कोटा. शहर में करीब 2000 करोड़ से ज्यादा के निर्माण कार्य संचालित किए जा रहे हैं. यहां अधिकांश जगह मजदूरों की सुरक्षा को धता ही बताया जा रहा है. यह लोग फ्लाईओवर निर्माण के लिए जमीन से करीब 20 से 25 फीट ऊपर काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. ऐसे में अधिकांश जगह पर यह मजदूर जान पर खेलकर ही काम कर रहे हैं.
मजदूरों के पास पर्याप्त संसाधन भी सुरक्षा के नहीं है. जबकि एक बार पहले भी इस तरह का हादसा हो चुका है, जिसमें एक मजदूर की जान चली गई थी. ईटीवी भारत ने कोटा शहर की करीब आधा दर्जन से ज्यादा निर्माण साइटों का दौरा किया, तो वहां पर हालात एक जैसे ही मिले.
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इंदिरा गांधी फ्लाईओवर पर तो आरसीसी के सरिए जोड़ने का काम में जुटे मजदूर बिना सपोर्ट और सेफ्टी झूले के ही लटकते हुए काम कर रहे थे. बिना सेफ्टी उपकरणों के एरोड्रम सर्किल पर अंडरपास के निर्माण के दौरान जमीन से करीब 20 फुट ऊपर काम कर रहे थे. इसी तरह से रेजोनेंस और सिटी मॉल के सामने फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा था. पूरी जिम्मेदारी नगर विकास न्यास के अधिकारियों की है.
हर मजदूर का एक ही बहाना आज ही काम पर आया हूं
ईटीवी भारत ने मजदूरों से भी इस संबंध में बात की तब उन्होंने एक ही जवाब दिया कि वह आज ही निर्माण कार्य की साइट पर आए हैं. ऐसे में उनको अभी उपकरण नहीं दिए गए हैं. अन्य मजदूरों ने कहा कि हम अभी अभी काम पर आए हैं, अभी थोड़ी देर में पहन लेंगे. कुछ ने गर्मी लगने का बहाना बना दिया. इसके अलावा एक मजदूर ने बहाना बनाया कि वो तो अभी इमरजेंसी में तुरंत 1 मिनट काम करना था. इसके लिए ही ऊपर चढ़ गया था.
घर से लेकर निकलते हैं उपकरण, साइट पर नहीं पहनते
निर्माण साइटों पर कुछ मजदूरों के पास सुरक्षा उपकरण उपलब्ध भी है, लेकिन उनका उपयोग नहीं करते हैं. ये मजदूर अपनी साइकिल मोटरसाइकिल पर जब साइट पर पहुंचते हैं, तब हेलमेट को पहनकर जरूर आते हैं, ताकि उन्हें पुलिसकर्मी नहीं रोके. इसके बाद अपनी मोटरसाइकिल पर ही इन हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरणों को छोड़ कर चले जाते हैं. यहां निर्माण साइटों पर आसानी से मोटरसाइकिल या अन्य जगह पर रखे हुए हेलमेट और उपकरण नजर आ जाते हैं.
मजदूरों को मीटिंग लेकर समझाते हैं
जिम्मेदारों का कहना है कि उन्होंने मजदूरों को उपकरण उपलब्ध करवा दिए हैं, लेकिन मजदूर उनका उपयोग नहीं करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि वो इन्हें रोज चेक करते हैं या नहीं तब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इंदिरा गांधी सर्किल पर बन रहे फ्लाईओवर के निर्माण करवा रहे सुपरवाइजर अशोक जाना से जब पूछा गया कि मजदूरों ने सेफ्टी के उपकरण नहीं पहने हैं, तो उन्होंने कहा कि सबको दे दिए थे, लेकिन ये लोग नीचे ही छोड़ जाते हैं पहनते नहीं है, जब उनसे कहा कि आप लोग सख्ती नहीं करते हैं तो इनका कहना है कि वो मजदूरों को साइट पर से भी नीचे लाकर पहले सेफ्टी उपकरण पहनाकर फिर भेजते हैं. साथ ही इनको मीटिंग लेकर भी सेफ्टी उपकरणों के बारे में समझाया और पहनने के लिए आग्रह करते हैं.
हादसे में जा चुकी है एक मजदूर की जान
कोटा शहर में ही बीते साल 9 दिसंबर को ही सिटी मॉल और रेजोनेंस के सामने बन रहे फ्लाईओवर निर्माण के दौरान हादसा हो गया था. यहां पर निर्माणाधीन स्लैब नीचे गिर गई थी इसमें 4 मजदूर घायल हुए थे, जिनमें से 3 को तो प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन एक रमेश नाम का मजदूर था जिसकी मृत्यु दूसरे दिन हो गई थी. इस घटना में स्लैब के नीचे रमेश दब गया था जिसे निकाला गया था. इस घटना के बाद जब ऑडिट की गई, तो सामने आया कि किसी भी श्रमिक ने सुरक्षा के उपकरण नहीं पहने हुए थे.
यह जरूरी है मजदूरों के लिए सुरक्षा उपकरण
मजदूरों के पास सेफ्टी हेलमेट, जैकेट, मास्क, बेल्ट, चश्मा और सेफ्टी शूज जरूरी है, ताकि हादसे के दौरान उन्हें किसी तरह की चोट नहीं लगे या फिर कोई भी भारी सामान उनके आस-पास गिरे तो वो उस से बच सकें. इसके अलावा निर्माण साइटों पर त्वरित राहत के लिए प्राथमिक उपचार की सुविधा भी होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश जगह पर ऐसा होता नजर नहीं आता है. ऊपर से नीचे काम करते समय सेफ्टी बेल्ट इनके पास होनी चाहिए, जिससे अगर गलती से नीचे गिर भी जाए, तो उसकी मदद से बीच में ही लटक जाएं और उन्हें चोट नहीं लगे.
विजिट के दौरान रहते हैं अलर्ट
कोटा शहर में जो निर्माण कार्य चल रहे हैं उनमें ज्यादातर अंडरपास और फ्लाईओवर के निर्माण है, लेकिन मजदूरों के पास उपकरण का अभाव ही नजर आया. साइट शुरू होने या हादसे के बाद उस दिन तो यह मजदूर उपकरणों को पहनते हैं, लेकिन उसके बाद ना तो साइट के सुपरवाइजर उन्हें चेतावनी देते हैं ना यह खुद पहनते हैं. जब भी कोई विजिट होती है, तब यह लोग सचेत हो जाते हैं और उसके बाद वापस पुराने ढर्रे पर ही काम करने लग जाते हैं.