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स्पेशल: कोरोना काल में लड़खड़ाई एंबुलेंस व्यवस्था, निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचने को मजबूर मरीज - Hospital

कोरोना संक्रमण के दौर में जिले की एंबुलेंस व्यवस्था लड़खड़ा गई है. लॉकडाउन के बाद कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, जिस कारण एंबुलेंस कम पड़ने लगी हैं. हालात ये हैं कि मरीजों को निजी वाहनों से अस्पताल जाना पड़ रहा है. प्रशासन से मांग करने के बाद भी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं. देखिये ये रिपोर्ट...

Ambulance system collapsed in covid
कोविड में लड़खड़ाई एंबुलेंस व्यवस्था
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Published : Aug 17, 2020, 12:18 PM IST

कोटा. कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. जिले में रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. हालात ये हैं कि कोरोना मरीजों के अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस कम पड़ जा रहीं हैं. कोटा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के पास मरीज बढ़ने के बाद ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था गड़बड़ा गई है. इससे मरीजों के काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना काल में लड़खड़ाई एंबुलेंस व्यवस्था

कोविड-19 के मरीजों को लाने के लिए जितनी एंबुलेंस प्रबंधन को चाहिए, उससे आधी भी उसके पास नहीं है. इसके चलते मरीज निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे हैं. इससे दूसरे लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ रहा है. जिन मरीजों के पास अपने साधन नहीं हैं, उन्हें एक साथ एक ही एंबुलेंस से अस्पताल लाया जा रहा है. करीब 3 से 4 मरीजों को ही एक एंबुलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है.

अधीक्षकों की गाड़ी भी तलब की...

मेडिकल टीमों को लाने व ले जाने के लिए भी एंबुलेंस लगाई हुई थीं. हालांकि, अब जब मरीजों की संख्या बढ़ गई है और एंबुलेंस कम पड़ने लगी है, तब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने टीमों को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस हटा ली गईं हैं. उनकी जगह पर प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने खुद की सरकारी गाड़ी व तीनों अस्पताल के अधीक्षक की गाड़ी को तलब करते हुए टीमों को लाने और ले जाने के लिए लगाया है.

Ambulances falling short of patients
मरीजों की तुलना में कम पड़ रहीं एंबुलेंस

यह भी पढ़ें: राजस्थान का सबसे बड़ा SMS अस्पताल जलमग्न, वार्ड तक हुआ 'पानी-पानी'

भुगतान न होने से नाराज एंबुलेंस संचालक...

कोटा शहर के अधिकांश एंबुलेंस संचालक जिला प्रशासन से नाराज हैं. उन्हें एंबुलेंस अधिग्रहण के बाद 3 महीने तक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अधीन संचालित किया गया, जो कि कोविड-19 मरीजों को घर से लाने ले जाने का काम कर रही थी. जिला प्रशासन ने उनका किराया सिर्फ 200 रुपए रोज तय किया. इसके साथ 233 रुपए एंबुलेंस चालक के निर्धारित किए थे, इससे उनमें नाराजगी है. उन्हें अभी तक कुछ एंबुलेंस का भुगतान नहीं हुआ है.

Increased problem due to low ambulance
एंबुलेंस कम पड़ने से बढ़ी परेशानी

इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने 24000 रुपए मासिक किराए पर एंबुलेंस ले रखी है, लेकिन संचालक अपनी एंबुलेंस को मेडिकल कॉलेज के अधीन चलाने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में लगातार परिवहन विभाग एंबुलेंस को अधिग्रहण भी कर रहा है. एंबुलेंस संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम नामा का कहना है कि वे अपनी एंबुलेंस को जिला प्रशासन की शर्तों के मुताबिक नहीं चलाएंगे, उन्हें इससे नुकसान हो रहा है.

यह भी पढ़ें: Special : कोरोना काल में मरीजों और अस्पताल प्रशासन का हाल बेहाल, जेब पर बढ़ रहा भार

पहले 22 एंबुलेंस थीं, अब चाहिए 50...

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को जिला प्रशासन ने अधिग्रहित कर 22 एंबुलेंस सौंपी थी. तब संक्रमित मरीज 15 से 25 के बीच आ रहे थे. इसके बाद मरीजों की संख्या कम हुई तो कुछ एंबुलेंस हटा ली गईं थीं. अब महज 13 एंबुलेंस प्रबंधन के पास है. अब मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. फिलहाल 150 से ज्यादा मरीज रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे में हालात को देखते हुए करीब 50 एंबुलेंस की आवश्यकता मेडिकल कॉलेज को है.

Patients arriving in the hospital by private vehicles
निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे पेशेंट

यह भी पढ़ें: जोधपुर में यहां खुलेंगे 4 मेडिकल हाउस, सस्ती Generic दवाइयां होंगी उपलब्ध

प्रिंसिपल मांग रहे एंबुलेंस, पर नहीं मिल रही...

मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना कह रहे हैं कि रोज 150 से 200 के बीच मरीज पॉजिटिव आ रहे हैं. उन्हें अस्पताल लेकर आना बड़ी चुनौती है. इसके लिए सीएमएचओ से भी 5 एंबुलेंस से मंगवाई है. डॉ. सरदाना का कहना है कि जो एंबुलेंस चालक कम किराए की बात कहकर सेवाएं नहीं दे रहे हैं, उन्हें महामारी के समय में आगे आना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से जो किराया उन्हें दिया जा रहा है वह कम नहीं है.

यह भी पढ़ें: भरतपुर के RBM जिला अस्पताल में अब कैंसर मरीजों की हो सकेगी कीमोथेरेपी

भर्ती होने में भी लग जाते हैं घंटों...

मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के पहुंचने के बाद उसे भर्ती कराया जाता है या होम आइसोलेशन का प्रोसेस शुरू कराया जाता है. इसके लिए चिकित्सक मरीज की स्थिति को देखते हैं. उसके बाद ही उसे होम आइसोलेशन या फिर अस्पताल में भर्ती करते हैं. कई मरीज तो ऐसे हैं जिन्हें भर्ती कर लिया जाता है और फिर उसके बाद स्थिति देखकर होम आइसोट कर दिया जाता है. रोज करीब 100 से ज्यादा मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, जिन्हें भर्ती करने का प्रोसेस पूरा करने में 3 से 4 घंटे लग जाते हैं.

पहले की स्थिति...

  • रोज पहले आ रहे थे 15 से 25 मरीज पॉजिटिव
  • इनके लिए प्रबंधन के पास थी 22 एंबुलेंस
  • एक मरीज को एक ही वाहन से लाया जा रहा था अस्पताल
  • पहले 2 घंटे के भीतर मरीज को करवा दिया जाता था अस्पताल में भर्ती

अब की स्थिति...

  • अब रोज सामने आ रहे हैं 150 से 200 के बीच केस
  • अस्पताल के पास हैं महज 13 एंबुलेंस
  • प्रबंधन को जरूरत है 50 से ज्यादा एंबुलेंस की
  • मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने में लगते हैं चार से पांच घंटे

कोटा. कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. जिले में रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. हालात ये हैं कि कोरोना मरीजों के अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस कम पड़ जा रहीं हैं. कोटा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के पास मरीज बढ़ने के बाद ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था गड़बड़ा गई है. इससे मरीजों के काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना काल में लड़खड़ाई एंबुलेंस व्यवस्था

कोविड-19 के मरीजों को लाने के लिए जितनी एंबुलेंस प्रबंधन को चाहिए, उससे आधी भी उसके पास नहीं है. इसके चलते मरीज निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे हैं. इससे दूसरे लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ रहा है. जिन मरीजों के पास अपने साधन नहीं हैं, उन्हें एक साथ एक ही एंबुलेंस से अस्पताल लाया जा रहा है. करीब 3 से 4 मरीजों को ही एक एंबुलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है.

अधीक्षकों की गाड़ी भी तलब की...

मेडिकल टीमों को लाने व ले जाने के लिए भी एंबुलेंस लगाई हुई थीं. हालांकि, अब जब मरीजों की संख्या बढ़ गई है और एंबुलेंस कम पड़ने लगी है, तब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने टीमों को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस हटा ली गईं हैं. उनकी जगह पर प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने खुद की सरकारी गाड़ी व तीनों अस्पताल के अधीक्षक की गाड़ी को तलब करते हुए टीमों को लाने और ले जाने के लिए लगाया है.

Ambulances falling short of patients
मरीजों की तुलना में कम पड़ रहीं एंबुलेंस

यह भी पढ़ें: राजस्थान का सबसे बड़ा SMS अस्पताल जलमग्न, वार्ड तक हुआ 'पानी-पानी'

भुगतान न होने से नाराज एंबुलेंस संचालक...

कोटा शहर के अधिकांश एंबुलेंस संचालक जिला प्रशासन से नाराज हैं. उन्हें एंबुलेंस अधिग्रहण के बाद 3 महीने तक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अधीन संचालित किया गया, जो कि कोविड-19 मरीजों को घर से लाने ले जाने का काम कर रही थी. जिला प्रशासन ने उनका किराया सिर्फ 200 रुपए रोज तय किया. इसके साथ 233 रुपए एंबुलेंस चालक के निर्धारित किए थे, इससे उनमें नाराजगी है. उन्हें अभी तक कुछ एंबुलेंस का भुगतान नहीं हुआ है.

Increased problem due to low ambulance
एंबुलेंस कम पड़ने से बढ़ी परेशानी

इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने 24000 रुपए मासिक किराए पर एंबुलेंस ले रखी है, लेकिन संचालक अपनी एंबुलेंस को मेडिकल कॉलेज के अधीन चलाने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में लगातार परिवहन विभाग एंबुलेंस को अधिग्रहण भी कर रहा है. एंबुलेंस संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम नामा का कहना है कि वे अपनी एंबुलेंस को जिला प्रशासन की शर्तों के मुताबिक नहीं चलाएंगे, उन्हें इससे नुकसान हो रहा है.

यह भी पढ़ें: Special : कोरोना काल में मरीजों और अस्पताल प्रशासन का हाल बेहाल, जेब पर बढ़ रहा भार

पहले 22 एंबुलेंस थीं, अब चाहिए 50...

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को जिला प्रशासन ने अधिग्रहित कर 22 एंबुलेंस सौंपी थी. तब संक्रमित मरीज 15 से 25 के बीच आ रहे थे. इसके बाद मरीजों की संख्या कम हुई तो कुछ एंबुलेंस हटा ली गईं थीं. अब महज 13 एंबुलेंस प्रबंधन के पास है. अब मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. फिलहाल 150 से ज्यादा मरीज रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे में हालात को देखते हुए करीब 50 एंबुलेंस की आवश्यकता मेडिकल कॉलेज को है.

Patients arriving in the hospital by private vehicles
निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे पेशेंट

यह भी पढ़ें: जोधपुर में यहां खुलेंगे 4 मेडिकल हाउस, सस्ती Generic दवाइयां होंगी उपलब्ध

प्रिंसिपल मांग रहे एंबुलेंस, पर नहीं मिल रही...

मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना कह रहे हैं कि रोज 150 से 200 के बीच मरीज पॉजिटिव आ रहे हैं. उन्हें अस्पताल लेकर आना बड़ी चुनौती है. इसके लिए सीएमएचओ से भी 5 एंबुलेंस से मंगवाई है. डॉ. सरदाना का कहना है कि जो एंबुलेंस चालक कम किराए की बात कहकर सेवाएं नहीं दे रहे हैं, उन्हें महामारी के समय में आगे आना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से जो किराया उन्हें दिया जा रहा है वह कम नहीं है.

यह भी पढ़ें: भरतपुर के RBM जिला अस्पताल में अब कैंसर मरीजों की हो सकेगी कीमोथेरेपी

भर्ती होने में भी लग जाते हैं घंटों...

मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के पहुंचने के बाद उसे भर्ती कराया जाता है या होम आइसोलेशन का प्रोसेस शुरू कराया जाता है. इसके लिए चिकित्सक मरीज की स्थिति को देखते हैं. उसके बाद ही उसे होम आइसोलेशन या फिर अस्पताल में भर्ती करते हैं. कई मरीज तो ऐसे हैं जिन्हें भर्ती कर लिया जाता है और फिर उसके बाद स्थिति देखकर होम आइसोट कर दिया जाता है. रोज करीब 100 से ज्यादा मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, जिन्हें भर्ती करने का प्रोसेस पूरा करने में 3 से 4 घंटे लग जाते हैं.

पहले की स्थिति...

  • रोज पहले आ रहे थे 15 से 25 मरीज पॉजिटिव
  • इनके लिए प्रबंधन के पास थी 22 एंबुलेंस
  • एक मरीज को एक ही वाहन से लाया जा रहा था अस्पताल
  • पहले 2 घंटे के भीतर मरीज को करवा दिया जाता था अस्पताल में भर्ती

अब की स्थिति...

  • अब रोज सामने आ रहे हैं 150 से 200 के बीच केस
  • अस्पताल के पास हैं महज 13 एंबुलेंस
  • प्रबंधन को जरूरत है 50 से ज्यादा एंबुलेंस की
  • मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने में लगते हैं चार से पांच घंटे
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