कोटा. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन है. कोरोना वायरस के खतरे के चलते लाखों की संख्या में लोगों को क्वॉरेंटाइन किया हुआ है. हजारों की संख्या में मरीज अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं. जहां स्टाफ को भी उनसे संक्रमण लगने की संभावना काफी ज्यादा है.
ऐसे में SMS अस्पताल जयपुर में रोबोट के जरिए आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को दवा और खाना पहुंचाया जा रहा है. इसी तर्ज पर राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा का रोबोटिक क्लब भी कोरोना से जूझने के लिए इक्विपमेंट्स बनाने में जुटा हुआ है. रोबोटिक्स क्लब को लीड करने वाले राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. दीपक भाटिया ने रोबोटिक क्लब को इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में बनाया है.
जिसमें सभी ब्रांच के फर्स्ट ईयर से लेकर फाइनल ईयर तक के स्टूडेंट शामिल हैं. इसमें सीनियर स्टूडेंट अपने जूनियर स्टूडेंट को डिफरेंट टाइप की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सिखाते हैं. रोबोटिक्स के बारे में जितनी भी नई रिसर्च है, रोबोट बनाना, सोसाइटी के लिए यूजफुल, इंडस्ट्रियल रोबोट और नई तरह की टेक्नोलॉजी को जोड़ते हुए सोसाइटी को उदाहरण सेट करते हुए काम करते हैं.
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सभी घर से ही कर रहे हैं काम
आरटीयू कोटा के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक भाटिया के अनुसार स्टूडेंट्स अच्छा काम कर रहे हैं. उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए रोज एक टास्क दिया जाता है. एक स्टूडेंट ग्रुप आईआईटी बीएचयू के पीएचडी स्टूडेंट के साथ में कोरोना के लिए काम कर रहे हैं. वे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट के बारे में रिसर्च कर रहे हैं. जिससे वे लो कॉस्ट वेंटिलेटर और लो कॉस्ट थर्मल इमेजिंग सिस्टम डेवलप कर सकें और जिस महामारी से देश जूझ रहा है, उसके लिए अपना योगदान दे सकें.
रोबोट की मदद से सोशल डिस्टेंस बना सकते हैं
डॉ. भाटिया ने बताया कि कोरोना की महामारी बहुत ही भयानक रूप में देश के सामने आई है. इसमें रोबोट और आर्टिफिशियल इंजीनियरिंग का बड़ा योगदान है. इसके बारे में सफल प्रयोग SMS अस्पताल में किए गए हैं, रोबोट के जरिए मेडिकल क्वॉरेंटाइन में रखे गए लोगों को दवा और खाना उपलब्ध कराया गया है.
इसका सबसे बड़ा एडवांटेज है कि मेडिकल स्टाफ को बार-बार अपना पर्सनल प्रोटेक्शन किट पहन के अंदर नहीं जाना पड़ता है. इससे टाइम और पैसा दोनों ही खर्च नहीं होते हैं. क्योंकि पर्सनल प्रोटेक्शन किट को पहनने में टाइम खर्च करना पड़ता है और यह यूज एंड थ्रो होते हैं. ऐसे में एक बार उपयोग के बाद ही इन्हें फेंकना पड़ता है.
पहले लाइन फॉलोअर, अब सर्विस और सोसायटी यूज के रोबोट
डॉ. भाटिया के अनुसार रोबोटिक्स को लेकर इंडिया में बहुत बड़े स्तर पर काम हो रहा है. राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी भी इसी साल से एक नया कोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शुरू कर रहा है. उन्होंने बताया कि पहले जो रोबोट बने थे, वह केवल लाइन फॉलोअर रोबोट होते थे.
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लेकिन अब जो नए रोबोट आ रहे हैं वो सोसाइटी न्यूज और सर्विस रोबोट हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आईटी और अन्य तकनीकों का बहुत योगदान है. इंडिया में भी बड़े स्तर पर काम हो रहा है. थ्रीडी प्रिंटर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से रोबोट का फेस और आर्म डिजाइन कर सकते हैं. सभी आईआईटी में इस तरह के स्पेशल कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं.
IT की तरह रोबोटिक्स में भी इंडिया विश्व को राह दिखाएगा
रोबोटिक्स की बात करते हुए आरटीयू कोटा के प्रोफेसर डॉ. दीपक भाटिया ने बताया कि इसमें रोजगार की असीमित संभावनाएं है. स्टूडेंट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्चुअल लैब का यूज कर रहे हैं. आने वाला समय भी इन्हीं का है, ऐसे में स्टूडेंट्स में जो स्किल इनको लेकर डवलप होती है. उसमें रोजगार की कहीं कमी नहीं होगी. भारत विकासशील देश है, जिस तरह से आईटी में हमने पूरे विश्व को राह दिखाई है. रोबोटिक्स में भी असीम संभावनाएं हैं.