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स्पेशल: PPE किट से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं...45 मिनट में तैयार हो जाता है एक KIT

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जरूरी पीपीई किट बनाने में भी कोटा आत्मनिर्भरता की ओर जा रहा है. नगर निगम की ओर से संचालित नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीपीई किट मास्क के अलावा अन्य मेडिकल उपयोगी वस्त्रों का निर्माण कर रही हैं. इस पीपीई किट के निर्माण से इस ग्रुप को लाखों रुपए की कमाई भी हुई है. पढ़ें पूरी खबर...

PPE kit is being made in Kota, Kota News,  Corona epidemic
PPE किट से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं
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Published : Jun 5, 2020, 11:10 PM IST

कोटा. लॉकडाउन के बाद उपजे हालातों में अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का आह्वान भी किया है. इसी पर काम करते हुए कोटा में भी पीपीई किट बनाने पर आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम उठाया गया है. कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जरूरी पीपीई किट बनाने में भी कोटा आत्मनिर्भरता की ओर जा रहा है.

PPE किट से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

नगर निगम की ओर से संचालित नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीपीई किट मास्क के अलावा अन्य मेडिकल उपयोगी वस्त्रों का निर्माण कर रही हैं. बता दें कि ये महिलाएं अबतक 600 से ज्यादा पीपीई किट कोटा में सप्लाई कर चुकी है, जिनको चिकित्सा संस्थानों ने उपयोग और सामाजिक संस्थाओं ने डोनेट करने लिए भी खरीद किया है. इन सेल्फ हेल्प ग्रुप को इससे लाखों रुपए की कमाई भी हुई है.

PPE kit is being made in Kota, Kota News,  Corona epidemic
महिलाएं बना रही पीपीई किट

पढ़ें- Special : सतर्कता के साथ शुरू हुए सैलून, PPE किट पहन स्टाफ कर रहे काम

कपड़ा दिखाया तो महिलाओं ने पहचाना

एनयूएलएल की प्रबंधक डॉ. हेमलता गांधी ने बताया कि उसे किसी ने पीपीई किट भेंट किया था. यह किट उन्होंने महिलाओं को दिखाया तो महिलाओं ने कहा कि यह तो बैग में लगने वाला कपड़ा है, जो कि रामपुरा में मिल जाएगा. इसके बाद महिलाओं ने रामपुरा से कपड़ा खरीदा और पीपीई किट का निर्माण शुरू किया. उसके बाद उसे जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना को दिखाया. गांधी ने बताया कि उनके अप्रूव्ड करने के बाद महिलाओं ने लगातार पीपीई किट बनाने शुरू कर दिए.

PPE kit is being made in Kota, Kota News,  Corona epidemic
पीपीई किट बना रही महिला

सोशल मीडिया से सीखा

बता दें कि महिलाओं को सोशल मीडिया से वीडियो दिखाकर पीपीई किट बनाना बताया गया. इसके बाद महिलाएं एक सैंपल तैयार करने में लगी. वहीं, अब एक पीपीई किट के निर्माण में 45 से 60 मिनट का समय लग रहा है. पीपीई किट के साथ फेस मास्क, शूज, कैप भी बनाई जा रही है. वहीं, कोटा में यह भी सुविधा है कि बाहर से आने वाले सभी पीपीई किट स्टैंडर्ड साइज के आ रहे हैं. लेकिन कोटा में साइज के अनुसार पीपीई किट का निर्माण हो रहा है.

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महिलाओं का रोजगार

पढ़ें- 'लोग क्या कहेंगे इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता... साइकिल चलाना मुझे अच्छा लगता है'

17 लाख रुपए के मास्क और पीपीई किट बेचे

नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन की प्रबंधक डॉ. हेमलता गांधी ने बताया कि अब तक महिलाएं 1 लाख 29 हजार 630 मास्क बना चुकी हैं. इसके अलावा 600 पीपीई किट का निर्माण भी इन्होंने किया है. महिलाओं ने करीब 13 लाख रुपए के मास्क और 4 लाख रुपए के पीपीई किट अन्य सामग्री बनाकर सामाजिक संस्थाओं और चिकित्सा संस्थानों को बेच दी है.

महिलाओं को मिल रहे 300 से 400 रुपए रोज

बता दें कि इस अभियान में 15 से ज्यादा महिलाएं अभी जुड़ी हुई हैं, जो रोज इस तरह के काम कर रही हैं. इन महिलाओं को रोजगार में 300 से 400 रुपए मिल रहे हैं. इसके अलावा सेफ्टी, ओटी और लेबर रूम ग्राउन भी महिलाएं बना रही हैं. वहीं एप्रिन, बेडशीट, पिलो कवर, डेड बॉडी कवर का भी निर्माण यह महिलाएं अब करने लगी हैं.

बाजार से आधे दाम में मिल रहा किट

महिलाओं का कहना है कि उनके द्वारा बनाया गया पीपीई किट 250 रुपए में मिल जाता है, जबकि बाजार में इसी तरह का पीपीई किट 400 से 500 रुपए में उपलब्ध है. पीपीई किट में अलग-अलग तरह के बदलाव भी मांग के अनुसार किए जा रहे हैं, जिनको सोशल मीडिया पर देखकर डिजाइन में बदला जा रहा है.

कोटा. लॉकडाउन के बाद उपजे हालातों में अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का आह्वान भी किया है. इसी पर काम करते हुए कोटा में भी पीपीई किट बनाने पर आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम उठाया गया है. कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जरूरी पीपीई किट बनाने में भी कोटा आत्मनिर्भरता की ओर जा रहा है.

PPE किट से आत्मनिर्भर हो रहीं महिलाएं

नगर निगम की ओर से संचालित नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीपीई किट मास्क के अलावा अन्य मेडिकल उपयोगी वस्त्रों का निर्माण कर रही हैं. बता दें कि ये महिलाएं अबतक 600 से ज्यादा पीपीई किट कोटा में सप्लाई कर चुकी है, जिनको चिकित्सा संस्थानों ने उपयोग और सामाजिक संस्थाओं ने डोनेट करने लिए भी खरीद किया है. इन सेल्फ हेल्प ग्रुप को इससे लाखों रुपए की कमाई भी हुई है.

PPE kit is being made in Kota, Kota News,  Corona epidemic
महिलाएं बना रही पीपीई किट

पढ़ें- Special : सतर्कता के साथ शुरू हुए सैलून, PPE किट पहन स्टाफ कर रहे काम

कपड़ा दिखाया तो महिलाओं ने पहचाना

एनयूएलएल की प्रबंधक डॉ. हेमलता गांधी ने बताया कि उसे किसी ने पीपीई किट भेंट किया था. यह किट उन्होंने महिलाओं को दिखाया तो महिलाओं ने कहा कि यह तो बैग में लगने वाला कपड़ा है, जो कि रामपुरा में मिल जाएगा. इसके बाद महिलाओं ने रामपुरा से कपड़ा खरीदा और पीपीई किट का निर्माण शुरू किया. उसके बाद उसे जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना को दिखाया. गांधी ने बताया कि उनके अप्रूव्ड करने के बाद महिलाओं ने लगातार पीपीई किट बनाने शुरू कर दिए.

PPE kit is being made in Kota, Kota News,  Corona epidemic
पीपीई किट बना रही महिला

सोशल मीडिया से सीखा

बता दें कि महिलाओं को सोशल मीडिया से वीडियो दिखाकर पीपीई किट बनाना बताया गया. इसके बाद महिलाएं एक सैंपल तैयार करने में लगी. वहीं, अब एक पीपीई किट के निर्माण में 45 से 60 मिनट का समय लग रहा है. पीपीई किट के साथ फेस मास्क, शूज, कैप भी बनाई जा रही है. वहीं, कोटा में यह भी सुविधा है कि बाहर से आने वाले सभी पीपीई किट स्टैंडर्ड साइज के आ रहे हैं. लेकिन कोटा में साइज के अनुसार पीपीई किट का निर्माण हो रहा है.

PPE kit is being made in Kota, Kota News,  Corona epidemic
महिलाओं का रोजगार

पढ़ें- 'लोग क्या कहेंगे इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता... साइकिल चलाना मुझे अच्छा लगता है'

17 लाख रुपए के मास्क और पीपीई किट बेचे

नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन की प्रबंधक डॉ. हेमलता गांधी ने बताया कि अब तक महिलाएं 1 लाख 29 हजार 630 मास्क बना चुकी हैं. इसके अलावा 600 पीपीई किट का निर्माण भी इन्होंने किया है. महिलाओं ने करीब 13 लाख रुपए के मास्क और 4 लाख रुपए के पीपीई किट अन्य सामग्री बनाकर सामाजिक संस्थाओं और चिकित्सा संस्थानों को बेच दी है.

महिलाओं को मिल रहे 300 से 400 रुपए रोज

बता दें कि इस अभियान में 15 से ज्यादा महिलाएं अभी जुड़ी हुई हैं, जो रोज इस तरह के काम कर रही हैं. इन महिलाओं को रोजगार में 300 से 400 रुपए मिल रहे हैं. इसके अलावा सेफ्टी, ओटी और लेबर रूम ग्राउन भी महिलाएं बना रही हैं. वहीं एप्रिन, बेडशीट, पिलो कवर, डेड बॉडी कवर का भी निर्माण यह महिलाएं अब करने लगी हैं.

बाजार से आधे दाम में मिल रहा किट

महिलाओं का कहना है कि उनके द्वारा बनाया गया पीपीई किट 250 रुपए में मिल जाता है, जबकि बाजार में इसी तरह का पीपीई किट 400 से 500 रुपए में उपलब्ध है. पीपीई किट में अलग-अलग तरह के बदलाव भी मांग के अनुसार किए जा रहे हैं, जिनको सोशल मीडिया पर देखकर डिजाइन में बदला जा रहा है.

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