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आयुर्वेद से संभव है कैंसर का इलाज...लाइफस्टाइल और खान-पान पर दें विशेष ध्यान

कोटा में कैंसर रोग पर आयुर्वेद चिकित्सा एवं बचाव पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें जड़ी-बूटियों से कैंसर से बचाव और उपचार को लेकर टिप्स दिए गए.

आयुर्वेद से कैंसर इलाज, kota news
कैंसर का कारण लोगों की लाईफ स्टाइल और खान पान है
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Published : Feb 15, 2020, 10:30 PM IST

कोटा. जिले के यूआईटी ऑडिटोरियम में शनिवार को आयुर्वेद चिकित्सा से कैंसर पर राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में देशभर से आए आयुर्वेद के डॉक्टरों ने अपने विचार रखें.

कैंसर का कारण लोगों की लाईफ स्टाइल और खान पान है

आयुर्वेद डॉक्टर्स क्लब एवं विश्व आयुर्वेद परिषद की ओर से शनिवार को कैंसर रोग पर आयुर्वेद चिकित्सा और बचाव पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन यूआईटी ऑडिटोरियम में किया गया. सेमिनार में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के पूर्व निदेशक डॉ बनवारी लाल गौड़, इंडियन मेडिसिन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ महेश शर्मा, विश्व आयुर्वेद परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डॉक्टर गोविंद सहाय उपस्थित रहे.

पढ़ें- किसानों का आक्रोश : नहरी पानी की मांग पर अयाना में हाईवे जाम, सुल्तानपुर में दिया धरना

कोटा में पहली बार देशभर से आये आयुवेर्दिक डॉक्टरों ने जड़ी-बूटियों से कैंसर से बचाव और उपचार को लेकर टिप्स दिए. चिकित्सकों ने कहा, कि कैंसर का 95 प्रतिशत कारण लाइफ स्टाइल और गलत खान-पान की वजह से होता है. जिसको आयुर्वेद से रोका जा सकता है.

यूआईटी ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल हुए आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बताया, कि तुलसी के रस से कैंसर का बढ़ना कम होता है. जबकि गाय के घी से बनीं दवाएं फायदेमंद होने के साथ रेडिएशन के साइड इफेक्ट को कम करती है. इस सेमिनार में देशभर से करीब 500 आयुवेर्दिक चिकित्सा विशेषज्ञ, प्रोफेसर, एमडी, छात्र और चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया.

पढ़ें- कोटा कलेक्टर ने घर जाकर बुजुर्ग से क्यों मांगी माफी......

पूरे विश्व में 90 लाख प्रतिवर्ष जबकि भारत में 10 लाख व्यक्ति कैंसर से मौत के मुंह में चले जाते है. कैंसर को लेकर लगातार चिकित्सा पद्धति रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी की ओर से सफल प्रयास हो रहे हैं, लेकिन सार्थक परिणााम नहीं मिल रहे हैं.

वहीं रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी के साथ आयुवेर्दिक उपचार के सार्थक परिणाम आ रहे हैं. साथ ही रोगी दुष्परिणाम से बचकर आराम से जीवन जी रहा है. कोटा में पहली बार इतने बड़े स्तर पर कैंसर को लेकर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. वहीं सेमिनार में औषधीय पौधों ओर जड़ी-बूटियों की भी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.

कोटा. जिले के यूआईटी ऑडिटोरियम में शनिवार को आयुर्वेद चिकित्सा से कैंसर पर राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में देशभर से आए आयुर्वेद के डॉक्टरों ने अपने विचार रखें.

कैंसर का कारण लोगों की लाईफ स्टाइल और खान पान है

आयुर्वेद डॉक्टर्स क्लब एवं विश्व आयुर्वेद परिषद की ओर से शनिवार को कैंसर रोग पर आयुर्वेद चिकित्सा और बचाव पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन यूआईटी ऑडिटोरियम में किया गया. सेमिनार में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के पूर्व निदेशक डॉ बनवारी लाल गौड़, इंडियन मेडिसिन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ महेश शर्मा, विश्व आयुर्वेद परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डॉक्टर गोविंद सहाय उपस्थित रहे.

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कोटा में पहली बार देशभर से आये आयुवेर्दिक डॉक्टरों ने जड़ी-बूटियों से कैंसर से बचाव और उपचार को लेकर टिप्स दिए. चिकित्सकों ने कहा, कि कैंसर का 95 प्रतिशत कारण लाइफ स्टाइल और गलत खान-पान की वजह से होता है. जिसको आयुर्वेद से रोका जा सकता है.

यूआईटी ऑडिटोरियम में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में शामिल हुए आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बताया, कि तुलसी के रस से कैंसर का बढ़ना कम होता है. जबकि गाय के घी से बनीं दवाएं फायदेमंद होने के साथ रेडिएशन के साइड इफेक्ट को कम करती है. इस सेमिनार में देशभर से करीब 500 आयुवेर्दिक चिकित्सा विशेषज्ञ, प्रोफेसर, एमडी, छात्र और चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया.

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पूरे विश्व में 90 लाख प्रतिवर्ष जबकि भारत में 10 लाख व्यक्ति कैंसर से मौत के मुंह में चले जाते है. कैंसर को लेकर लगातार चिकित्सा पद्धति रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी की ओर से सफल प्रयास हो रहे हैं, लेकिन सार्थक परिणााम नहीं मिल रहे हैं.

वहीं रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी के साथ आयुवेर्दिक उपचार के सार्थक परिणाम आ रहे हैं. साथ ही रोगी दुष्परिणाम से बचकर आराम से जीवन जी रहा है. कोटा में पहली बार इतने बड़े स्तर पर कैंसर को लेकर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. वहीं सेमिनार में औषधीय पौधों ओर जड़ी-बूटियों की भी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.

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