कोटा. राजस्थान में बिजली की मांग इन दिनों कम है. ऐसे में कोटा थर्मल को बंद किया गया है. जिले में बिजली की मांग ज्यादा नहीं होने के चलते कोटा थर्मल ने अपना पूरा उत्पादन ही बंद कर दिया है. बीते 7 दिनों से कोटा थर्मल में एक भी यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ है और सभी सातों यूनिटों को बंद कर दिया गया है.
थर्मल के अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान में बिजली की मांग इन दिनों कम है, ऐसे में कोटा थर्मल को ही बंद किया गया है. अधिकारियों के अनुसार जहां पहले 11 से 12 हजार मेगावॉट मांग होती थी वहीं अब महज 6 से 7 मेगावॉट की ही मांग हो रही है. जबकि कोटा थर्मल की सातों इकाइयों की क्षमता ही 1240 मेगा वाट है.
थर्मल के चीफ इंजीनियर अजय कुमार सक्सेना के अनुसार 13 अगस्त को यूनिट नंबर 4 को बंद किया गया है, जिसकी क्षमता 210 मेगावाट है. इसके पहले 195 मेगा वाट की यूनिट नंबर 6 को भी बंद किया गया था. इसके अलावा सूरतगढ़ में भी कुछ इकाइयों को बंद किया गया है. बारां जिले की छबड़ा और झालावाड़ जिले के कालीसिंध थर्मल प्लांट में उत्पादन जारी है. छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की बात की जाए तो वहां पर करीब 1400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसके अलावा कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में 400 मेगावाट के आसपास उत्पादन किया जा रहा है.
यूनिट 1 | यूनिट 2 | यूनिट 3 | यूनिट 4 | यूनिट 5 | यूनिट 6 | यूनिट 7 |
110 मेगा वाट | 110 मेगा वाट | 210 मेगा वाट | 210 मेगा वाट | 210 मेगा वाट | 195 मेगा वाट | 195 मेगा वाट |
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जानकारी के अनुसार जब इन इकाइयों को दोबारा शुरू किया जाता है तो 25 लाख तक का खर्चा आता है. जिसमें ईंधन और कोयले से बॉयलर को चालू किया जाता है. ऐसे में सभी सातों यूनिटों को चालू करने के लिए करीब एक करोड़ 75 लाख रुपए का खर्चा होगा.
अभियंताओं का यह भी मानना है कि कोटा थर्मल की यूनिट पुरानी है. इसके चलते यहां पर बिजली बनाने पर प्रति यूनिट का खर्चा ज्यादा आता है. ये खर्चा नए थर्मल प्लांट में कम होता है. ऐसे में वहां पर उत्पादन जारी रखा जाता है और कोटा में बंद किया जाता है.