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कोटा: लॉकडाउन ने तोड़ दी रोडवेज की कमर, घाटा 22 लाख से बढ़कर 1 करोड़ पहुंचा

लॉकडाउन के बाद रोडवेज के घाटे का मर्ज और बढ़ गया है. साथ ही जो घटा पहले 22 लाख रुपए महीना था, वो बढ़कर एक करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. वहीं, लॉकडाउन अवधि के दौरान ये घाटा इससे भी ज्यादा एक करोड़ 17 लाख रुपए था. लॉकडाउन की अवधि से अब तक की बात की जाए तो अब तक 4.50 करोड़ रुपए का घाटा रोडवेज को हुआ है.

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Published : Aug 18, 2020, 1:33 AM IST

रोडवेज का घाटा, Kota News
कोटा में रोडवेज का बढ़ गया घाटा

कोटा. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पूरे देश भर में लॉकडाउन किया गया था. इससे देश की आर्थिक गतिविधियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसका खामियाजा पहले से ही घाटे में चल रहे रोडवेज को भी उठाना पड़ रहा है. लॉकडाउन के बाद रोडवेज का मर्ज और बढ़ गया है. साथ ही जो घटा पहले 22 लाख रुपए महीना था, वो बढ़कर करीब एक करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. वहीं, लॉकडाउन अवधि के दौरान ये घाटा इससे भी ज्यादा 1 करोड़ 17 लाख रुपए था.

कोटा में रोडवेज का बढ़ गया घाटा

पढ़ें: राजस्थान में टूटे कोरोना के सारे रिकॉर्ड, 24 घंटे में 1,334 नए केस आए सामने

कोटा में रोडवेज ने लॉकडाउन की अवधि के पहले जनवरी महीने में 384 लाख रुपए का खर्चा सैलरी और डीजल के साथ बसों के मेंटेनेंस पर किया गया था, लेकिन आमदनी 362 लाख रुपए ही हुई थी. ऐसे में जहां 22 लाख रुपए का घाटा जनवरी 2020 में रोडवेज के कोटा डिपो को हुआ था. वहीं, जुलाई महीने में 2 करोड़ 2 लाख रुपए का खर्चा कोटा डिपो में सभी मदों में किया गया है, जबकि आमदनी महज 1 करोड़ 3 लाख रुपए ही हुई है. ऐसे में ये घाटा 99 लाख रुपए रहा है.

अप्रैल-मई में नहीं हुई आमदनी, हुआ सिर्फ खर्च

लॉकडाउन के अप्रैल और मई महीने में रोडवेज को आमदनी के नाम पर कोई पैसा नहीं मिला है, जबकि 1 करोड़ 17 लाख रुपए सैलरी पर खर्च हुआ. ऐसे में रोडवेज को इन दोनों महीनों में घाटा उठाना पड़ा है, जबकि आम दिनों में 20 से 25 लाख रुपए का घाटा रहता है. लॉकडाउन में 24 मार्च से ही बसों का संचालन बंद कर दिया गया था, जिसे जून में अनुमति मिली थी. लेकिन, अभी भी पूरी क्षमता से बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. यात्री भार भी रोडवेज को नहीं मिल रहा है. इसके चलते करीब 4 करोड़ 50 लाख का घाटा रोडवेज को लॉकडाउन अवधि से अब तक हुआ है.

पढ़ें: SPECIAL: सरकार की वादाखिलाफी से परेशान होटल संचालक, गहराया आर्थिक संकट

महज 12,000 किलोमीटर में संचालित हो रहीं बसें

वर्तमान में रोडवेज की 33 बसें 33 रूटों पर ही संचालित की जा रही है, जबकि कोटा डिपो के बेड़े में 103 बसें हैं. पहले ये बसें 87 रूट पर 198 ट्रिप करती थीं. इन बसों को 34,613 किलोमीटर चलने का टारगेट था, जिसकी जगह करीब 32 हजार किलोमीटर ये बसें संचालित हो रही थीं. कोरोना काल में कोटा डिपो ने टारगेट 15 हजार किलोमीटर का तय किया है, लेकिन महज 12 हजार किलोमीटर में बसें संचालित हो पा रही हैं.

कोटा. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पूरे देश भर में लॉकडाउन किया गया था. इससे देश की आर्थिक गतिविधियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसका खामियाजा पहले से ही घाटे में चल रहे रोडवेज को भी उठाना पड़ रहा है. लॉकडाउन के बाद रोडवेज का मर्ज और बढ़ गया है. साथ ही जो घटा पहले 22 लाख रुपए महीना था, वो बढ़कर करीब एक करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. वहीं, लॉकडाउन अवधि के दौरान ये घाटा इससे भी ज्यादा 1 करोड़ 17 लाख रुपए था.

कोटा में रोडवेज का बढ़ गया घाटा

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कोटा में रोडवेज ने लॉकडाउन की अवधि के पहले जनवरी महीने में 384 लाख रुपए का खर्चा सैलरी और डीजल के साथ बसों के मेंटेनेंस पर किया गया था, लेकिन आमदनी 362 लाख रुपए ही हुई थी. ऐसे में जहां 22 लाख रुपए का घाटा जनवरी 2020 में रोडवेज के कोटा डिपो को हुआ था. वहीं, जुलाई महीने में 2 करोड़ 2 लाख रुपए का खर्चा कोटा डिपो में सभी मदों में किया गया है, जबकि आमदनी महज 1 करोड़ 3 लाख रुपए ही हुई है. ऐसे में ये घाटा 99 लाख रुपए रहा है.

अप्रैल-मई में नहीं हुई आमदनी, हुआ सिर्फ खर्च

लॉकडाउन के अप्रैल और मई महीने में रोडवेज को आमदनी के नाम पर कोई पैसा नहीं मिला है, जबकि 1 करोड़ 17 लाख रुपए सैलरी पर खर्च हुआ. ऐसे में रोडवेज को इन दोनों महीनों में घाटा उठाना पड़ा है, जबकि आम दिनों में 20 से 25 लाख रुपए का घाटा रहता है. लॉकडाउन में 24 मार्च से ही बसों का संचालन बंद कर दिया गया था, जिसे जून में अनुमति मिली थी. लेकिन, अभी भी पूरी क्षमता से बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. यात्री भार भी रोडवेज को नहीं मिल रहा है. इसके चलते करीब 4 करोड़ 50 लाख का घाटा रोडवेज को लॉकडाउन अवधि से अब तक हुआ है.

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महज 12,000 किलोमीटर में संचालित हो रहीं बसें

वर्तमान में रोडवेज की 33 बसें 33 रूटों पर ही संचालित की जा रही है, जबकि कोटा डिपो के बेड़े में 103 बसें हैं. पहले ये बसें 87 रूट पर 198 ट्रिप करती थीं. इन बसों को 34,613 किलोमीटर चलने का टारगेट था, जिसकी जगह करीब 32 हजार किलोमीटर ये बसें संचालित हो रही थीं. कोरोना काल में कोटा डिपो ने टारगेट 15 हजार किलोमीटर का तय किया है, लेकिन महज 12 हजार किलोमीटर में बसें संचालित हो पा रही हैं.

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