कोटा. पूरा देश आज शिवरात्रि का त्योहार मना रहा है. भक्त शिवालयों पर पहुंचने की तैयारियां कर रहे हैं. महाशिवरात्री के पर्व पर हम एक अनोखे शिवधाम की कहानी लेकर आये हैं जोकि प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत में अनोखा शिवधाम है. इसकी विशेषता यह है कि यहां एक साथ 525 शिवलिंग मौजूद हैं. जिसकी बनावट स्वस्तिक के रूप में दिखाई देती है.
बरसों पुराना है धुना:
कोटा जिले के ठेगड़ा में स्तिथ शिवपुरी धाम बरसों पुराना बताया जा रहा है. जिसकी स्थापना जूना के नागा साधुओं ने किया था. ठेगड़ा शिवपुरी धाम के संचालक नागा बाबा सनातन पूरी ने बताया कि यह काफी साल पुराना धुना है. राणा रामपुरी नागा बाबा 1985 में कोटा आए और उन्होंने यहीं पुलिया के पास धुना लगाया था. 1986 में नेपाल से आने के बाद उन्होंने 525 शिवलिंग की स्थापना का संकल्प लिया था.
1987 में 12 शिवलिंग लगाने के पश्चात महाराज जी का देहांत हो गया. नागा बाबा सनातन पुरी ने बताया कि उसके बाद हमने इसकी शिवलिंग स्थापना की कमान संभाली थी. 2007 में 525 शिवलिंग की 111 कुंडीय महायज्ञ कर इनके प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. उसके बाद कोटा की जनता को यह समर्पित कर दिया गया. महाराज ने बताया कि जब से यहां पर अनुष्ठान और यज्ञ होते रह रहे हैं. लोगों की आस्था का केंद्र बनता गया और कड़ी से कड़ी जुड़ती गई. काफी संख्या में भक्त यहां पर रोज आते हैं और इन शिवलिंग पर जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक कर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं.
कोरोना से कम हुए अनुष्ठान:
नागा बाबा सनातन पुरी ने बताया कि जब से कोरोना का कहर चला है तब से यहां पर अनुष्ठान होना बंद हो गए हैं. लोगों का आना भी कम हो गया है. जिससे हम भी परेशान हैं और साथ ही भक्त भी काफी परेशान हो रहे हैं.
ड्रोन से देखने पर स्वास्तिक के आकार में दिखता है शिवपुरी धाम:
ठेगड़ा में स्थित शिवपुरी धाम ड्रोन कैमरे याद सेटेलाइट से देखने पर यह स्वास्तिक के आकार में दिखता है. वहीं, सनातन पूरी नागा बाबा ने बताया कि इसमें 101 खंबे लगाए गए हैं जो भी स्वास्तिक की तरह ही दिखेंगे. भक्तों ने बताया कि यह है आस्था का केंद्र है और प्रदेश में ऐसा कोई शिवालय नहीं है जिसमें इतने सारे शिवलिंग एक साथ रखे गए हैं. महिला भक्तों ने बताया कि करीब 20 सालों से वह आ रही है. यहां आने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती हैं.
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महाशिवरात्रि पर होते हैं बड़े आयोजन:
शिवपुरी धाम में महाशिवरात्रि पर्व से 7 दिन पहले ही आयोजन होना शुरू हो जाते हैं. यहां पर शिव महापुराण की कथा का आयोजन होता है. कथा पूर्णाहुति के पश्चात 11 कुंडीय महायज्ञ किया जाता है और 525 शिव प्रतिमाओं का रुद्राभिषेक किया जाता है. तत्पश्चात प्रसादी वितरण का कार्यक्रम होता है. शिवरात्रि पर करीब हजारों की संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. लंबी-लंबी कतारें यहां पर देखने को मिलती है. यह शिवाले पूरे प्रदेश में अनूठे है जिसमें भक्तों की काफी आस्थाएं इससे जुड़ी हुई है. यहां पर प्रदेश ही नहीं देश से भी कई भक्तों दर्शनों के लिए आते हैं.