कैंसर का एक बड़ा कारण सामने आ रहा है.
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महिलाओं में स्तन कैंसर में लेट शादी, कम बच्चे, स्तनपान नहीं कराना, कम उम्र में माहवारी आना, देरी से मेनोपॉज और ब्लड रिलेटिव के भी इस तरह की बीमारी होना ज्यादा कारण है. चिकित्सकों का कहना है कि एक कैंसर से दूसरा कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है. जिस महिला को स्तन का कैंसर है उसे गर्भाशय, आंत और थाइराइड का कैंसर हो सकता है.
ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत संपर्क करें चिकित्सक से...
मुंह में छाले, मुंह खोलने, चबाने और निगलने में दिक्कत या आवाज में भारीपन होने पर कैंसर हो सकता है. ऐसे में चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ प्रतीत होना, 1 महीने से अधिक समय तक खांसी छाती में दर्द और सांस भरना भी कैंसर के लक्षण है. इसके अलावा शरीर के किसी भी हिस्से से रक्त स्त्राव होना कैंसर हो सकता है.
आधे मरीज गंभीर अवस्था में आते हैं...
कोटा मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आरके तंवर का कहना है कि कैंसर यूनिट में हर साल करीब 22 सौ नए मरीज आ रहे हैं. पिछले 5 सालों में 10 हजार 800 मरीज आए हैं और करीब 5 हजार मरीजों की मौत बीते 5 साल में हुई है.
डॉ. तंवर का मानना है कि पहली स्टेज में उनके पास केवल 20 फीसदी मरीज आते हैं. वहीं दूसरी स्टेज में करीब 30 फीसदी मरीज पहुंचते हैं. सबसे गंभीर अवस्था तीसरी स्टेज और चौथी स्टेज में 25-25 फीसदी मरीज उनके पास आते हैं. हालांकि, पूरे हाड़ौती की बात की जाए तो करीब निजी अस्पतालों का भी आंकड़ा लेने के बाद 18 हजार कैंसर रोगी हर साल आते हैं.
सबसे ज्यादा मोर्टलिटी पित्त की थैली के कैंसर में...
पित्त की थैली की कैंसर होने के बाद 80 फीसदी इसकी मृत्यु दर है. इसके अधिकांश मरीज उपचार के लिए देरी से आते हैं. साथ ही इसका इलाज ऑपरेशन या सर्जरी ही होता है. इस बीमारी के होने के बाद ज्यादातर मरीज 5 साल से ज्यादा सरवाइव नहीं कर पाते हैं.
सरकारी और निजी में हर तरह का उपचार...
डॉ. आरके तंवर बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों में पूरी तरह से निशुल्क इलाज कैंसर के मरीजों का हो रहा है. उनकी सभी जांचें निशुल्क होती है. इसमें सर्जरी भी निशुल्क है. साथ ही कीमो और रेडियो थेरेपी मुफ्त ही मरीजों की हो रही है.
बड़े शहरों से सस्ता इलाज उपलब्ध...
निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में भी कैंसर रोग के निदान का पूरा उपचार उपलब्ध है. यहां पर हर तरह के कैंसर का इलाज अस्पतालों में हो रहा है. साथ ही उनका दावा है कि बड़े शहरों से भी सस्ता इलाज कोटा में उपलब्ध है. वहीं सरकारी योजना भामाशाह स्वास्थ्य बीमा और आयुष्मान भारत से भी कई बीमारियां निशुल्क उपचार में शामिल हैं.
सरकारी स्तर पर इन प्रयासों की जरूरत...
- प्रतिबंधित हो तंबाकू उत्पाद
कैंसर उपचार से जुड़े डॉक्टरों का सीधे तौर पर कहना है कि 40 फीसदी कैंसर तंबाकू जनित होता है, जिससे मुंह, गले या फेफड़े का कैंसर हो रहा है. ऐसे में गुटके को प्रतिबंधित करना जरूरी है.
- दूरदराज के गांवों में भी लगे स्क्रीनिंग कैंप
कैंसर रोग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को विशेष स्क्रीनिंग अभियान चलाना चाहिए. यह स्क्रीनिंग कैंप दूरदराज के गांवों में होना चाहिए. अभी जो कैंसर के मरीज है वह तीसरी या चौथी स्टेज में अस्पताल पहुंच रहे हैं जबकि कैंप या स्क्रीनिंग जल्दी होगी तो यह मरीज पहले आ जाएंगे. कैंसर पूरी तरह से लाइलाज नहीं है. ऐसे में मरीजों को बचाया जा सकता है.
- जागरूकता अभियान चले
निजी अस्पताल के चिकित्सकों का मानना है कि कैंसर के बारे में जागरूकता कम है ऐसे में लोगों को उसके लक्षण की जानकारी देने के लिए भी जागरूकता अभियान चलाना चाहिए
- उपचार के लिए सेंटर्स बने
सरकारी चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर निदान के सेंटर्स बढ़ाने चाहिए, अभी हाड़ौती में महज सरकारी स्तर पर कोटा में ही कैंसर का उपचार हो रहा है. ऐसे में पूरे संभाग से यही मरीज आ रहे हैं. उपचार के सेंटर बढ़ेंगे तो मरीज अपने नजदीकी उपचार करा लेगा, कैंसर का लंबा इलाज चलता है. ऐसे में मरीज को दूसरे शहर में रहना भी पड़ता है. जिससे भी वह पूरा इलाज नहीं करवा पाता है.
- पेस्टिसाइड के उपयोग की भी मात्रा तय होचिकित्सकों का मानना है कि ज्यादा उत्पादन के लिए किसान उर्वरकों और पेस्टिसाइड का उपयोग कर रहा है. ऐसे में यह भी कैंसर कारक होते हैं. इनके उपयोग पर भी सरकार को एक ठोस निर्णय लेकर मात्रा तय करनी चाहिए.
कैंसर | कितने फीसदी |
तंबाकू जनित कैंसर | 40 |
महिलाओं में स्तन और बच्चे दानी का कैंसर | 30 |
पित्त की थैली का कैंसर | 10 |
अन्य कैंसर | 20 |