कोटा. चंबल नदी के बढ़े जलस्तर के कारण कोटा में किनारे की बस्तियां और कई कॉलोनियां डूब गई हैं. जिले में आई बाढ़ खाई रोड चंबल की पुलिया के नीचे स्थित बाजार के सैकड़ों दुकानदारों के अरमां भी बहा कर ली गई है. दुकानदारों का कहना है कि उनका इतना नुकसान हुआ है कि वह पूरी तरह से टूट गए हैं. अब उठ कर खड़ा होना भी नामुमकिन है.
करीब 300 दुकाने तहस-नहस, 40 करोड़ के नुकसान का अंदाजा
दुकानों में लाखों का सामान खराब हुआ है, जो उन्होंने फेंक दिया है. इन दुकानदारों का कहना है कि कुछ दिनों में नवरात्रा, दशहरा और दिवाली का त्योहार आने वाला है, लेकिन उनकी सारी खुशियों को इस बाढ़ ने तबाह कर दिया है. इन बाजारों में 300 के करीब दुकानें हैं जो बाढ़ में प्रभावित हुई है. करीब 40 करोड़ के आसपास इन लोगों को नुकसान का अंदाजा है.
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चम्बल के बढ़े जलस्तर से इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल शॉप में पानी घुस जाने से लाखों के सामान खराब हो गए हैं. बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद जब दुकानदारों ने अपनी दुकानें संभाली तो वह दंग रह गए और नुकसान को देखकर रुआंसे से भी हो गए. दुकानदारों ने अपना माल सड़क फैला रखा है ताकि जब सूख जाए तो उनमें से कुछ सही माल निकालकर वो उसे बेच सके.वहीं दुकानदारों का कहना है कि कुछ ग्राहकों के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और मोबाइल भी उनकी दुकानों पर रिपेयर होने के लिए आए थे, वो भी बाढ़ के पानी में डूब गए हैं. उन ग्राहकों को भी समस्या हो रही है और दुकानदारों का 80 फीसद से ज्यादा माल खराब हो गया है.
क्या कहना है दुकानदारों का-
बर्तन व्यवसायी बृजेश अजमेरा का कहना है कि 3 दिन बाद दुकान को आकर संभाला है. अब सामानों को साफ कर रहे हैं. लेकिन, पीतल तांबे और एलुमिनियम के सभी बर्तन खराब हो गए हैं. रेडीमेड दुकान चलाने वाले अनिल जैन का कहना है कि दुकान में रखे कपड़े खराब हो गए हैं. 10 फीट पानी उनकी दुकान में आ गया था. ऐसे में अधिकांश कपड़ों को उन्होंने फेंक दिया है. कुछ बचे हैं, जिनको धोकर सुखाया है. जिनकी भी अब बिकने की उम्मीद नहीं है.
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वहीं दुकानदार अजय गोयल का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें समय पर जानकारी नहीं दी, इसके चलते वह अपना सामान भी नहीं हटा पाए और अब बाढ़ में सब कुछ तबाह हो गया है तो पानी की व्यवस्था भी प्रशासन नहीं कर पा रहा है. उनके अनुसार उनका करीब 15 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है. दुकान में एक भी रुपए का सामान नहीं बचा है. वो बिल्कुल शून्य स्थिति पर आ गए हैं.
सड़क पर दुध बेचने को मजबुर
चंबल पुलिया के नीचे दूध डेयरी संचालित करने वाले रामचंद्र की दुकान में रखी मशीनें बाढ़ में डुबने से खराब हो गई. अब वह सड़क पर ही सामान रखकर अपने दुध को बेच रहे हैं. उनका कहना है कि एक फ्रिज तो बाढ़ के पानी में ही बह गया. बचे हुए दो फ्रिज, एसी और मशीनें पानी में खराब हो गई हैं. अब वे मजबूरी में सड़क पर बैठकर ही दूध बेच रहे हैं.
बाढ़ के डर से घर ले गए माल, घर भी डूबा बाढ़ में
वहीं किराने की दुकान चलाने वाली अनीता अग्रवाल का कहना है कि पहले तो उनकी दुकानों में पानी आया तो उन्होंने अपना सामान घर पर शिफ्ट किया, तो वहां भी 4 फीट पानी आ गया. ऐसे में सबकुछ पानी में बह गया है. उन्होंने कहा कि तीन ट्रॉली सामान खराब होने पर उन्होंने फेंका है. अब तो दिमाग भी काम नहीं कर रहा है कि दुकान की शुरुआत वापस कैसे की जाए.
चंबल के विकराल रूप के बाद 'बिखरे कोटा' के यह हालात है कि आने वाले त्योहार भी लोगों को फीके नजर आ रहे हैं. दुकानदार नए सिरे से अपने व्यवसाय कैसे शुरू करें इसी असमंजस में हैं. हालांकि, प्रशासन अपना काम कर रहा है, लेकिन इन लोगों की जिंदगी कब सामान्य होगी यह कहना मुश्किल है, क्योंकि नुकसान बड़ा है और उपाय कम.