कोटा. जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत (infants death in JK Lone Kota) के मामले में बनी स्टेट की कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर ली है. इस रिपोर्ट में एक दिन में 12 नवजातों की मौत मामले में कमेटी ने अस्पताल को क्लीन चिट दे दी है. जबकि दो बच्चों की ही मौत को स्टाफ की लापरवाही से होना बताया है.
रिपोर्ट में साफ तौर पर उल्लेख किया है कि नर्सिंग कर्मी मुस्तैद होकर ड्यूटी नहीं करते हैं. वे रात को सतर्क होकर ड्यूटी करते तो 2 बच्चों की जान को बचाया जा सकता है. उनमें दोनों बच्चे स्वस्थ थे लेकिन रात को इनकी मां और अटेंडेंट को नींद लग गई. ऐसे में लार या दूध के एस्पिरेट करने से ही बच्चों की मौत हुई है.
साथ ही टीम का कहना है कि अन्य नवजात किसी भी तरह से बचने योग्य नहीं थे, इनमें से कुछ का वजन तो 1 किलो से कम था. वहीं एक अन्य बच्चे को कई गंभीर कॉम्प्लिकेशन थे. उसके इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं पाई गई है. हालांकि, टीम ने यह भी माना है कि विभागों में समन्वय की कमी है.
कमेटी का कहना-विभागों में कम्यूनिकेशन गैप
अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा और एचओडी डॉ. एएल बैरवा के बीच कम्युनिकेशन का स्तर कम है. टीम ने उपकरणों और बेड पोजीशन को देखते हुए यहां भारी वर्क लोड भी माना है. यह जांच रिपोर्ट मंगलवार को ही राज्य सरकार को सौंप दी जाएगी. जिसके बाद जेके लोन अस्पताल में सुधार के और प्रयास राज्य सरकार के स्तर पर किए जा सकते हैं.
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कमिटी ने अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ और सीनियर डॉक्टर बढ़ाए जाने की जरूरत जताई है. इसके आधार पर ही अस्पताल प्रबंधन कुछ बदलाव तुरंत कर सकता है. इस कमेटी में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिवांगी स्वर्णकार, निदेशक आरसीएच डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला, एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. अमरजीत मेहताब और रामबाबू शर्मा शामिल थे.
उदयपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को 15 दिन के लिए लगाया कोटा में
रविंद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज उदयपुर के प्रिंसिपल और सीनियर प्रोफेसर पीडियाट्रिक डॉ. लाखन पोसवाल को राज्य सरकार ने 15 दिन के लिए कोटा में तैनात किया है. वह कोटा में रहकर ही कैंप करेंगे और कोटा मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग से जुड़े हुए कार्यों का पर्यवेक्षण करेंगे. इस दौरान वे विभाग से जुड़े हुए हर मसले की जानकारी भी लेंगे. साथ ही उपकरण से लेकर हर व्यवस्था को बारीकी से देखेंगे.