कोटा. यूआईटी और नगर निगम की टीम (UIT Nagar Nigam joint operation in Kota) ने शनिवार तड़के घंटों कार्रवाई करते हुए फूटाकोट स्थित सब्जी मंडी में बनी दुकानों और भूखंडों को अतिक्रमण मुक्त (encroachment removed in Sabzi Mandi area in Kota) करवाने के लिए जमींदोज कर दिया. सैकड़ों की संख्या में मशीनरी एक साथ काम पर लगी और चंद घंटों में वहां बनी हुई दुकानों को समतल कर दिया. नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक यह जगह उन्होंने किराए पर दी हुई थी, जिस पर किरायेदारों ने ही कब्जा किया हुआ था.
इस बेशकीमती जमीन की कीमत 100 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है. कोटा उत्तर नगर निगम (Kota North Municipal Corporation) का भवन यहां पर बनना प्रस्तावित है. इन दुकानों को किराए पर लेकर संचालित कर रहे लोगों ने इस कार्रवाई पर आक्रोश (Shopkeepers angry on encroachment action) जताया है. उनका कहना है कि नगर विकास न्यास की अचानक तोड़फोड़ की कार्रवाई से उनका लाखों रुपए का नुकसान हो गया है. उन्हें न तो पहले सूचना दी गई और न ही सामान निकालने का समय दिया गया. जानकारी के अनुसार देर रात 3:30 बजे ही नगर निगम और नगर विकास न्यास का अतिक्रमण निरोधक दस्ता पहुंच गया. इस कार्रवाई के लिए एसडीएम दीपक मित्तल को कार्यपालक मजिस्ट्रेट बनाया गया था. इसके अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन, यूआईटी सचिव राजेश जोशी, नगर निगम उपायुक्त गजेंद्र सिंह, पुलिस उप अधीक्षक आशीष भार्गव, अमर सिंह राठौड़ सहित भारी पुलिस अमला भी मौके पर पहुंच गया. सुबह 8:00 बजे तक कार्रवाई चलती रही, जिसमें पूरे एरिया को बुलडोजर से समतल कर दिया है.
दुकानदार बोले, न्यायालय में मामला फिर भी निगम ने तोड़ दिया - दुकानदारों का कहना है कि वर्ष 1974 में उन्हें यहां पर बसाया गया था, जिसमें 40 दुकानें बनी हुई था और 40 भूखंड थे, करीब 60 से 70 लोग यहां पर किराएदार थे. नगर निगम को वह किराया जमा करवाते थे. बीते तीन-चार सालों से नगर निगम ने किराया लेना बंद कर दिया था. हालांकि इसके बाद इन दुकानदारों को धानमंडी स्थित फल सब्जी मंडी में दुकान आवंटित की थी, लेकिन इन दुकानदारों का यह भी कहना है कि उसके लिए पूरी राशि वसूली गई है. किराएदार मनोज भटवानी का कहना है कि अधिकांश किराएदारों ने न्यायालय में केस दाखिल (Tenants filed case in court) कर रखा है. कुछ लोगों के स्टे खारिज हो गए, जिनको भी उन्होंने अपील भी की हुई है. इस तरह से ही हाईकोर्ट में भी स्टे खारिज होने पर अपील की हुई है. उनकी दुकान में स्टेशनरी का सामान और कम्प्यूटर रखा था, यह सब बर्बाद हो गया है. निगम के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में किसी भी तरह का कोई स्टे इस जमीन को लेकर नहीं है. इसीलिए यह कार्रवाई कर पुराने बने हुए खंडहरनुमा दुकानों को जमींदोज किया है. यह नगर निगम की ही संपत्ति है.
जुआरी और शराबियों का भी था अड्डा- सब्जी मंडी स्थित अग्निशमन केंद्र और जीएमए प्लाजा के बीच में स्थित यह जमीन करीब 25 हजार स्क्वायर मीटर है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिस जगह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है, वहां पर अधिकांश दुकानों के ताले लगे हुए थे. खाली भूखंडों के आसपास जुआरी और शराबियों का जमावड़ा (Haunt of gamblers and alcoholics) लगा रहता था. यह पूरा एरिया सट्टेबाजों के कब्जे में था. इसके अलावा अवैध रूप से यहां पर नॉनवेज और कबाड़ियों की दुकानें भी संचालित हो रही थी. हालांकि जिन व्यापारियों ने यहां पर दुकानें किराए पर ली हुई थी, वह अपना माल भी यहां पर रखते थे, लेकिन पूरा एरिया गंदगी से अटा पड़ा हुआ था.