कोटा. स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (State Disaster Response Force) इन दिनों चंबल नदी (Chambal River) में अभ्यास कर रही है. यह फोर्स आने वाले मानसून सीजन में होने वाले दुर्घटनाओं के दौरान त्वरित कार्रवाई करते हुए लोगों का रेस्क्यू करने के लिए अभ्यास कर रही है. ऐसे करीब 97 जवान है, जो कि बारी-बारी से रोजज एसडीआरएफ (SDRF) के अधिकारियों के साथ चंबल नदी पर पहुंचते हैं. उन्हें बोट से किस तरह से रेस्क्यू किया जाना है, यह भी सिखाया जाता है.
महिला जवान भी हैं शामिल
इसके अलावा तैरकर लाइफ जैकेट के जरिए लोगों को निकालकर कैसे पानी से बाहर लाना है, इसके बारे में भी ट्रेनिंग दी जा रही है. इनमें 7 महिला जवान भी शामिल है. एसडीआरएफ के अधिकारियों का कहना है कि 1 जून से उन्होंने यह अभ्यास शुरू किया था, जो कि 24 जून तक चलेगा. इसमें अलग-अलग तरीके से लोगों को पानी में डूबने से बचाने का अभ्यास कराया जा रहा है.
दूसरे जिलों से आए जवानों को कर रहे पारंगत
एसडीआरएफ डी कंपनी कोटा (SDRF D Company Kota) के इंचार्ज पीसी रामदयाल का कहना है कि दूसरे जिलों से ट्रांसफर लेकर कोटा आने वाले कुछ जवान तैरने में कम प्रशिक्षित हैं. इनको तैरने का पूरा अभ्यास नहीं है, क्योंकि वहां पर इस तरह की घटनाएं कम होती है. ऐसे में उन्हें भी हाड़ौती जिलों में उपस्थिति नदियों से होने वाले हादसों और अलग-अलग जगह बाढ़ के चलते होने वाली जनहानि को रोकने के लिए पारंगत किया जा रहा है.
स्कूबा डाइविंग भी सिखा रहे
पानी में स्थिर और 500 मीटर की दूरी तय करना सीखा रहे एससीआरएफ के मेजर हवलदार करण सिंह का कहना है कि लंबी दूरी की तैराकी इन्हें सिखाई जा रही है. इसके साथ ही डूबने से बचाने का अभ्यास भी कराया जा रहा है. टापू पर फंसे हुए लोगों को किस तरह से निकालकर लेकर आना है, जिसमें बोट और बिना नाव के लाइफ सपोर्ट जैकेट के जरिए लोगों को सुरक्षित बचाएं. स्कूबा डाइविंग (scuba diving) भी इन्हे सिखाई जा रही है, जिससे काफी गहरे पानी में डूबने वाले को बचाया जा सके.
बोट का ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी सीख रहे
अधिकारियों की निगरानी में बोट का ऑपरेशन भी इनसे करवाया जा रहा है, ताकि उन्हें आपात स्थिति में यह बोट को चला सके और लोगों को निकाला जा सके. एसडीआरएफ अपनी जो रेस्क्यू वाहन बोट है, उन्हें भी लेकर चंबल नदी में आते हैं और उनको पूरी तरह से चेक कर रहे हैं कि वह काम कर रही है या नहीं. सभी उपकरणों की टेस्टिंग भी इस दौरान ली जा रही है, ताकि आने वाले सीजन में रेस्क्यू के दौरान अचानक उपयोग में आने पर वह काम कर सके. उन सभी उपकरणों की चेकिंग के अलावा उन्हें पूरी तरह से ट्रायल भी लिया जा रहा है, क्योंकि रेस्क्यू के दौरान कोई कमी उनमें नहीं रहे.