बीकानेर: प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और मौनी अमावस्या को करोड़ों की संख्या में लोग प्रयागराज में स्नान करेंगे. लेकिन जो लोग प्रयागराज नहीं जा पाए, वे घर पर भी स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. बुधवार को 2025 की पहली मौनी अमावस्या है. मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान का विशेष महत्व है. इसके साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. मौनी अमावस्या का सनातन धर्म में विशेष महत्व है और इस दिन दान पुण्य का महत्व शास्त्रों में बताया गया है.
दोष तो करें ये उपाय: वैसे तो अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, पूजा और दान आदि जरूर करें. इससे पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और परिवार के तमाम कष्ट दूर होंगे. पितृ दोष जिनकी कुंडली में हो, उनको इस दिन हवन करना चाहिए और पितरों के नियमित तर्पण और ब्राह्मण भोज करवाने से दोष दूर होता है.
कुंभ नहीं जा पा रहे तो करें ये काम: मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस बार प्रयागराज में महाकुंभ है. ऐसे में मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ का स्थान का भी विशेष महत्व है, लेकिन जो लोग गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर में सुबह जल्दी उठकर नहाने के जल में गंगाजल डालकर मां गंगा को याद करके स्नान करना चाहिए. स्नान से पहले हर हर गंगे बोलते हुए स्नान करना चाहिए. यह गंगा स्नान का पुण्य के बराबर है.
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मौन साधना भी उपाय: मौनी अमावस्या पर मौन रहने का विशेष महत्व है. पूरे दिन मौन नहीं रह सकते हैं, तो स्नान और दान के समय तक मौन रखें. मौन के दौरान मन में श्रीहरि का ध्यान करें. इसके साथ ही मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर ध्यान करना चाहिए और साधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है.