ETV Bharat / city

हाड़ौती से जीतकर विधानसभा पहुंचे कांग्रेस विधायकों में से एक भी पायलट के साथ नहीं - rajasthan political crisis

राजस्थान में सियासी संग्राम के बीच अशोक गहलोत और पायलट खेमे ने विधायकों की बाड़ाबंदी कर रखी है. वहीं हाड़ौती के सातों विधायकों ने अशोक गहलोत का साथ चुना है.

MLAs from Hadoti supported Ashok Gehlot, सचिन पायलट VS अशोक गहलोत
गहलोत के समर्थन में हैं हाड़ौती के विधायक
author img

By

Published : Jul 17, 2020, 3:47 PM IST

कोटा. कांग्रेस की हाड़ौती से 7 विधायक जीत के विधानसभा पहुंचे थे. इनमें से तीन मंत्री हैं लेकिन इन सातों विधायकों में एक भी ऐसा नहीं है, जो सचिन पायलट के साथ खड़ा हो. हाड़ौती के सभी सातों कांग्रेस MLA जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में हो रही बाड़ेबंदी में ही मौजूद हैं.

राजस्थान की राजनीति में काफी उठापटक चल रही है. कांग्रेस में ही बगावती स्वर दिखाते हुए सचिन पायलट अपने करीबी विधायकों को लेकर मानेसर गुड़गांव के एक होटल में बंद हैं. इधर, जयपुर में गहलोत सरकार ने कांग्रेस विधायकों को बाड़ेबंदी में रखा है. कांग्रेस की हाड़ौती से 7 विधायक जीत के पहुंचे थे. इनमें से तीन मंत्री हैं, लेकिन इन सातों विधायकों में एक भी ऐसा नहीं है, जो सचिन पायलट के साथ खड़ा हो. हाड़ौती के सभी सातों कांग्रेस MLA जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में हो रही बाड़ेबंदी में ही मौजूद हैं.

MLAs from Hadoti supported Ashok Gehlot, सचिन पायलट VS अशोक गहलोत
हाड़ौती से सातों विधायक गहलोत के पाले में

शांति धारीवाल (कोटा दक्षिण)- मंत्री धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीब व्यक्तियों में हैं. सरकार पर आए खतरे का सामना करने के लिए खुद शांति धारीवाल मुख्यमंत्री गहलोत की प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल हैं. प्रदेश के कैबिनेट मंत्री होने के साथ यूडीएच विभाग का भी जिम्मा उनके पास है. सरकार में आए हुए संकट के दौरान ही शांति धारीवाल विधायक दल की बैठक में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, बागी मंत्री रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को बर्खास्त करने का प्रस्ताव लेकर आए थे.

भरत सिंह (सांगोद)-विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह सरकार की खिलाफत कई बार करते आए हैं, लेकिन वे पार्टी लाइन पर चलने वाले और साफ छवि के नेता हैं. वे पार्टी के नेताओं की भी कई बार खिलाफत करते आए हैं. कई मंत्रियों और अधिकारियों के लिए भी उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. वे मुख्यमंत्री के पसंदीदा लोगों में हैं. ऐसे में अशोक गहलोत खेमे में ही खड़े हुए हैं.

MLAs from Hadoti supported Ashok Gehlot, सचिन पायलट VS अशोक गहलोत
जिलों के अनुसार कांग्रेस और भाजपा विधायकों की स्थिति

रामनारायण मीणा (पीपल्दा)- विधायक रामनारायण मीणा ने कोटा बूंदी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 2019 में चुनाव भी लड़ा था और वे हार गए थे. इसके बाद वे पार्टी और वरिष्ठ नेताओं से नाराज जरूर हुए थे. उन्होंने भी सरकार और मंत्रियों के खिलाफ कई बार बगावती बयान दिए हैं. मंत्री नहीं बनाने पर नाराजगी भी मीणा ने जाहिर की है, लेकिन वह जयपुर के फेयर माउंट होटल में चल रही कांग्रेस विधायकों की बाड़ेबंदी में शामिल हो गए.

प्रमोद जैन भाया (अंता)-मंत्री प्रमोद जैन भाया पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों में थे. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सचिन पायलट के साथ भी उन्होंने लंबे समय तक काम किया है. पायलट के प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल के समय भाजपा के खिलाफ राहुल गांधी की रैली हो या फिर किसानों का आंदोलन सब कुछ हाड़ौती के बारां जिले से ही भाया ने शुरू करवाया था. लेकिन मंत्री बनने के बाद वे पार्टी लाइन से बगावत नहीं करना चाहते हैं. इसी के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साथ दे रहे हैं. भाया जयपुर के फेयरमाउंट होटल में ही अपने दो करीबी विधायकों के साथ मौजूद हैं.

निर्मला सहरिया (किशनगंज)- विधायक निर्मला सहरिया दूसरी बार MLA बनीं हैं. इससे पहले 2009 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने क्रॉस वोटिंग कर दी थी. इसके चलते 2013 में उनका टिकट कट गया. इस बार 2018 में दोबारा खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने उन्हें टिकट दिलाया. जिसके बाद में दूसरी बार विधायक चुनी गई है. हालांकि, सहरिया प्रमोद जैन भाया की करीबियों में हैं. ऐसे में मंत्री भाया मुख्यमंत्री गहलोत के साथ उनके कैंप में हैं. निर्मला सहरिया भी उन्हीं का साथ देगी.

पानाचंद मेघवाल (बारां-अटरू)- कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और बारां अटरू सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए पानाचंद मेघवाल भी मंत्री प्रमोद जैन भाया के ही करीबी हैं. उन्हें लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिला है. वे भी मंत्री भाया की करीबी हैं. ऐसे में वे मंत्री भाया के साथ ही जाएंगे. मंत्री प्रमोद जैन भाया खुद अशोक गहलोत और पार्टी आलाकमान के निर्णय के अनुसार काम कर रहे हैं.

अशोक चांदना (हिंडोली)- प्रदेश की सरकार में चांदना युवा एवं खेल मंत्री हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने कोटे से उन्हें 34 साल की उम्र में ही मंत्री बनाया है. गुर्जर होते हुए भी वे सचिन पायलट के करीबी नहीं हैं. वे अशोक गहलोत कैंप के सिपहसालार माने जाते हैं. चांदना बूंदी जिले के हिंडोली से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. सोशल मीडिया पर भी सचिन पायलट का साथ नहीं देने पर उनके खिलाफ अभियान चल रहा है.

निर्दलीयों को भाव नहीं देता है हाड़ौती

वहीं हाड़ौती संभाग में कांग्रेस या भाजपा का ही दबदबा रहा है. यहां पर निर्दलीय या पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वालों को जनता नकार देती है. ऐसे में बीते 3 विधानसभा चुनाव में यहां से कोई भी निर्दलीय या पार्टी से बगावत कर नहीं जीत पाया है. 2008 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर जहां पर कांग्रेस जीती थी, तो भाजपा को 7 सीटें मिली थी. 2013 के चुनाव में 16 सीटें बीजेपी के पास गई और एकमात्र हिंडोली से अशोक चांदना जीते थे.

यह भी पढ़ें. LIVE : सचिन पायलट गुट की HC में दलील, विधानसभा के बाहर लागू नहीं होता व्हिप

ये सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. 2018 के चुनाव में भी हाड़ौती में बागी के रूप में कांग्रेस के सीएल प्रेमी केशोरायपाटन से चुनाव लड़े थे. उन्होंने अच्छे खासे वोट मिले, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा. इसके अलावा इन चुनावों में कोई ठोस बागी पार्टी से नहीं हुआ है.

हाड़ौती से भाजपा का पलड़ा रहा भारी

कोटा संभाग में विधानसभा की 17 सीटें हैं. जिन पर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहा था. इनमें से 10 सीटों पर भाजपा के विधायक काबिज हैं तो 7 सीटों पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इलाके झालावाड़ जिले से कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी. यहां की चारों सीटों पर भाजपा ही काबिज है.

यह भी पढ़ें. राजेंद्र राठौड़ ने ऑडियो को बताया फर्जी, कहा- प्रदेश सरकार में हिम्मत है तो CBI से भी जांच करवा ले

वहीं बारां जिले की बात की जाए तो यहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ी. जिले की 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. जबकि एक सीट पर ही भाजपा के विधायक हैं. कोटा जिले की 6 सीटों में 3 पर भाजपा और 3 पर कांग्रेस का कब्जा है. बूंदी जिले की 2 सीटों पर बीजेपी एक पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे.

यहां पर हैं भाजपा के विधायक

कोटा जिले की रामगंजमंडी सीट से मदन दिलावर, कोटा दक्षिण से संदीप शर्मा और लाडपुरा से कल्पना सिंह विधायक हैं. इसी तरह से झालावाड़ जिले की झालरापाटन सीट से वसुंधरा राजे, अकलेरा से गोविंद रानीपुरिया, खानपुर से नरेंद्र नागर और डग से कालू लाल विधायक चुने गए थे. बारां जिले की छबड़ा सीट से प्रताप सिंह सिंघवी, बूंदी की केशोरायपाटन सीट से चंद्रकांता मेघवाल और बूंदी शहर से अशोक डोगरा MLA हैं.

कोटा. कांग्रेस की हाड़ौती से 7 विधायक जीत के विधानसभा पहुंचे थे. इनमें से तीन मंत्री हैं लेकिन इन सातों विधायकों में एक भी ऐसा नहीं है, जो सचिन पायलट के साथ खड़ा हो. हाड़ौती के सभी सातों कांग्रेस MLA जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में हो रही बाड़ेबंदी में ही मौजूद हैं.

राजस्थान की राजनीति में काफी उठापटक चल रही है. कांग्रेस में ही बगावती स्वर दिखाते हुए सचिन पायलट अपने करीबी विधायकों को लेकर मानेसर गुड़गांव के एक होटल में बंद हैं. इधर, जयपुर में गहलोत सरकार ने कांग्रेस विधायकों को बाड़ेबंदी में रखा है. कांग्रेस की हाड़ौती से 7 विधायक जीत के पहुंचे थे. इनमें से तीन मंत्री हैं, लेकिन इन सातों विधायकों में एक भी ऐसा नहीं है, जो सचिन पायलट के साथ खड़ा हो. हाड़ौती के सभी सातों कांग्रेस MLA जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में हो रही बाड़ेबंदी में ही मौजूद हैं.

MLAs from Hadoti supported Ashok Gehlot, सचिन पायलट VS अशोक गहलोत
हाड़ौती से सातों विधायक गहलोत के पाले में

शांति धारीवाल (कोटा दक्षिण)- मंत्री धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीब व्यक्तियों में हैं. सरकार पर आए खतरे का सामना करने के लिए खुद शांति धारीवाल मुख्यमंत्री गहलोत की प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल हैं. प्रदेश के कैबिनेट मंत्री होने के साथ यूडीएच विभाग का भी जिम्मा उनके पास है. सरकार में आए हुए संकट के दौरान ही शांति धारीवाल विधायक दल की बैठक में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, बागी मंत्री रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को बर्खास्त करने का प्रस्ताव लेकर आए थे.

भरत सिंह (सांगोद)-विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह सरकार की खिलाफत कई बार करते आए हैं, लेकिन वे पार्टी लाइन पर चलने वाले और साफ छवि के नेता हैं. वे पार्टी के नेताओं की भी कई बार खिलाफत करते आए हैं. कई मंत्रियों और अधिकारियों के लिए भी उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. वे मुख्यमंत्री के पसंदीदा लोगों में हैं. ऐसे में अशोक गहलोत खेमे में ही खड़े हुए हैं.

MLAs from Hadoti supported Ashok Gehlot, सचिन पायलट VS अशोक गहलोत
जिलों के अनुसार कांग्रेस और भाजपा विधायकों की स्थिति

रामनारायण मीणा (पीपल्दा)- विधायक रामनारायण मीणा ने कोटा बूंदी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 2019 में चुनाव भी लड़ा था और वे हार गए थे. इसके बाद वे पार्टी और वरिष्ठ नेताओं से नाराज जरूर हुए थे. उन्होंने भी सरकार और मंत्रियों के खिलाफ कई बार बगावती बयान दिए हैं. मंत्री नहीं बनाने पर नाराजगी भी मीणा ने जाहिर की है, लेकिन वह जयपुर के फेयर माउंट होटल में चल रही कांग्रेस विधायकों की बाड़ेबंदी में शामिल हो गए.

प्रमोद जैन भाया (अंता)-मंत्री प्रमोद जैन भाया पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों में थे. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सचिन पायलट के साथ भी उन्होंने लंबे समय तक काम किया है. पायलट के प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल के समय भाजपा के खिलाफ राहुल गांधी की रैली हो या फिर किसानों का आंदोलन सब कुछ हाड़ौती के बारां जिले से ही भाया ने शुरू करवाया था. लेकिन मंत्री बनने के बाद वे पार्टी लाइन से बगावत नहीं करना चाहते हैं. इसी के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का साथ दे रहे हैं. भाया जयपुर के फेयरमाउंट होटल में ही अपने दो करीबी विधायकों के साथ मौजूद हैं.

निर्मला सहरिया (किशनगंज)- विधायक निर्मला सहरिया दूसरी बार MLA बनीं हैं. इससे पहले 2009 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने क्रॉस वोटिंग कर दी थी. इसके चलते 2013 में उनका टिकट कट गया. इस बार 2018 में दोबारा खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने उन्हें टिकट दिलाया. जिसके बाद में दूसरी बार विधायक चुनी गई है. हालांकि, सहरिया प्रमोद जैन भाया की करीबियों में हैं. ऐसे में मंत्री भाया मुख्यमंत्री गहलोत के साथ उनके कैंप में हैं. निर्मला सहरिया भी उन्हीं का साथ देगी.

पानाचंद मेघवाल (बारां-अटरू)- कांग्रेस के जिलाध्यक्ष और बारां अटरू सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए पानाचंद मेघवाल भी मंत्री प्रमोद जैन भाया के ही करीबी हैं. उन्हें लगातार तीन चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिला है. वे भी मंत्री भाया की करीबी हैं. ऐसे में वे मंत्री भाया के साथ ही जाएंगे. मंत्री प्रमोद जैन भाया खुद अशोक गहलोत और पार्टी आलाकमान के निर्णय के अनुसार काम कर रहे हैं.

अशोक चांदना (हिंडोली)- प्रदेश की सरकार में चांदना युवा एवं खेल मंत्री हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने कोटे से उन्हें 34 साल की उम्र में ही मंत्री बनाया है. गुर्जर होते हुए भी वे सचिन पायलट के करीबी नहीं हैं. वे अशोक गहलोत कैंप के सिपहसालार माने जाते हैं. चांदना बूंदी जिले के हिंडोली से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. सोशल मीडिया पर भी सचिन पायलट का साथ नहीं देने पर उनके खिलाफ अभियान चल रहा है.

निर्दलीयों को भाव नहीं देता है हाड़ौती

वहीं हाड़ौती संभाग में कांग्रेस या भाजपा का ही दबदबा रहा है. यहां पर निर्दलीय या पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वालों को जनता नकार देती है. ऐसे में बीते 3 विधानसभा चुनाव में यहां से कोई भी निर्दलीय या पार्टी से बगावत कर नहीं जीत पाया है. 2008 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर जहां पर कांग्रेस जीती थी, तो भाजपा को 7 सीटें मिली थी. 2013 के चुनाव में 16 सीटें बीजेपी के पास गई और एकमात्र हिंडोली से अशोक चांदना जीते थे.

यह भी पढ़ें. LIVE : सचिन पायलट गुट की HC में दलील, विधानसभा के बाहर लागू नहीं होता व्हिप

ये सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. 2018 के चुनाव में भी हाड़ौती में बागी के रूप में कांग्रेस के सीएल प्रेमी केशोरायपाटन से चुनाव लड़े थे. उन्होंने अच्छे खासे वोट मिले, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा. इसके अलावा इन चुनावों में कोई ठोस बागी पार्टी से नहीं हुआ है.

हाड़ौती से भाजपा का पलड़ा रहा भारी

कोटा संभाग में विधानसभा की 17 सीटें हैं. जिन पर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहा था. इनमें से 10 सीटों पर भाजपा के विधायक काबिज हैं तो 7 सीटों पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इलाके झालावाड़ जिले से कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी. यहां की चारों सीटों पर भाजपा ही काबिज है.

यह भी पढ़ें. राजेंद्र राठौड़ ने ऑडियो को बताया फर्जी, कहा- प्रदेश सरकार में हिम्मत है तो CBI से भी जांच करवा ले

वहीं बारां जिले की बात की जाए तो यहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ी. जिले की 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. जबकि एक सीट पर ही भाजपा के विधायक हैं. कोटा जिले की 6 सीटों में 3 पर भाजपा और 3 पर कांग्रेस का कब्जा है. बूंदी जिले की 2 सीटों पर बीजेपी एक पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे.

यहां पर हैं भाजपा के विधायक

कोटा जिले की रामगंजमंडी सीट से मदन दिलावर, कोटा दक्षिण से संदीप शर्मा और लाडपुरा से कल्पना सिंह विधायक हैं. इसी तरह से झालावाड़ जिले की झालरापाटन सीट से वसुंधरा राजे, अकलेरा से गोविंद रानीपुरिया, खानपुर से नरेंद्र नागर और डग से कालू लाल विधायक चुने गए थे. बारां जिले की छबड़ा सीट से प्रताप सिंह सिंघवी, बूंदी की केशोरायपाटन सीट से चंद्रकांता मेघवाल और बूंदी शहर से अशोक डोगरा MLA हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.