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जेके लोन का दौरा कर मीडिया से बोले वैभव गालरिया, 'नवजातों की मौत का आंकड़ा और रेफरल सिस्टम भी सुधारना होगा'

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Published : Dec 24, 2020, 6:11 PM IST

जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले को लेकर मेडिकल एजुकेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गालरिया ने कोटा का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पेरीफेरी से भी रेफर होने वाले बच्चों को सही तरीके से लाने की जिम्मेदारी उठानी होगी. साथ ही अस्पताल में भी कई बदलाव किए गए हैं, जिससे कि नवजात शिशुओं की केयर अच्छी हो और मौत के आंकड़े को लगातार कम किया जा सके.

Vaibhav Galaria visit Kota, Medical Education Principal Secretary Vaibhav Galaria
मेडिकल एजुकेशन प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गलारिया ने किया जेके लोन का दौरा

कोटा. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में दौरे पर आए मेडिकल एजुकेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गालरिया ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पेरीफेरी से भी रेफर होने वाले बच्चों को सही तरीके से लाने की जिम्मेदारी उठानी होगी. साथ ही अस्पताल में भी कई बदलाव किए गए हैं, जिससे कि नवजात शिशुओं की केयर अच्छी हो और मौत के आंकड़े को लगातार कम किया जा सके.

मेडिकल एजुकेशन प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गलारिया ने किया जेके लोन का दौरा

गालरिया ने कहा कि क्रिटिकल कंडीशन में न्यू बॉर्न रेफर होकर आते हैं. ऐसे में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की रिक्वायरमेंट होती है, ताकि ऐसे नवजातों को एंबुलेंस का अच्छा सपोर्ट मिले, जो रेफर होकर डिस्ट्रिक हॉस्पिटल या सीएचसी से आते हैं.

गालरिया ने कहा कि सेंट्रल की टीम आई थी और डिटेल इंक्वायरी उन्होंने भी स्टेट की टीम से करवाई है. इसमें जो बिंदु निकल कर आए हैं, उसमें साफ तौर पर है कि कैपेसिटी अस्पताल में बढ़ानी होगी. हमने 32 बेड नर्सरी के बढ़ा दिए हैं. अब 74 की कैपेसिटी हो गई है. इसको और बढ़ाने के लिए प्रयास जारी है. अस्पताल में 40 बेड की नर्सरी के लिए वित्त विभाग से एक-दो दिन में परमिशन मिल जाएगी.

पढ़ें- करौली में सड़क हादसा, बाइक सवार दो चचेरे भाइयों की मौत

गालरिया ने कहा कि नया आईपीडी ब्लॉक बिल बनाया जा रहा है, जबकि बढ़ाने के साथ-साथ नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर के लिए भी चैलेंजिंग है. क्योंकि लगातार सुधार की गुंजाइश अस्पतालों में रहती है.

पोस्ट नेटल वार्ड में भर्ती नवजातों पर भी रखेंगे ध्यान...

वैभव गालरिया ने कहा कि जो गायनी के पोस्ट नेटल वार्ड हैं. जहां पर भर्ती प्रसूता की केयर ही नर्सिंग स्टाफ करता था. अब उसमें बदलाव करते हुए भर्ती नवजात शिशु का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं. उसका टेंपरेचर लेने के साथ-साथ उसकी पूरी मॉनिटरिंग स्टाफ को करनी होगी. इसके अलावा यूनिसेफ के जरिए भी स्टाफ की ट्रेनिंग करवाई गई है, जिसमें नवजात शिशु की केयर में क्या क्या ध्यान रखने है, यह बताया जा रहा है.

एफआरयू को भी मजबूत करना होगा...

जेके लोन अस्पताल के वर्क लोड पर उन्होंने कहा कि सभी को समझना होगा कि यह टर्सरी केयर इंस्टीट्यूट है, जो क्रिटिकल केस आते हैं. जो ज्यादा क्रिटिकल नहीं है, उनको पीएससी, सीएससी और डिस्टिक हॉस्पिटल में ही टैकल किया जाए. कोटा संभाग मध्य प्रदेश को भी काफी कवर करता है. ऐसे में यहां पर वर्क लोड ज्यादा है. हमारे मेडिकल कॉलेज पर काफी वर्क लोड रहता है, लगातार हमें चैलेंज थे कि हम इंप्रूव करते रहें. इसके अलावा फर्स्ट रेफरल यूनिट जो जिले में है, उन्हें भी मजबूत करना होगा.

कोटा. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में दौरे पर आए मेडिकल एजुकेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गालरिया ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पेरीफेरी से भी रेफर होने वाले बच्चों को सही तरीके से लाने की जिम्मेदारी उठानी होगी. साथ ही अस्पताल में भी कई बदलाव किए गए हैं, जिससे कि नवजात शिशुओं की केयर अच्छी हो और मौत के आंकड़े को लगातार कम किया जा सके.

मेडिकल एजुकेशन प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गलारिया ने किया जेके लोन का दौरा

गालरिया ने कहा कि क्रिटिकल कंडीशन में न्यू बॉर्न रेफर होकर आते हैं. ऐसे में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की रिक्वायरमेंट होती है, ताकि ऐसे नवजातों को एंबुलेंस का अच्छा सपोर्ट मिले, जो रेफर होकर डिस्ट्रिक हॉस्पिटल या सीएचसी से आते हैं.

गालरिया ने कहा कि सेंट्रल की टीम आई थी और डिटेल इंक्वायरी उन्होंने भी स्टेट की टीम से करवाई है. इसमें जो बिंदु निकल कर आए हैं, उसमें साफ तौर पर है कि कैपेसिटी अस्पताल में बढ़ानी होगी. हमने 32 बेड नर्सरी के बढ़ा दिए हैं. अब 74 की कैपेसिटी हो गई है. इसको और बढ़ाने के लिए प्रयास जारी है. अस्पताल में 40 बेड की नर्सरी के लिए वित्त विभाग से एक-दो दिन में परमिशन मिल जाएगी.

पढ़ें- करौली में सड़क हादसा, बाइक सवार दो चचेरे भाइयों की मौत

गालरिया ने कहा कि नया आईपीडी ब्लॉक बिल बनाया जा रहा है, जबकि बढ़ाने के साथ-साथ नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर के लिए भी चैलेंजिंग है. क्योंकि लगातार सुधार की गुंजाइश अस्पतालों में रहती है.

पोस्ट नेटल वार्ड में भर्ती नवजातों पर भी रखेंगे ध्यान...

वैभव गालरिया ने कहा कि जो गायनी के पोस्ट नेटल वार्ड हैं. जहां पर भर्ती प्रसूता की केयर ही नर्सिंग स्टाफ करता था. अब उसमें बदलाव करते हुए भर्ती नवजात शिशु का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं. उसका टेंपरेचर लेने के साथ-साथ उसकी पूरी मॉनिटरिंग स्टाफ को करनी होगी. इसके अलावा यूनिसेफ के जरिए भी स्टाफ की ट्रेनिंग करवाई गई है, जिसमें नवजात शिशु की केयर में क्या क्या ध्यान रखने है, यह बताया जा रहा है.

एफआरयू को भी मजबूत करना होगा...

जेके लोन अस्पताल के वर्क लोड पर उन्होंने कहा कि सभी को समझना होगा कि यह टर्सरी केयर इंस्टीट्यूट है, जो क्रिटिकल केस आते हैं. जो ज्यादा क्रिटिकल नहीं है, उनको पीएससी, सीएससी और डिस्टिक हॉस्पिटल में ही टैकल किया जाए. कोटा संभाग मध्य प्रदेश को भी काफी कवर करता है. ऐसे में यहां पर वर्क लोड ज्यादा है. हमारे मेडिकल कॉलेज पर काफी वर्क लोड रहता है, लगातार हमें चैलेंज थे कि हम इंप्रूव करते रहें. इसके अलावा फर्स्ट रेफरल यूनिट जो जिले में है, उन्हें भी मजबूत करना होगा.

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