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बाघिन के इश्क में रणथंभौर से चलकर मुकुंदरा पहुंचने वाले बाघ की मौत, जानिए उसके अंतिम सफर के बारे में

बाघ MT-3 नौ फरवरी 2018 को रणथम्भौर से चलकर मुकुंदरा टाइगर रिजर्व की गागरोन रेंज में पहुंचा था. रणथम्भौर में इसका नाम T- 98 था. यह बात 9 फरवरी 2019 की है, जब रणथम्भौर से करीब 200 किलोमीटर का लंबा सफर तय करके यह बाघ टाइगर रिजर्व की गागरोन रेंज में आया था, जहां आज यानी 23 जुलाई (गुरुवार) को उसने अंतिम सांस ली.

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बाघ MT- 3 की मौत
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Published : Jul 23, 2020, 9:59 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा). बाघ MT- 3 ने मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 23 जुलाई को अंतिम सांस ली, जिसका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. रणथम्भौर सेंचुरी में जन्मा ये टाइगर एक दिन अचानक कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल्स के दर्रा एरिया में पहुंच गया. पहले इसे टी-98 को रणथम्भौर से निकलकर सुल्तानपुर (कोटा) के जंगलों में घूमता देखा गया था. इसके बाद यह टाइगर काल सिंध नदी होता हुआ मुकुंदरा टाइगर हिल्स के दर्रा क्षेत्र में पहुंच गया.

बाघ MT- 3 की मौत

अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह टाइगर बाघिन टी-106 का दीवाना था. जब उस बाघिन को वन विभाग रणथंभौर से मुकुंदरा लाया तो टाइगर 200 किलोमीटर चलते हुए मुकुंदरा पहुंच गया था. इतने लंबे रास्ते में बहुत सी इंसानी बस्तियां और दूसरे कई जंगल भी थे, लेकिन टाइगर ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया.

टाइगर की विदाई में जमकर बरसे बादल

टाइगर MT-3 के पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही अंतिम संस्कार करने लगे तो मुकुंदरा रिजर्व एरिया में बादल भी जमकर बरसे. हालांकि अंतिम संस्कार में कुछ रुकावट नहीं आई. लेकिन कुछ घंटे बाद क्षेत्र में आंधी तूफान के साथ जमकर बरसात हुई. वहीं मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर आनंद मोहन ने बताया कि यह एक बहुत ही दुखद घटना है, यह वह टाइगर था, जो रणथम्भौर सेंचुरी से चलकर मुकुंदरा आया था. यह एक बहादुर टाइगर था और आज हमारे बीच नहीं है. 20 जुलाई को इसके पेट्रोलिंग की रिपोर्ट आई थी कि टाइगर MT- 3 थोड़ा लड़खड़ा रहा था. इसकी सूचना वन्य जीव पशुपालक अरविंद तोमर को दी. उसके बाद रणथम्भौर से भी वेटेनरी डॉक्टर को भी बुलाया गया. लेकिन जब 23 जुलाई को सुबह देखा तो यह अंतिम सांस छोड़ चुका था.

यह भी पढ़ेंः कोटा: मुकुंदरा रिजर्व के बाघ MT-3 की मौत, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया अलविदा

वहीं उपखंड अधिकारी चिमनलाल मीणा ने बताया कि MT-3 की आकस्मिक मौत से निश्चित रूप से क्षेत्र के लिए दुखद बड़ी खबर है. वैसे यहां पर्यटन की अपार संभावना तो है, लेकिन एक बड़ा झटका लगा है. मुकुंदरा हिल्स में एक टाइगर ने दो शावकों को भी जन्म दिया है. काफी अच्छी यहां ग्रोथ रेट रही है. उम्मीद करेंगे यहां और अच्छे बाघों का संरक्षण हो.

मालूम हो कि मुकुंदरा रिजर्व में मार्च महीने में भी एमटी- 3 बाघ के मुंह के पास मिले घाव का ऑपरेशन किया गया था. बाघ के घाव से एक दर्जन कीड़े निकले, जो छह से आठ एमएम साइज के थे. दर्रा में रणथम्भौर के सीनियर वेटरनरी डा. राजीव गर्ग के साथ आई मेडिकल टीम ने ऑपरेशन किया, ऑपरेशन करीब 90 मिनट तक चला था.

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में पिछले 17 सालों में किसी बाघ की यह दूसरी मौत है. इससे पहले 15 जुलाई 2003 को दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर रणथम्भौर से निकलकर एक बाघ दर्रा के जंगल में आया था. इसका नाम था टाइगर ब्रोकन टेल, उसकी रेल दुर्घटना में मौत हो गई थी. MT-3 के चले जाने के बाद मुकुंदरा में बाघों के कुनबे में 5 सदस्य रहे गए हैं. एक नर, दो मादा बाघिन और उनके दो शावक.

रामगंजमंडी (कोटा). बाघ MT- 3 ने मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 23 जुलाई को अंतिम सांस ली, जिसका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. रणथम्भौर सेंचुरी में जन्मा ये टाइगर एक दिन अचानक कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल्स के दर्रा एरिया में पहुंच गया. पहले इसे टी-98 को रणथम्भौर से निकलकर सुल्तानपुर (कोटा) के जंगलों में घूमता देखा गया था. इसके बाद यह टाइगर काल सिंध नदी होता हुआ मुकुंदरा टाइगर हिल्स के दर्रा क्षेत्र में पहुंच गया.

बाघ MT- 3 की मौत

अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह टाइगर बाघिन टी-106 का दीवाना था. जब उस बाघिन को वन विभाग रणथंभौर से मुकुंदरा लाया तो टाइगर 200 किलोमीटर चलते हुए मुकुंदरा पहुंच गया था. इतने लंबे रास्ते में बहुत सी इंसानी बस्तियां और दूसरे कई जंगल भी थे, लेकिन टाइगर ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया.

टाइगर की विदाई में जमकर बरसे बादल

टाइगर MT-3 के पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही अंतिम संस्कार करने लगे तो मुकुंदरा रिजर्व एरिया में बादल भी जमकर बरसे. हालांकि अंतिम संस्कार में कुछ रुकावट नहीं आई. लेकिन कुछ घंटे बाद क्षेत्र में आंधी तूफान के साथ जमकर बरसात हुई. वहीं मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर आनंद मोहन ने बताया कि यह एक बहुत ही दुखद घटना है, यह वह टाइगर था, जो रणथम्भौर सेंचुरी से चलकर मुकुंदरा आया था. यह एक बहादुर टाइगर था और आज हमारे बीच नहीं है. 20 जुलाई को इसके पेट्रोलिंग की रिपोर्ट आई थी कि टाइगर MT- 3 थोड़ा लड़खड़ा रहा था. इसकी सूचना वन्य जीव पशुपालक अरविंद तोमर को दी. उसके बाद रणथम्भौर से भी वेटेनरी डॉक्टर को भी बुलाया गया. लेकिन जब 23 जुलाई को सुबह देखा तो यह अंतिम सांस छोड़ चुका था.

यह भी पढ़ेंः कोटा: मुकुंदरा रिजर्व के बाघ MT-3 की मौत, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया अलविदा

वहीं उपखंड अधिकारी चिमनलाल मीणा ने बताया कि MT-3 की आकस्मिक मौत से निश्चित रूप से क्षेत्र के लिए दुखद बड़ी खबर है. वैसे यहां पर्यटन की अपार संभावना तो है, लेकिन एक बड़ा झटका लगा है. मुकुंदरा हिल्स में एक टाइगर ने दो शावकों को भी जन्म दिया है. काफी अच्छी यहां ग्रोथ रेट रही है. उम्मीद करेंगे यहां और अच्छे बाघों का संरक्षण हो.

मालूम हो कि मुकुंदरा रिजर्व में मार्च महीने में भी एमटी- 3 बाघ के मुंह के पास मिले घाव का ऑपरेशन किया गया था. बाघ के घाव से एक दर्जन कीड़े निकले, जो छह से आठ एमएम साइज के थे. दर्रा में रणथम्भौर के सीनियर वेटरनरी डा. राजीव गर्ग के साथ आई मेडिकल टीम ने ऑपरेशन किया, ऑपरेशन करीब 90 मिनट तक चला था.

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में पिछले 17 सालों में किसी बाघ की यह दूसरी मौत है. इससे पहले 15 जुलाई 2003 को दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर रणथम्भौर से निकलकर एक बाघ दर्रा के जंगल में आया था. इसका नाम था टाइगर ब्रोकन टेल, उसकी रेल दुर्घटना में मौत हो गई थी. MT-3 के चले जाने के बाद मुकुंदरा में बाघों के कुनबे में 5 सदस्य रहे गए हैं. एक नर, दो मादा बाघिन और उनके दो शावक.

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