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शिक्षक दिवस स्पेशल: RTO प्रकाश सर दे रहे विद्यार्थियों के सपनों को पंख, वेबसाइट व ऐप के जरिए करवाते हैं निःशुल्क तैयारी - Rajasthan Hindi News

आज शिक्षक दिवस है. गुरु को समर्पित इस दिन का हर व्यक्ति के जीवन में (Teachers day special) खासा महत्व है. गुरु के महत्व को दर्शाने वाले इस दिन कई तरह के आयोजन होते हैं. साथ ही हर गुरु के लिए उनका शिष्य भी खासा महत्व रखता है. शिक्षक दिवस के मौके पर आज हम आपको एक ऐसे सरकारी अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भले ही विद्यार्थियों को सीधे तौर पर नहीं पढ़ाते. लेकिन उनकी ओर से बनाई गई वेबसाइट और ऐप के जरिए हजारों विद्यार्थी ऐंट्रेंस और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. आरटीओ के पद पर तैनात प्रकाश सिंह राठौड़ पिछले सात साल से चुपचाप बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं.

Teachers Day special
कोटा के आरटीओ सर
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Published : Sep 5, 2022, 6:19 AM IST

कोटा. राजस्थान सिविल सेवा से चयनित प्रकाश सिंह राठौड़ परिवहन विभाग में (Teachers day special) तैनात हैं. बीते कई सालों से युवाओं को सरकारी नौकरी या अच्छे कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रयासरत हैं. इसके लिए उन्होंने वेबसाइट और एप्लीकेशन 'विनकम्पीट' (Wincompete) बनाई है. इस पर जाकर विद्यार्थी एंट्रेंस और कॉम्पिटेटिव एग्जाम के लेवल के क्वेश्चन पेपर को सॉल्व कर सकते हैं. इसमें उनको रैंकिंग भी दी जाती है. इसके अलावा क्वेश्चन गलत या सही होते हैं तो उनका आंसर व संबंधित प्रश्न के बारे में समरी भी मिलती है. जिसे पढ़कर वे उस टॉपिक के बारे में और जानकारी ले सकते हैं.

राठौड़ परिवहन विभाग में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी पाली के पद पर वर्तमान में तैनात हैं. इसके पहले (Wincompete App by Kota Teacher) उदयपुर कोटा, चित्तौड़गढ़ और जयपुर सहित कई जगह पर सेवा दे चुके हैं. राठौड़ का कहना है कि उनकी ऐप के जरिए कई युवा परीक्षाओं की तैयारी का टेस्ट दे रहे हैं. करीब ढाई लाख क्वेश्चन वाली इस "विनकम्पीट" (Wincompete) का मतलब ही प्रतियोगिता में जीतना है. इसमें अब तक रजिस्टर्ड यूजर करीब 14000 हैं. हजारों विद्यार्थियों ने वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया है. जबकि इसमें 10 लाख से ज्यादा बार विद्यार्थी एग्जाम दे चुके हैं. ऐप को डाउनलोड व रजिस्ट्रेशन के बाद जितनी बार भी परीक्षा देंगे हर बार अलग पेपर आएगा.

पढ़ें. मिलिए उदयपुर के टीचर से, जिन्हें लोग रॉबिन हुड कहते हैं

पहले सीधी मदद की, ट्रांसफर के बाद बनाई वेबसाइटः राठौड़ का कहना है कि वह पहले कुछ युवाओं को सीधे ही कॉम्पिटेटिव (RTO turned Teacher in Kota) एग्जाम की बारीकियां बताते थे. लेकिन नौकरी की व्यस्तता से समय की कमी रहने लगी और बाद में कुछ सालों में होते ट्रांसफर से यह संभव नहीं हो सका. ऐसे में उन्होंने वेबसाइट wincompete.com डिजाइन करवाकर विद्यार्थियों को कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी करवाना शुरू कर दिया. हालांकि उनका पहला प्रयास 2010 में था, उसमें तकनीकी टीम मदद पूरी तरह से नहीं दे पाई और यह सिलसिला फेल हो गया. इसके बाद उन्होंने 2015 में दूसरा प्रयास किया, यह सफल रहा है. वे बीते 7 सालों से वह वेबसाइट के जरिए तैयारी करवा रहे हैं. इस वेबसाइट में लगातार अपडेट भी हो रहे हैं. साथ ही साल 2017 में इस वेबसाइट के लिए एप्लीकेशन wincompete भी बना दिया गया है. जिसका उपयोग भी हजारों विद्यार्थी कर रहे हैं.

शुरुआत में सैलरी से लगाया पैसा, निशुल्क मिल रहा तकनीकी सपोर्टः वेबसाइट दोबारा 2015 में तैयार की (RTO Prakash Singh Rathode Teaching) गई. इस दौरान राठौड़ उदयपुर में पदस्थापित थे. जहां पर उनके मित्र हरीश ठाकुर और दीपक सोनी ने तकनीकी सपोर्ट दिया. ठाकुर और सोनी का पहले से ही अलग बिजनेस है. इसमें पूरी तरह से निशुल्क मदद उन्होंने की है. साथ ही इस एप्लीकेशन और वेबसाइट के जरिए किसी तरह का कोई रेवेन्यू नहीं है. यह पूरी तरह से आर्थिक मदद के जरिए ही चल रहा है. शुरुआत में राठौड़ ने जरूर अपनी सैलरी से हजारों रुपए इसमें लगाए थे, लेकिन अब उन्हें आर्थिक मदद करने के लिए लोग आगे आ गए हैं. जिनमें उनके साथ ही अधिकारी के अलावा कुछ एनजीओ और समाज सेवी हैं.

हर साल दो लाख खर्चा, सब दानदाताओं के भरोसेः प्रकाश सिंह राठौड़ का कहना है कि वेबसाइट और एप्लीकेशन को संचालित करने के लिए हर साल करीब दो लाख रुपए का खर्चा आ रहा है. यह खर्चा वेबसाइट और सर्वर का किराया है. इसके साथ ही डाटा एंट्री में भी पैसा लगता है. साथ ही अधिकारी और सामाजिक संगठन से जुड़े लोग मदद कर रहे हैं. क्षत्रिय युवक संघ के श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन कार्यकर्ता और स्टूडेंट डाटा एंट्री में हमारी मदद करते हैं. यह एनजीओ की तरह सामाजिक सेवा में यह काम कर रहे हैं. वहीं उदयपुर में चुंडा पैलेस से भी इसमें आर्थिक मदद आ रही हैं.

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कोई फैकल्टी नहीं खुद और अन्य अधिकारी सिलेक्ट करते हैं पेपरः राठौड़ और उनके साथी अधिकारी मिलकर ही परीक्षाओं के सिलेबस को अपलोड करते हैं. एग्जाम का सिलेबस प्रश्नों के रूप में अपलोड किया होता है. नया एग्जाम आने पर उससे जुड़ी जानकारियां और सिलेबस के प्रश्न भी अपलोड किए जाते हैं. राठौड़ का कहना है कि इसमें कोई फैकल्टी या स्टाफ परमानेंट नहीं है. इन प्रश्नों को वे सिलेबस के अनुसार डिजाइन करते हैं और इसमें अपलोड करते हैं. डाटा एंट्री में एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट भी हमें मदद करते हैं. वे प्रीवियस ईयर के पेपर नॉमिनल चार्ज पर अपलोड कर देते हैं. साथ ही कुछ विद्यार्थी निशुल्क भी अपने हिसाब से ही डाटा एंट्री कर देते हैं. यूजर्स भी इसमें क्वेश्चन अपलोड कर देते हैं. इसको लगातार हम 4-5 साल से अपडेट कर रहे हैं और क्वेश्चन बढ़ाते जा रहे हैं.

परिवहन सेवा के पहले 4 सरकारी नौकरीः मूलतः बाड़मेर जिले की रामसर तहसील के भदरू निवासी प्रकाश सिंह राठौड़ वर्तमान में पाली के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी हैं. राठौड़ साल 2001 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन होने के बाद परिवहन विभाग में डीटीओ के पद पर प्रतिस्थापित हुए थे. इसके पहले चार सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं. राठौड़ साल 1992 में सेंट्रल स्कूल बाड़मेर में टीचर के तौर पर चयनित हुए थे. इसके एक साल बाद ही बाड़मेर में ऑल इंडिया रेडियो में एनाउंसर भी बन गए थे. इस नौकरी को छोड़ने के बाद कस्टम विभाग में 1994 में बतौर इंस्पेक्टर उनकी नौकरी लग गई. लगातार 6 साल तक उन्होंने यह काम भी किया, लेकिन प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे. ऐसे में साल 2000 में राजस्थान सिविल सेवा की एलाइड सर्विस में राठौड़ कोऑपरेटिव में इंस्पेक्टर बन गए. इसके बाद 2001 में आरएएस परीक्षा के जरिए वे परिवहन विभाग में बतौर डीटीओ पदस्थापित हुए.

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बिना रेवेन्यू सालों की मेहनत, कभी लॉन्च व रिलॉन्च नहींः राठौड़ लगातार 7 साल से मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने इस वेबसाइट और एप्लीकेशन की कोई लॉन्चिंग नहीं की है. उनका कहना है कि इसमें पैसा खर्च होता. जिससे विद्यार्थी की मदद में ही रुकावट होती. इसलिए मैंने बिना लॉन्चिंग, प्रचार या विज्ञापन दिए, इसे अपने जानकार लोगों के बीच ही प्रचारित किया है. विद्यार्थियों से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लेते हैं. इससे किसी तरह का कोई रेवेन्यू भी नहीं हुआ है. इसमें रीट, फिजिकल एजुकेशन, कंप्यूटर अनुदेशक, हाई कोर्ट एलडीसी, वीडीओ, पटवारी, कॉन्स्टेबल, सब इंस्पेक्टर, नर्सिंग कर्मी, आरपीएससी, यूपीएससी, राजस्थान सबोर्डिनेट सर्विस की तैयारी कर सकते हैं. साथ ही एसएससी, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड, वनपाल, वनरक्षक सहित अन्य कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं. इसके अलावा इंजीनियरिंग व मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट जेईई और नीट की तैयारी भी करवाई जाती है.

ढाई लाख क्वेश्चन और हजारों टॉपिक पर मददः Wincompete पर ढाई लाख के आसपास क्वेश्चन दर्ज किए जा चुके हैं. होने वाले टेस्ट सीरीज चैप्टर, सिलेबस, टॉपिक, सब्जेक्ट और एग्जाम किसी भी तरह स्टूडेंट देख सकता है. स्टूडेंट के सवाल का जवाब गलत होने पर वह उसकी डिटेल भी देख सकता है. एग्जाम देने के बाद अपनी रैंकिंग भी देख सकता है. इसमें बार बार गलत या कठिन प्रश्नो को एक्सपर्ट से सॉल्व करवा वेबसाइट पर डाला जाता है. इसमें राजस्थान जनरल नॉलेज से 40 हजार प्रश्न है. इनके अलावा जनरल नॉलेज में जनरल साइंस, हिस्ट्री व ज्योग्राफी के 70,000 हजार प्रश्न हैं. बाल विकास और मनोविज्ञान के 16, मेंटल एबिलिटी के 22, मैथमेटिक्स के 35, मोटर व्हीकल सब इंस्पेक्टर के 10, शारीरिक शिक्षक व नर्सिंग के 7-7 हजार प्रश्न हैं. इसमें मॉडल टेस्ट पेपर सिलेबस के अनुसार डिजाइन हो जाता है. जिसमें एक एग्जाम के विद्यार्थियों के लिए करीब 70 हजार से 1 लाख प्रश्नों में से यह पेपर बनता है.

दिन में 80 बार तक विद्यार्थियों ने दिए टेस्टः वेबसाइट या ऐप पर फुल टेस्ट 100 या 50 प्रश्नों का होता है, जबकि सिलेबस में से किसी भी सेक्शन के अनुसार टेस्ट विद्यार्थी तैयारी के लिए दे सकता है. जिसमें एक सेक्शन के ही 30 प्रश्न पूछे जाते हैं. इसमें अलग-अलग सेक्शन में राजस्थान जीके, जनरल, साइंस मैथमेटिक्स हो सकते है. करीब 200 से 300 स्टूडेंट्स रोज इस पर आकर एग्जाम दे रहे हैं. जो विद्यार्थी लगातार इसका उपयोग करते हैं, वे चयनित भी हुए हैं. राठौड़ का मानना है कि विद्यार्थी इसका उपयोग करते हैं, तो कुछ और करने की जरूरत नहीं है. इसमें यह भी सामने आया है कि विद्यार्थी ने 80 बार तक एग्जाम दिया है, हर बार नए क्वेश्चन आए हैं. प्रैक्टिस के लिए ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी पेपर देते हैं.

कोटा. राजस्थान सिविल सेवा से चयनित प्रकाश सिंह राठौड़ परिवहन विभाग में (Teachers day special) तैनात हैं. बीते कई सालों से युवाओं को सरकारी नौकरी या अच्छे कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रयासरत हैं. इसके लिए उन्होंने वेबसाइट और एप्लीकेशन 'विनकम्पीट' (Wincompete) बनाई है. इस पर जाकर विद्यार्थी एंट्रेंस और कॉम्पिटेटिव एग्जाम के लेवल के क्वेश्चन पेपर को सॉल्व कर सकते हैं. इसमें उनको रैंकिंग भी दी जाती है. इसके अलावा क्वेश्चन गलत या सही होते हैं तो उनका आंसर व संबंधित प्रश्न के बारे में समरी भी मिलती है. जिसे पढ़कर वे उस टॉपिक के बारे में और जानकारी ले सकते हैं.

राठौड़ परिवहन विभाग में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी पाली के पद पर वर्तमान में तैनात हैं. इसके पहले (Wincompete App by Kota Teacher) उदयपुर कोटा, चित्तौड़गढ़ और जयपुर सहित कई जगह पर सेवा दे चुके हैं. राठौड़ का कहना है कि उनकी ऐप के जरिए कई युवा परीक्षाओं की तैयारी का टेस्ट दे रहे हैं. करीब ढाई लाख क्वेश्चन वाली इस "विनकम्पीट" (Wincompete) का मतलब ही प्रतियोगिता में जीतना है. इसमें अब तक रजिस्टर्ड यूजर करीब 14000 हैं. हजारों विद्यार्थियों ने वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया है. जबकि इसमें 10 लाख से ज्यादा बार विद्यार्थी एग्जाम दे चुके हैं. ऐप को डाउनलोड व रजिस्ट्रेशन के बाद जितनी बार भी परीक्षा देंगे हर बार अलग पेपर आएगा.

पढ़ें. मिलिए उदयपुर के टीचर से, जिन्हें लोग रॉबिन हुड कहते हैं

पहले सीधी मदद की, ट्रांसफर के बाद बनाई वेबसाइटः राठौड़ का कहना है कि वह पहले कुछ युवाओं को सीधे ही कॉम्पिटेटिव (RTO turned Teacher in Kota) एग्जाम की बारीकियां बताते थे. लेकिन नौकरी की व्यस्तता से समय की कमी रहने लगी और बाद में कुछ सालों में होते ट्रांसफर से यह संभव नहीं हो सका. ऐसे में उन्होंने वेबसाइट wincompete.com डिजाइन करवाकर विद्यार्थियों को कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी करवाना शुरू कर दिया. हालांकि उनका पहला प्रयास 2010 में था, उसमें तकनीकी टीम मदद पूरी तरह से नहीं दे पाई और यह सिलसिला फेल हो गया. इसके बाद उन्होंने 2015 में दूसरा प्रयास किया, यह सफल रहा है. वे बीते 7 सालों से वह वेबसाइट के जरिए तैयारी करवा रहे हैं. इस वेबसाइट में लगातार अपडेट भी हो रहे हैं. साथ ही साल 2017 में इस वेबसाइट के लिए एप्लीकेशन wincompete भी बना दिया गया है. जिसका उपयोग भी हजारों विद्यार्थी कर रहे हैं.

शुरुआत में सैलरी से लगाया पैसा, निशुल्क मिल रहा तकनीकी सपोर्टः वेबसाइट दोबारा 2015 में तैयार की (RTO Prakash Singh Rathode Teaching) गई. इस दौरान राठौड़ उदयपुर में पदस्थापित थे. जहां पर उनके मित्र हरीश ठाकुर और दीपक सोनी ने तकनीकी सपोर्ट दिया. ठाकुर और सोनी का पहले से ही अलग बिजनेस है. इसमें पूरी तरह से निशुल्क मदद उन्होंने की है. साथ ही इस एप्लीकेशन और वेबसाइट के जरिए किसी तरह का कोई रेवेन्यू नहीं है. यह पूरी तरह से आर्थिक मदद के जरिए ही चल रहा है. शुरुआत में राठौड़ ने जरूर अपनी सैलरी से हजारों रुपए इसमें लगाए थे, लेकिन अब उन्हें आर्थिक मदद करने के लिए लोग आगे आ गए हैं. जिनमें उनके साथ ही अधिकारी के अलावा कुछ एनजीओ और समाज सेवी हैं.

हर साल दो लाख खर्चा, सब दानदाताओं के भरोसेः प्रकाश सिंह राठौड़ का कहना है कि वेबसाइट और एप्लीकेशन को संचालित करने के लिए हर साल करीब दो लाख रुपए का खर्चा आ रहा है. यह खर्चा वेबसाइट और सर्वर का किराया है. इसके साथ ही डाटा एंट्री में भी पैसा लगता है. साथ ही अधिकारी और सामाजिक संगठन से जुड़े लोग मदद कर रहे हैं. क्षत्रिय युवक संघ के श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन कार्यकर्ता और स्टूडेंट डाटा एंट्री में हमारी मदद करते हैं. यह एनजीओ की तरह सामाजिक सेवा में यह काम कर रहे हैं. वहीं उदयपुर में चुंडा पैलेस से भी इसमें आर्थिक मदद आ रही हैं.

पढ़ें. Guru Purnima Special : श्मशान भूमि पर शिक्षा की अलख जगाती टीचर जी!

कोई फैकल्टी नहीं खुद और अन्य अधिकारी सिलेक्ट करते हैं पेपरः राठौड़ और उनके साथी अधिकारी मिलकर ही परीक्षाओं के सिलेबस को अपलोड करते हैं. एग्जाम का सिलेबस प्रश्नों के रूप में अपलोड किया होता है. नया एग्जाम आने पर उससे जुड़ी जानकारियां और सिलेबस के प्रश्न भी अपलोड किए जाते हैं. राठौड़ का कहना है कि इसमें कोई फैकल्टी या स्टाफ परमानेंट नहीं है. इन प्रश्नों को वे सिलेबस के अनुसार डिजाइन करते हैं और इसमें अपलोड करते हैं. डाटा एंट्री में एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट भी हमें मदद करते हैं. वे प्रीवियस ईयर के पेपर नॉमिनल चार्ज पर अपलोड कर देते हैं. साथ ही कुछ विद्यार्थी निशुल्क भी अपने हिसाब से ही डाटा एंट्री कर देते हैं. यूजर्स भी इसमें क्वेश्चन अपलोड कर देते हैं. इसको लगातार हम 4-5 साल से अपडेट कर रहे हैं और क्वेश्चन बढ़ाते जा रहे हैं.

परिवहन सेवा के पहले 4 सरकारी नौकरीः मूलतः बाड़मेर जिले की रामसर तहसील के भदरू निवासी प्रकाश सिंह राठौड़ वर्तमान में पाली के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी हैं. राठौड़ साल 2001 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन होने के बाद परिवहन विभाग में डीटीओ के पद पर प्रतिस्थापित हुए थे. इसके पहले चार सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं. राठौड़ साल 1992 में सेंट्रल स्कूल बाड़मेर में टीचर के तौर पर चयनित हुए थे. इसके एक साल बाद ही बाड़मेर में ऑल इंडिया रेडियो में एनाउंसर भी बन गए थे. इस नौकरी को छोड़ने के बाद कस्टम विभाग में 1994 में बतौर इंस्पेक्टर उनकी नौकरी लग गई. लगातार 6 साल तक उन्होंने यह काम भी किया, लेकिन प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे. ऐसे में साल 2000 में राजस्थान सिविल सेवा की एलाइड सर्विस में राठौड़ कोऑपरेटिव में इंस्पेक्टर बन गए. इसके बाद 2001 में आरएएस परीक्षा के जरिए वे परिवहन विभाग में बतौर डीटीओ पदस्थापित हुए.

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बिना रेवेन्यू सालों की मेहनत, कभी लॉन्च व रिलॉन्च नहींः राठौड़ लगातार 7 साल से मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने इस वेबसाइट और एप्लीकेशन की कोई लॉन्चिंग नहीं की है. उनका कहना है कि इसमें पैसा खर्च होता. जिससे विद्यार्थी की मदद में ही रुकावट होती. इसलिए मैंने बिना लॉन्चिंग, प्रचार या विज्ञापन दिए, इसे अपने जानकार लोगों के बीच ही प्रचारित किया है. विद्यार्थियों से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लेते हैं. इससे किसी तरह का कोई रेवेन्यू भी नहीं हुआ है. इसमें रीट, फिजिकल एजुकेशन, कंप्यूटर अनुदेशक, हाई कोर्ट एलडीसी, वीडीओ, पटवारी, कॉन्स्टेबल, सब इंस्पेक्टर, नर्सिंग कर्मी, आरपीएससी, यूपीएससी, राजस्थान सबोर्डिनेट सर्विस की तैयारी कर सकते हैं. साथ ही एसएससी, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड, वनपाल, वनरक्षक सहित अन्य कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं. इसके अलावा इंजीनियरिंग व मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट जेईई और नीट की तैयारी भी करवाई जाती है.

ढाई लाख क्वेश्चन और हजारों टॉपिक पर मददः Wincompete पर ढाई लाख के आसपास क्वेश्चन दर्ज किए जा चुके हैं. होने वाले टेस्ट सीरीज चैप्टर, सिलेबस, टॉपिक, सब्जेक्ट और एग्जाम किसी भी तरह स्टूडेंट देख सकता है. स्टूडेंट के सवाल का जवाब गलत होने पर वह उसकी डिटेल भी देख सकता है. एग्जाम देने के बाद अपनी रैंकिंग भी देख सकता है. इसमें बार बार गलत या कठिन प्रश्नो को एक्सपर्ट से सॉल्व करवा वेबसाइट पर डाला जाता है. इसमें राजस्थान जनरल नॉलेज से 40 हजार प्रश्न है. इनके अलावा जनरल नॉलेज में जनरल साइंस, हिस्ट्री व ज्योग्राफी के 70,000 हजार प्रश्न हैं. बाल विकास और मनोविज्ञान के 16, मेंटल एबिलिटी के 22, मैथमेटिक्स के 35, मोटर व्हीकल सब इंस्पेक्टर के 10, शारीरिक शिक्षक व नर्सिंग के 7-7 हजार प्रश्न हैं. इसमें मॉडल टेस्ट पेपर सिलेबस के अनुसार डिजाइन हो जाता है. जिसमें एक एग्जाम के विद्यार्थियों के लिए करीब 70 हजार से 1 लाख प्रश्नों में से यह पेपर बनता है.

दिन में 80 बार तक विद्यार्थियों ने दिए टेस्टः वेबसाइट या ऐप पर फुल टेस्ट 100 या 50 प्रश्नों का होता है, जबकि सिलेबस में से किसी भी सेक्शन के अनुसार टेस्ट विद्यार्थी तैयारी के लिए दे सकता है. जिसमें एक सेक्शन के ही 30 प्रश्न पूछे जाते हैं. इसमें अलग-अलग सेक्शन में राजस्थान जीके, जनरल, साइंस मैथमेटिक्स हो सकते है. करीब 200 से 300 स्टूडेंट्स रोज इस पर आकर एग्जाम दे रहे हैं. जो विद्यार्थी लगातार इसका उपयोग करते हैं, वे चयनित भी हुए हैं. राठौड़ का मानना है कि विद्यार्थी इसका उपयोग करते हैं, तो कुछ और करने की जरूरत नहीं है. इसमें यह भी सामने आया है कि विद्यार्थी ने 80 बार तक एग्जाम दिया है, हर बार नए क्वेश्चन आए हैं. प्रैक्टिस के लिए ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी पेपर देते हैं.

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