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SPECIAL : मकर संक्रांति पर राजस्थान में यहां होती है मगरमच्छ की आराधना, बंगाली समाज निभा रहा अनूठी परंपरा

कोटा में मकर संक्रांति के मौके पर बंगाली समाज अनूठी परंपरा का निर्वाह करते है. यहां शहर के नयागांव रोझड़ी में मिट्टी का मगरमच्छ बना कर उसकी विधिवत पूजा की जाती है. बता दें कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति का नाम दिया गया है. देखिए कोटा से बंगाली समाज की अनूठी परंपरा पर स्पेशल रिपोर्ट...

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
मकर संक्रांति पर कोटा में होती है मगरमच्छ की आराधना
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Published : Jan 15, 2020, 9:59 PM IST

कोटा. शहर के नयागांव रोझड़ी में रह रहे बंगाली समाज के लोग मकर संक्रांति पर्व पर करीब 21 फीट लम्बा मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर उसका पूजन करने की परंपरा काफी समय से प्रचलन में है.

मकर संक्रांति के पर्व पर देश में कई अलग-अलग तरीके से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब बंगाली समाज के लोग नदी के किनारे मिट्टी का मगरमच्छ बनाते हैं और उसका विधिवत रूप से सार श्रृंगार करते हैं. इस दौरान पंडितों से विधि विधान से पूजा कर अपना मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं.

बरसों से बंगाली समाज मे है ये परंपरा, मगरमच्छ की पूजा कर मांगी जाती है परिवार की खुशहाली

पढ़ें- मकर संक्रांति की शाम दीपावली जैसा नजारा, आसमान में तारों से टिमटिमाए विश बैलून

क्या है मिट्टी के मगरमच्छ के पूजा की परंपरा
जब इससे जुड़ी धारणा के बारे में पूछा गया तो बंगाली समाज के लोगों ने बताया कि ये सालों से चली आ रही परम्परा है. उन्होंने बताया कि तांत्रिक द्वारा मकर संक्रांति पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर एक व्यक्ति तांत्रिक के विद्या सीखने गया था.

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
कोटा में मिट्टी के मगरमच्छ की आराधना

जब मकर संक्रांति पर अपने घर लौटा तो उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि तुमने क्या सीखा. तब वह अपनी पत्नी को नदी के तट पर ले गया और उसने मिट्टी का मगरमच्छ बनाया और उसमें तांत्रिक विद्या से मंत्र बोलकर उसे जीवित कर डाला. उसके बाद नगर जीवित होकर नदी में चला गया.

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
मिट्टी के मगरमच्छ को बनाने में जुटे लोग

पढ़ें- मकर संक्रांति आज : स्नान के लिए गंगासागर में जुटे लाखों श्रद्धालु

समाज और परिवार की खुशहाली के लिए करते हैं पूजा
इस घटना के बाद से ही इस तरह की धारणा को लेकर बंगाली समाज के लोग परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं. वहीं समाज की महिलाओं ने बताया कि मकर संक्रांति पर पुराणों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह करते हुए पूजन कर समाज और परिवार की खुशहाली की कामना करते है. पूजन के बाद समाज के सभी लोग एक साथ भोजन करते है.

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
कोटा में संक्रांति का पर्व

बता दें कि रोझड़ी स्थित बंगाली समाज के परिवारों ने बुधवार को मकर संक्रांति पर्व मगरमच्छ की पूजा करके मनाया. इस दौरान मिट्टी के 21 फीट लंबे मगरमच्छ को बनाने के लिए सभी लोग जुटे हुए थे. वहीं साढ़े तीन फीट का मगरमच्छ का मुंह बनाया गया. इस दौरान मिट्टी के मगरमच्छ को ईश्वर और जीवनदाता का प्रतीक मानते हुए समाज के लोगों ने पूजा अर्चना की.

कोटा. शहर के नयागांव रोझड़ी में रह रहे बंगाली समाज के लोग मकर संक्रांति पर्व पर करीब 21 फीट लम्बा मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर उसका पूजन करने की परंपरा काफी समय से प्रचलन में है.

मकर संक्रांति के पर्व पर देश में कई अलग-अलग तरीके से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब बंगाली समाज के लोग नदी के किनारे मिट्टी का मगरमच्छ बनाते हैं और उसका विधिवत रूप से सार श्रृंगार करते हैं. इस दौरान पंडितों से विधि विधान से पूजा कर अपना मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं.

बरसों से बंगाली समाज मे है ये परंपरा, मगरमच्छ की पूजा कर मांगी जाती है परिवार की खुशहाली

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क्या है मिट्टी के मगरमच्छ के पूजा की परंपरा
जब इससे जुड़ी धारणा के बारे में पूछा गया तो बंगाली समाज के लोगों ने बताया कि ये सालों से चली आ रही परम्परा है. उन्होंने बताया कि तांत्रिक द्वारा मकर संक्रांति पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर एक व्यक्ति तांत्रिक के विद्या सीखने गया था.

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
कोटा में मिट्टी के मगरमच्छ की आराधना

जब मकर संक्रांति पर अपने घर लौटा तो उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि तुमने क्या सीखा. तब वह अपनी पत्नी को नदी के तट पर ले गया और उसने मिट्टी का मगरमच्छ बनाया और उसमें तांत्रिक विद्या से मंत्र बोलकर उसे जीवित कर डाला. उसके बाद नगर जीवित होकर नदी में चला गया.

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
मिट्टी के मगरमच्छ को बनाने में जुटे लोग

पढ़ें- मकर संक्रांति आज : स्नान के लिए गंगासागर में जुटे लाखों श्रद्धालु

समाज और परिवार की खुशहाली के लिए करते हैं पूजा
इस घटना के बाद से ही इस तरह की धारणा को लेकर बंगाली समाज के लोग परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं. वहीं समाज की महिलाओं ने बताया कि मकर संक्रांति पर पुराणों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह करते हुए पूजन कर समाज और परिवार की खुशहाली की कामना करते है. पूजन के बाद समाज के सभी लोग एक साथ भोजन करते है.

Makar Sankranti in Kota, Bengali society worship
कोटा में संक्रांति का पर्व

बता दें कि रोझड़ी स्थित बंगाली समाज के परिवारों ने बुधवार को मकर संक्रांति पर्व मगरमच्छ की पूजा करके मनाया. इस दौरान मिट्टी के 21 फीट लंबे मगरमच्छ को बनाने के लिए सभी लोग जुटे हुए थे. वहीं साढ़े तीन फीट का मगरमच्छ का मुंह बनाया गया. इस दौरान मिट्टी के मगरमच्छ को ईश्वर और जीवनदाता का प्रतीक मानते हुए समाज के लोगों ने पूजा अर्चना की.

Intro:स्पेशल एक्सक्लूजिव :-मकर संक्रांति पर मिट्टी का मगरमच्छ बना की आराधना,बरसो से बंगाली समाज मे है ये परंपरा मगरमच्छ की पूजा कर मांगी परिवार खुशहाली की दुआ।
कोटा मकर सक्रांति के मौके पर बंगाली समाज अनूठी परंपरा का निर्वाह करते हुए मिट्टी का मगरमच्छ बना कर उसका विधिवत पूजा पाठ कर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर सक्रांति का नाम दिया गया है ।
Body:कोटा के नयागांव रोझड़ी में रह रहे बंगाली समाज के लोग मकर संक्रांति पर्व पर करीब21 फिट लम्बा मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर उसका पूजन करने की परंपरा काफी समय से प्रचलन में है।
मकर संक्रांति के पर्व पर देश में कई अलग अलग तरीके से मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है जब सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करता है तब बंगाली समाज के लोग नदी के किनारे मिट्टी का मगरमच्छ बनाते हैं।ओर उसका विधिवत रूप से उसका सार श्रंगार करते हैं और पंडितों से विधि विधान सहित पूजा कर अपना मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं । अब इससे जुड़ी धारणा के बारे में पूछा गया तो बंगाली समाज के लोगों का कहना था कि सालो से चली आ रही परम्परा का निर्वाह करते हुए बताया कि तांत्रिक द्वारा मकर संक्रांति पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर। जिसके पास एक व्यक्ति तांत्रिक विद्या सीखने गया था जब मकर सक्रांति पर अपने घर लौटा तो उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि तुमने क्या सीखा तब वह अपनी पत्नी को नदी के तट पर ले गया और उसने मिट्टी का मगर बनाया और उसमें तांत्रिक प्रक्रिया से मंत्र फॉर उसे जीवित कर डाला उसके बाद नगर जीवित होकर नदी में चला गया उसके बाद से इस तरह की धारणा को लेकर बंगाली समाज के लोग परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं ।
Conclusion:समाज की महिलाओ ने बताया कि मकर संक्रांति पर पुराणों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह करते हुए।इसका पूजन कर समाज और परिवार की खुशहाली की कामना करते है।पूजन के बाद समाज के सभी लोग एक साथ भोजन करते है।
बाइट -कुणाल चतुर्वेदी, पंडित बंगाली समाज
बाइट -कार्तिक सरकार, स्थानीय बंगाली समाज
बाईट-सुमत्ती देवी, गृहणी, बंगाली समाज
बाईट-पुष्पा बाई, गृहणी बंगाली समाज
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