कोटा. राजस्थान का सबसे बड़ा और देश का दूसरा बड़ा गोबर गैस प्लांट कोटा में स्थापित हो रहा (Second largest gobar gas plant of India set up in Kota) है. यहां पर एग्रीकल्चर वेस्ट और गोबर से सीएनजी व बायोगैस का निर्माण किया जाएगा. यह प्लांट करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से 5 एकड़ जमीन पर बन रहा है. इस प्लांट से प्रतिदिन 400 क्यूबिक मीटर बायोगैस और सीएनजी और एक टन मीटर ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का निर्माण होगा.
इसक प्लांट के उत्पादों की बिक्री नगर विकास न्यास, राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड के साथ करेगा. यह प्लांट करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से 5 एकड़ जमीन पर बन रहा है. यह प्लांट कोटा शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए बनाई जा रही देवनारायण आवासीय योजना में स्थापित किया जा रहा है. 150 टन गोबर व मंडी वेस्ट की प्रतिदिन क्षमता का यह प्लांट जीरो पॉल्यूशन हाई बायोगैस (जेडपीएचबी) तकनीकी पर काम करेगा.
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इससे बायो सीएनजी, बायोगैस, ऑर्गेनिक लिक्विड व सॉलिड फर्टिलाइजर का भी निर्माण होगा. इस प्लांट से ही देवनारायण एकीकृत आवासीय योजना में बने 738 मकानों की सप्लाई जोड़ दी गई है. ऐसे में इन मकानों की रसोई में नेचुरल गैस से ही खाना बनेगा. इसके साथ ही नगर विकास न्यास ने राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड से करार किया है. ऐसे में यहां बनने वाली कंप्रेसर नेचुरल गैस (सीएनजी) को व्हीकल और इंडस्ट्री सप्लाई के लिए भी पहुंचाया जाएगा.
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निर्माणाधीन गोबर गैस प्लांट से प्रतिदिन 400 क्यूबिक मीटर बायोगैस और सीएनजी का निर्माण होगा. साथ ही एक टन मीटर ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का निर्माण होगा. प्लांट का निर्माण वृहद स्तर पर चल रहा है और करीब 50 फीसदी हो भी चुका है. अब इसमें मशीनरी इंस्टॉलेशन का काम शुरू होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 6 महीने में यहां से प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा.
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बंधा धर्मपुरा में बन रहे 150 टन प्रतिदिन क्षमता के गोबर गैस प्लांट का निर्माण बेंगलुरु की नॉलेज इंटीग्रेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कर रही है. इस कंपनी के सीनियर साइट इंजीनियर राजा मुरूगन का कहना है कि कोटा में बन रहा यह प्लांट देश का दूसरा सबसे बड़ा बायोगैस का प्लांट है. इससे पहले इंदौर में बीते दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 550 टन प्रतिदिन क्षमता के प्लांट का उद्घाटन किया था.
निर्माण में लगी एजेंसी के इंजीनियर राजा मुरूगन का कहना है कि इस प्लांट में रोज 100 टन गोबर रिएक्टर में डाला जाएगा. इसी रिएक्टर में 50 टन मंडी का वेस्ट यानी सब्जियों के कचरे को कटिंग करके डाला जाएगा. रिएक्टर के अंदर हीटिंग सिस्टम लगा हुआ है, जहां पर टेंपरेचर मेंटेन किया जाएगा. हर रिएक्टर में तीन टर्बो गैस मिक्सिंग सिस्टम भी लगे हैं. जहां पर ज्यादा गैस बनाने के लिए लगातार गोबर और सब्जी के बेस्ट को मिक्स किया जाएगा. रिएक्टर में गोबर और सब्जियों के वेस्ट का डाइजेशन शुरू होगा और करीब 40 दिन बाद यहां पर गैस का निर्माण शुरू हो जाएगा. बाद में यह प्रक्रिया प्रतिदिन के हिसाब से जारी रहेगी. इस रिएक्टर से रॉ गैस होल्डर में गैस आना शुरू हो जाएगी. इसके बाद प्रेशर स्विंग अब्जोर्शन (पीएसए) सिस्टम चालू होगा. जिसके जरिए गैस को प्यूरिफाई किया जाएगा. इस गैस में से सल्फर व नमी को बाहर कर दिया जाएगा. इसके बाद में बायोगैस और सीएनजी को अलग-अलग सप्लाई सिस्टम तक पहुंचाई जाएगी.
रॉक फास्फेट के निर्माण के बाद बनेगी खादः रिएक्टर में गैस निकलने के बाद बची हुई स्लरी को भी टैंक में भेज दिया जाएगा. जहां पर सॉलिड और लिक्विड फर्टिलाइजर सेपरेटर भी स्थापित किया जाएगा. सॉलिड फर्टिलाइजर बनाने के लिए रॉक फास्फेट मिलाया जाएगा. साथ ही उसे सुखाने के लिए ड्रायर भी लगे हुए हैं. जहां पर वह सूखने के बाद मशीन से पैक हो जाएगा. इसी तरह से लिक्विड फर्टिलाइजर भी प्लास्टिक के कैन में पैक हो जाएगा. यहां से सॉलिड फर्टिलाइजर करीब 1 टन निर्माण किया जाएगा. ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर 50 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा तैयार होगा. यह केमिकल फर्टिलाइजर का रिप्लेसमेंट होगा और यह पूरी तरह से जैविक खाद होगी. करीब 1 टन सॉलिड फर्टिलाइजर पूरे दिन में बनेगी. निर्माण में लगी केआईएस कंपनी इस प्लांट को 5 साल तक ऑपरेशन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी अनुबंध के तहत उठाएगी.
पशुपालकों से खरीदा जाएगा पशुओं का गोबरः स्मार्ट सिटी कोटा के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र राठौर का कहना है कि देवनारायण एकीकृत आवास पूर्ण विकसित होने पर कोटा शहर के पशुपालकों को शिफ्ट किया जाएगा. योजना पूरी हो जाने पर करीब 15,000 पशुओं की वहां पर पालना की जाएगी. ऐसे में प्रति पशु 10 किलो गोबर एकत्रित होता है, तो 150 टन गोबर एकत्रित होगा. इसके निस्तारण के लिए पूरी योजना है. ताकि गोबर एकत्रित नहीं हो और वहां पर गंदगी नहीं फैले और गोबर की दुर्गंध भी वहां पर नहीं रहे. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी कई बार कहा है कि पशुपालकों का गोबर एक रुपए किलो खरीदा जाएगा. ऐसे में पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत भी गोबर बनेगा.
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738 घरों में जोड़ दिए हैं कनेक्शनः अधीक्षण अभियंता राजेंद्र राठौर का कहना है कि देवनारायण आवासीय योजना में 1227 मकान बनाने की योजना है. इनमें से 738 मकान बन कर तैयार हैं और दूसरे फेज में 450 से ज्यादा मकानों का निर्माण होगा. इसमें से करीब 500 मकानों का आवंटन भी नगर विकास न्यास कर चुका है. ऐसे में जो 738 मकान बन कर तैयार हैं. उनमें रसोई में एलपीजी की जगह बायोगैस पहुंचाई जाएगी. इसके लिए पाइप लाइन डाल दी गई है. गोबर गैस प्लांट से उत्पादन शुरू होने के बाद में इनके कनेक्शन भी जोड़ दिए जाएंगे.