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नदियों में कूदकर हो रही आत्महत्याओं को रोकने के लिए SDRF बढ़ाएगा चौकियां, बांधों पर भी तैनात होंगे जवान - स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स

एसडीआरएफ राजस्थान (Rajasthan SDRF) के कमांडेट पंकज चौधरी ने मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के डेमो का निरीक्षण किया. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ आत्महत्याओं को रोकने के लिए भी अब प्रयास करेगी. बांधों के आसपास कई लोग आत्महत्या के प्रयास करते हैं और उनकी जान समय से रेस्क्यू नहीं होने के चलते चली जाती है. ऐसे में अब बांधों पर अलग-अलग जगह चौकियां स्थापित की जाएंगी.

State Disaster Response Force
खुदकुशी रोकने की कवायद...
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Published : Jul 6, 2021, 2:26 PM IST

कोटा. स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) के कमांडेंट पंकज चौधरी दो दिवसीय कोटा दौरे पर थे. आज उन्होंने एसडीआरएफ की डी कंपनी कोटा का रेस्क्यू ऑपरेशन के डेमो का निरीक्षण किया. इस दौरान चंबल नदी में एसडीआरएफ के जवानों ने अलग-अलग तरीके से रेस्क्यू के तरीके बताए.

इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पंकज चौधरी ने कहा कि संभाग मुख्यालयों से वहां पर पहुंचने में काफी समय लगता है. ऐसे में कोई भी व्यक्ति अगर डूब कर अपनी जान देता है, तो इस चौकी में बैठे हुए जवान त्वरित रिस्पांस करते हुए उस व्यक्ति की जान को बचा सकते हैं. पंकज चौधरी ने कहा कि वह कोटा में पद स्थापित भी रहे हैं. यहां प्रोबेशन के समय कई आत्महत्या के मामले में देखे हैं.

SDRF बांधों पर भी तैनात करेगा जवानों को...

वहीं, नदी में गिरने की भी घटनाएं होती हैं. यहां पर एसडीआरएफ की उपस्थिति तत्परता के साथ रहेगी. कोई भी घटना दुर्घटना होती है, तो एसडीआरएफ स्थानीय प्रशासन के तुरंत मदद कर सके. बांसवाड़ा जिले में माही डैम पर भी उसका ही इस तरह की घटनाएं होती हैं. कई चौकियां भी हम डेमों पर स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि मुख्यालय से जिले में जाने का समय बच सके.

पढ़ें : जयपुर में चलती कार देखते ही देखते बन गई आग का गोला, सवारों ने कूदकर बचाई जान, देखें VIDEO

पानी में काम करने वाली दूरबीन सोलार मिलेगी, ड्रोन से रख सकेंगे निगरानी...

पंकज चौधरी ने कहा कि परंपरागत जो साधन है, उनके अलावा नए संसाधन भी पुलिस मुख्यालय ने प्रदान किए हैं. उनका भी उपयोग किया जा रहा है. कई नए उपकरण भी एसडीआरएफ की टीम को दिए जा रहे हैं. इनमें सैंकड़ो उपकरण ऐसे हैं, जो अन्य संस्थाओं के पास भी नहीं हैं. हमारे जवान जो तकनीकी के साथ रेस्क्यू में पारंगत हैं. हम कह सकते हैं कि ज्यादा गहराई में रेस्क्यू करें. इसके लिए सोलार सिस्टम के जरिए से यह लोग काम करेंगे. इस सिस्टम की मदद से पानी की ऊपरी सतह से अंदर डूबे हुए व्यक्ति को तलाशा जा सकेगा. यह दूरबीन की तरह पानी में काम करता है. साथ ही ड्रोन भी इन्हें अब दिया जाएगा ताकि रेस्क्यू आसानी से किया जा सकेगा.

suicide cases in rajasthan
खुदकुशी रोकने की कवायद...

महिला जवान भी नहीं रही पीछे...

एसडीआरएफ का डेमो के दौरान चम्बल नदी में डूबे हुए लोगों को निकालना, गहराई में स्कूबा डाइविंग, टापू पर फंसे हुए लोगों को निकाल कर लाना. बोट के जरिए और बिना नाव के लाइफ सपोर्ट जैकेट के जरिए लोगों को किस तरह से बचाया जाए. साथ ही गहरे पानी में डूबने वाले लोगों को निकालना, उन्होंने अपने डेमो में बताया है. इस दौरान महिला जवान भी पीछे नहीं रहीं. उन्होंने भी बड़ी संख्या में डेमो में भाग लिया. कोटा एसटीआरएफ में करीब 95 से ज्यादा जवान हैं, जो सभी इस तरह के रेस्क्यू करने में पारंगत हैं.

कोटा. स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) के कमांडेंट पंकज चौधरी दो दिवसीय कोटा दौरे पर थे. आज उन्होंने एसडीआरएफ की डी कंपनी कोटा का रेस्क्यू ऑपरेशन के डेमो का निरीक्षण किया. इस दौरान चंबल नदी में एसडीआरएफ के जवानों ने अलग-अलग तरीके से रेस्क्यू के तरीके बताए.

इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पंकज चौधरी ने कहा कि संभाग मुख्यालयों से वहां पर पहुंचने में काफी समय लगता है. ऐसे में कोई भी व्यक्ति अगर डूब कर अपनी जान देता है, तो इस चौकी में बैठे हुए जवान त्वरित रिस्पांस करते हुए उस व्यक्ति की जान को बचा सकते हैं. पंकज चौधरी ने कहा कि वह कोटा में पद स्थापित भी रहे हैं. यहां प्रोबेशन के समय कई आत्महत्या के मामले में देखे हैं.

SDRF बांधों पर भी तैनात करेगा जवानों को...

वहीं, नदी में गिरने की भी घटनाएं होती हैं. यहां पर एसडीआरएफ की उपस्थिति तत्परता के साथ रहेगी. कोई भी घटना दुर्घटना होती है, तो एसडीआरएफ स्थानीय प्रशासन के तुरंत मदद कर सके. बांसवाड़ा जिले में माही डैम पर भी उसका ही इस तरह की घटनाएं होती हैं. कई चौकियां भी हम डेमों पर स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि मुख्यालय से जिले में जाने का समय बच सके.

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पंकज चौधरी ने कहा कि परंपरागत जो साधन है, उनके अलावा नए संसाधन भी पुलिस मुख्यालय ने प्रदान किए हैं. उनका भी उपयोग किया जा रहा है. कई नए उपकरण भी एसडीआरएफ की टीम को दिए जा रहे हैं. इनमें सैंकड़ो उपकरण ऐसे हैं, जो अन्य संस्थाओं के पास भी नहीं हैं. हमारे जवान जो तकनीकी के साथ रेस्क्यू में पारंगत हैं. हम कह सकते हैं कि ज्यादा गहराई में रेस्क्यू करें. इसके लिए सोलार सिस्टम के जरिए से यह लोग काम करेंगे. इस सिस्टम की मदद से पानी की ऊपरी सतह से अंदर डूबे हुए व्यक्ति को तलाशा जा सकेगा. यह दूरबीन की तरह पानी में काम करता है. साथ ही ड्रोन भी इन्हें अब दिया जाएगा ताकि रेस्क्यू आसानी से किया जा सकेगा.

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एसडीआरएफ का डेमो के दौरान चम्बल नदी में डूबे हुए लोगों को निकालना, गहराई में स्कूबा डाइविंग, टापू पर फंसे हुए लोगों को निकाल कर लाना. बोट के जरिए और बिना नाव के लाइफ सपोर्ट जैकेट के जरिए लोगों को किस तरह से बचाया जाए. साथ ही गहरे पानी में डूबने वाले लोगों को निकालना, उन्होंने अपने डेमो में बताया है. इस दौरान महिला जवान भी पीछे नहीं रहीं. उन्होंने भी बड़ी संख्या में डेमो में भाग लिया. कोटा एसटीआरएफ में करीब 95 से ज्यादा जवान हैं, जो सभी इस तरह के रेस्क्यू करने में पारंगत हैं.

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